ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया. शाही परिवार ने गुरुवार को ट्वीट किया, “रानी की आज दोपहर बाल्मोरल में मृत्यु हो गई. द किंग एंड द क्वीन कंसोर्ट आज शाम बालमोरल में रहेंगे और कल लंदन लौटेंगे. ” इससे पहले गुरुवार को बकिंघम पैलेस ने कहा कि डॉक्टर महारानी के स्वास्थ्य के लिए चिंतित हैं और वह चिकित्सकीय देखरेख में हैं. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने गुरुवार को नीदरलैंड में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. इससे पहले “महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्वास्थ्य को लेकर सैकड़ों लोग उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए मूसलाधार बारिश का सामना करते हुए बकिंघम पैलेस के द्वार पर खड़े थे.
गुरुवार को एक रिपोर्ट के अनुसार, ड्यूक ऑफ ससेक्स प्रिंस हैरी अकेले बालमोरल की यात्रा करेंगे. पहले यह बताया गया था कि प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी- मेघन, जो डचेस ऑफ ससेक्स हैं, स्कॉटलैंड की यात्रा करेंगे. एलिजाबेथ 1952 से ब्रिटेन और एक दर्जन से अधिक अन्य देशों की रानी रही हैं और इस साल की शुरुआत में उन्होंने सिंहासन पर अपना 70 वां वर्ष मनाया.
हाल के महीनों में रानी स्पष्ट रूप से कमजोर दिखाई दीं और सार्वजनिक कार्यक्रमों से कई बार वापसी की. वह एक छड़ी के सहारे चलने के लिए बाध्य थीं. उन्हें एक मोटर चालित बग्गी में चेल्सी फ्लावर शो का भ्रमण करते हुए भी देखा गया था. इस साल जून में ब्रिटेन महारानी के ब्रिटिश सिंहासन पर प्रवेश की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्लेटिनम जुबली समारोह के लिए एक साथ आया था. उनके पति प्रिंस फिलिप का पिछले साल उनके 100वें जन्मदिन से दो महीने पहले 99 साल की उम्र में निधन हो गया था. पूरी दुनिया से महारानी एलिजाबेथ के निधन से शोक संदेश की बाढ़ आई गई है. इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महारानी के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, वर्ष 2015 और 2018 में यूके की अपनी यात्राओं के दौरान मेरी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ यादगार मुलाकातें हुईं. मैं उनकी गर्मजोशी और दयालुता को कभी नहीं भूलूंगा. एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे वह रूमाल दिखाया जो महात्मा गांधी ने उन्हें उनकी शादी में उपहार में दिया था. मैं उस इशारे को हमेशा संजो कर रखूंगा.
क्वीन एलिजाबेथ II के निधन के बाद ताज में लगे कोहिनूर हीरे का क्या होगा?
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की उम्र में निधन हो गया। स्काटलैंड के पैलेस में क्वीन ने अपनी अंतिम सांस ली। अब लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा कि क्वीन एलिजाबेथ के क्राउन में लगे कोहिनूर हीरे का क्या होगा। बता दें कि एलिजाबेथ ताज को खास कार्यक्रमों में पहनती थीं। कोहिनूर के अलावा भी क्राउन में 2,867 हीरे लगे हैं। एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद से सोशल मीडिया पर कोहिनूर ट्रेंड कर रहा है और लोग इसे लेकर तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं। आपकों बता दें कि अब ये क्राउन(ताज) अगली होने वाली महारानी को सौंपा जाएगा।
साल 1937 में बनाया गया था क्राउन
जानकारी के लिए आपकों बता दें कि ब्रिटेन की अगली महारानी डचेस ऑफ कॉर्नवाल कैमिला होंगी जो एलिजाबेथ द्वितीय के सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स की पत्नी हैं। महारानी की मौत के बाद अब प्रिंस चार्ल्स राजा बन जाएंगे। जानकारी के लिए बता दें कि ये क्राउन राजा जॉर्ज छठे की ताजपोशी के लिए साल 1937 में बनाया गया था। कोहिनूर के अलावा इस क्राउन में कई बेसकीमती पत्थर भी लगे हैं। क्राउन में साल 1856 में तुर्की के तत्कालीन सुल्तान द्वारा महारानी विक्टोरिया को तोहफे में दिया गया एक बड़ा पत्थर भी लगा है। ये उन्होंने क्रीमिया युद्ध में ब्रिटिश सेना के प्रति अपना आभार जताने के लिए दिया था।
प्रिंस चार्ल्स बनेंगे किंग
कोहिनूर 105 कैरेट का हीरा है, जो प्लेटिनम के एक माउंट के साथ क्राउन में लगा हुआ है। ये ब्रिटिश क्राउन के सामने क्रॉस के पास लगा है। क्वीन एलिजाबेथ ने इसी साल घोषणा की थी कि प्रिंस चार्ल्स के राजा बनने पर डचेस कैमिला को भी क्वीन की उपाधि दी जाएगी। ऐसे में प्रिंस चार्ल्स के राज्याभिषेक के दौरान कैमिला को ही कोहिनूर के साथ क्राउन सौंपा जाएगा।
कोहिनूर का इतिहास
माना जाता है, करीब 800 साल पहले भारत में एक चमकता हुआ पत्थर मिला था, जिसे कोहिनूर नाम दिया गया। कोहिनूर हीरा दुनिया के सबसे बड़े हीरे में से एक है। कूह-ए-नूर का मतलब रोशनी का पर्वत होता है। कहा जाता है कि ये भारत की गोलकुंडा खदान में मिला था। जब ब्रिटिश उपनिवेश पंजाब में आया तो इसे अंतिम सिख शासक दलीप सिंह के पास था। 1849 में अंग्रेजों ने पंजाब पर विजय प्राप्त की और लाहौर संधि की घोषणा की गई। इसके बाद लॉर्ड डलहौजी ने रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी दिलीप सिंह द्वारा महारानी विक्टोरिया को कोहिनूर भेंट करने की व्यवस्था की गई। हीरा 1850 -51 में महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था। तब से कोहिनूर हीरा इंग्लैंड में ही है।
कोहिनूर को लेकर एक मिथक भी जुड़ा हुआ है कि ये हीरा स्त्री के लिए भाग्यशाली है, वहीं पुरुष स्वामियों के लिए ये दुर्भाग्य और मृत्यु का कारण बन सकता है।