बिहार विधानमंड़ल का मानसून सत्र ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया। विधानसभा में बृहस्पतिवार को मानसून सत्र के अंतिम दिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट के भीतर स्थगित कर दी गई। विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी के बार–बार सहयोग का आग्रह करने के बावजूद विपक्षी विधायक शांत नहीं हुए और सशस्त्र बलों में भर्ती की नई योजना को वापस लेने तथा प्रदेश में हाल में किये गये विरोध–प्रदर्शन में भाग लेने वालों के खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे। ‘अग्निपथ’ योजना को वापस लेने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के खिलाफ आपत्ति व्यक्त करने के लिए उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद भी अपनी कुर्सी से उठ खड़़े हुए। हंगामा जारी रहने पर हजारी ने सदन की कार्यवाही दोपहर के भोजन तक के लिए स्थगित कर दी।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और उसके वामपंथी सहयोगियों ने घोषणा की है कि इस योजना पर उनकी चर्चा की मांग के पूरी होने तक वे सदन को चलने नहीं देंगे। विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने उनकी मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह मामला राज्य विधानसभा के दायरे से बाहर है। कांग्रेस जो अब खुद को विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा नहीं मानती है‚ उसके नेता अलग से विरोध–प्रदर्शन करते दिखे। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शकील अहमद खान सहित उसके कई विधायकों ने कार्यवाही शुरू होने से पहले विधानसभा परिसर में हाथों में तख्तियां लिए प्रदर्शन किया। उधर‚ विधान परिषद में मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्यों ने अग्निपथ योजना के विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में निर्दोष छात्रों एवं युवाओं की हुई गिरफ्तारी और उनके परिजनों को अकारण पुलिस के तंग किये जाने को लेकर भारी शोरगुल और नारेबाजी की‚ जिससे कार्यवाही को लगभग सात मिनट बाद ही दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह के गुरुवार को आसन ग्रहण करते ही राजद के सुनील कुमार सिंह ने कार्यस्थगन सूचना के माध्यम से इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के विरुद्ध राज्यव्यापी आंदोलन में बड़ी संख्या में छात्राओं एवं युवाओं की गिरफ्तारी की गई है। गिरफ्तार निर्दोष युवा बेरोजगार एवं सैनिक बहाली के अभ्यर्थियों के परिजनों को अकारण पुलिस द्वारा तंग और तबाह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सब गरीब परिवार मुख्यतः किसानों एवं सरकारी कर्मचारियों का है। पुलिस द्वारा तंग और तबाह किये जाने से इन परिवारों में काफी आक्रोश है‚ जो कभी भी विस्फोटक रूप ले सकता है और यह प्रदेश की शांति व्यवस्था के लिए किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं होगा। ऐसे में गिरफ्तार निर्दोष छात्र एवं युवाओं के परिवार का आक्रोश विस्फोटक नहीं हो इसके लिए सदन में सम्यक विमर्श की आवश्यकता है। इस पर कार्यकारी सभापति ने कहा कि इस मामले पर सदन में चर्चा करने से कुछ भी नहीं होगा। जिन लोगों ने रेलवे की संपत्ति को क्षति पहुंचाई है उसे क्या माला पहनाया जायेॽ इस पर यहां क्या निष्कर्ष होगा। तभी राजद के ही रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि हम सभी जनता के प्रतिनिधि हैं। सदन तो दर्पण होता है। आंदोलन में शामिल युवाओं के घर पर पुलिस जाकर उनके परिजनों को तबाह कर रही है। इसी दौरान भाजपा के दिलीप जायसवाल ने किशनगंज और पूर्णिया जिले के कुछ इलाकों में बाढ की स्थिति का मामला उठाया। राजद के सदस्य दोषी को रिहा करो और निर्दोष को रिहा करो का नारा लगाने लगे। प्रतिपक्ष की नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की अगुवाई में राजद के सुनील कुमार सिंह‚ प्रोफेसर रामबली सिंह‚ विनोद जायसवाल के साथ ही उनकी पार्टी के सभी सदस्य सदन के बीच में आकर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। कार्यकारी सभापति ने सदन को अव्यवस्थित होते देख कार्यवाही को लगभग सात मिनट बाद ही दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।सदन की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई‚ तो राजद के सुनील कुमार सिंह ने इस मामले को फिर से उठाया। उन्होंने कहा कि इससे बड़ा मुद्ा नहीं हो सकता है। आसन की ओर से आश्वासन भी दिया गया था। उनके इतना कहते ही राजद के सदस्य अपनी–अपनी सीटों के समक्ष खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। शोरगुल और हंगामे के बीच निर्धारित समय से पूर्व कार्यकारी सभापति जब अपना समापन भाषण कर रहे थे तभी राजद सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गये।