15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने दो बड़ी चुनौतियों का जिक्र किया था। इसमें पहली चुनौती थी भ्रष्टाचार और दूसरी- भाई-भतीजावाद परिवारवाद। बाद में राजनीतिक विश्लेषकों ने माना कि दरअसल पीएम मोदी 2024 चुनाव का नैरेटिव लालकिले से सेट कर रहे थे। 2024 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए नरेंद्र मोदी को 10 साल हो जाएंगे। इससे पहले 10 साल तक मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे थे। मगर 2014 चुनाव में करप्शन को बड़ा मुद्दा बनाकर नरेंद्र मोदी ने उन्हें मात दे दी। माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के इसी भाषण से नीतीश (Nitish Kumar) को आइडिया मिला। उन्होंने कैलकुलेशन किया। चूंकि, 2024 में पीएम मोदी भ्रष्टाचार और परिवारवाद को बड़ा मुद्दा बनाएंगे तो बड़े-बड़े चेहरे फिके पड़ जाएंगे। मगर नीतीश कुमार ‘बेदाग’ साबित होंगे। इसका सर्टिफिकेट खुद पीएम मोदी ने ही दिया है।
पांच महीने में दो बार पीएम मोदी ने की थी नीतीश की तारीफ
9 फरवरी 2022 को न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि ‘लोहिया जी का परिवार कहीं नजर आता है? वो भी तो समाजवादी थे। जॉर्ज फर्नांडिस का परिवार नजर आता है कहीं? वो भी समाजवादी थे। नीतीश बाबू? हमारे साथ काम कर रहे हैं। वो भी तो समाजवादी हैं। परिवार कहीं नजर आता है? ये समाजवादी लोग हैं।’ राजनीति में परिवारवाद से जुड़े एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने समाजवादी नेताओं और उनके परिवारवाद पर जवाब दे रहे थे।
वहीं, 14 जुलाई 2022 को बिहार विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ के अनावरण के मौके पर भी नीतीश कुमार की पीएम ने तारीफ की। उन्होंने कहा कि ‘नीतीश जी की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया। इस अधिनियम के जरिए बिहार पहला ऐसा राज्य बना जिसने पंचायती राज में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया।’ तब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हुआ करते थे, अब ताल ठोक रहे हैं तो मूड और मिजाज बदलना लाजिमी है।
भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर पीएम मोदी ने क्या कहा था?
15 अगस्त को पीएम मोदी ने कहा था कि ‘पहली चुनौती- भ्रष्टाचार, दूसरी चुनौती – भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं। जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है। करीब पांच से सात मिनट तक नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर बोलते रहे।
2024 में पीएम पद के लिए किसका पलड़ा भारी?
राहुल गांधी- गांधी फेमिली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिवारवाद और भ्रष्टाचार की तोहमत मढ़ते रहते हैं। हाल के दिनों में सोनिया और राहुल गांधी ईडी दफ्तर का चक्कर लगा रहे थे।
ममता बनर्जी- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीधे-सीधे करप्शन का कोई मामला तो नहीं है। मगर उनके भतीजे और बहू जांच के दायरे में जरूर हैं। कई नजदीकियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
शरद पवार- महाराष्ट्र के धाकड़ नेता शरद पवार किसी गंभीर मामले में आरोपी तो नहीं हैं, मगर उनके भतीजे अजीत पवार पर करप्शन के संगीन इल्जाम जरूर लगे।
अरविंद केजरीवाल- बीजेपी के लिए नई चुनौती बने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है। मगर शराब घोटाले में उनकी सरकार और उनके सबसे करीबी मनीष सिसोदिया लपेटे में जरूर हैं।
नीतीश कुमार- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पलड़ा पीएम उम्मीदवार के तौर पर भारी है। एक तो वो केंद्र में लंबे समय तक मंत्री रहे, बिहार की सत्ता पर 17 साल से काबिज हैं। उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर न तो उन पर और ना ही उनके किसी नजदीकी पर सीधे-सीधे करप्शन का आरोप है।
2019 के आंकड़ों से समझिए 2024 का गणित
2019 के वोटर लिस्ट के मुताबिक भारत में 90 करोड़ वोटर हैं। इनमें 60 करोड़ 37 लाख लोगों ने वोट डाला। बीजेपी को 37.36 फीसदी वोट मिले, जबकि एनडीए का वोट प्रतिशत 45 था। इसका मतलब ये हुआ कि सत्ताधारी गठबंधन के साथ अब भी 55 फीसदी मतदाता नहीं हैं। इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र और पंजाब में बीजेपी का गठबंधन गड़बड़ा गया है। 2019 रिजल्ट को सीटों के आंकड़े में देखें तो बीजेपी को 303 सीटें मिली थी। जबकि एनडीए 353। वहीं, कांग्रेस की बात करें तो 52 सीटों पर उसने जीत हासिल की थी। जबकि यूपीए को 92 सीटें मिली थी। दूसरी पार्टियां 97 लोकसभा की सीटें जीतीं थीं। बहुमत का आंकड़ा 272 का है। नीतीश कुमार इसी डेटा को देखकर उत्साहित हैं। उनको लगता है कि अगर मोदी Vs ऑल का मुकाबला हुआ तो उलटफेर कोई बड़ी बात नहीं है। 2024 के अप्रैल-मई में चुनाव तय है। लिहाजा तैयारियों के लिए पूरा वक्त भी है।