झारखंड के तीन कांग्रेसी विधायकों की प. बंगाल के हावड़ा में ४९ लाख रु. की नकदी के साथ गिरफ्तारी से न सिर्फ झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के भविष्य के संबंध में बल्कि देश में जनतंत्र के भविष्य के संबंध में भी अनेक गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि‚ कांग्रेस ने दुर्लभ तत्परता दिखाते हुए तत्काल इन तीनों विधायकों को निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ न सिर्फ दलबदल के लिए कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गयी है बल्कि सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र के लिए एफआइआर दर्ज करा कर कार्रवाई शुरू की गयी है। फिर भी‚ इस दावे पर बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता कि हेमंत सोरेन सरकार का संकट टल गया है। हावड़ा प्रकरण‚ झारखंड के वर्तमान सत्ताधारी गठबंधन की बढ़ती दरारों की मदद से‚ सरकार को अस्थिर करने का खेल किसी न किसी स्तर पर जारी होने का इशारा तो करता ही है। चुनाव हार के बाद भी विपक्षी सरकारों को गिराकर‚ दोबारा सत्ता में आने की कोशिशों करने में‚ देश की मौजूदा सत्ताधारी पार्टी भाजपा के सिद्धांत कभी आड़े नहीं आए। वास्तव में ‘ऑपरेशन कमल’ का नाम देकर‚ देश की सत्ताधारी पार्टी ने विधायकों की ऐसी थोक में खरीद–फरोख्त को वैध कार्यनीति का दर्जा दिलाने का ही काम किया है। पहले कर्नाटक‚ फिर मध्य प्रदेश और अभी हाल में महाराष्ट्र में भाजपा ने ठीक इसी तरह सत्ता में वापसी की है। अचरज की बात नहीं है कि महाराष्ट्र में शिव सेना को दोफाड़ कर‚ शिंदे सरकार बनवाने के साथ ही अटकलें लगायी जानी लगी थीं कि अगला नंबर झारखंड का होगा। वही हो भी रहा है। विधायकों/पार्टियों की खरीद–फरोख्त के इस खेल को रोकने में दलबदल विरोधी कानून पूरी तरह विफल रहा है। दुर्भाग्य से जैसा कि सुप्रीम कोर्ट में दलबदल कानून से संबंधित एक याचिका पर केंद्र सरकार के एफिडेविट से साफ हो गया है‚ कि वर्तमान सरकार को मौजूदा स्थिति के बने रहने में अपना लाभ ही दीख रहा है‚ नुकसान नहीं। यह जनतंत्र को कमजोर करता है। वैसे इलाज बहुत मुश्किल नहीं है। एक सीधा–सरल सा कानून बनाने की ही जरूरत है कि किसी पार्टी के टिकट पर चुने गए व्यक्ति को‚ पार्टी से अलग होने पर विधायिका की सदस्यता भी छोड़नी होगी। जनता के जनादेश का सम्मान किए जाने का यह न्यूनतम तकाजा है। जब तक यह उपाय नहीं किया जाता है‚ भारतीय जनतंत्र पर इस तरह की खरीद–फरोख्त का कलंक लगा ही रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने ‘रेवड़ी कल्चर’ को माना गंभीर, अगली सुनवाई 17 अगस्त को
चुनाव में फ्री स्कीम्स के वादों पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में करीब 20 मिनट तक...