प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के २०२५ तक देश से क्षय रोग यानी टीबी के खात्मे के संकल्प को सही मायने में धरातल पर उतारने को महज साढ़े तीन साल बचे हैं। यह संकल्प साकार होने पर टीबी को लेकर पिछले ३० वर्षों से जारी मेडिकल इमरजेंसी का भी खात्मा हो सकेगा क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने १९९३ में टीबी को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के रूप में घोषित किया था‚ जो अभी तक बनी हुई है। तरक्की के इस दौर में भी टीबी को लेकर तमाम सामाजिक भेदभाव और भ्रांतियों के मामले सामने आ ही जाते हैं। सरकार जहां अत्याधुनिक जांच और इलाज की सुविधा मुहैया कराने में जुटी है‚ वहीं हमें भी बड़ा मन दिखाने की जरूरत है ताकि टीबी से जुड़ी भ्रांति व भेदभाव को जड़ से खत्म किया जा सके ताकि लोग बगैर दुराव–छिपाव के क्षय रोग के लक्षण नजर आने पर जांच को आगे आएं‚ पूरा इलाज कराकर टीबी को मात देने में सफल रहें। सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने ग्राम प्रधानों को भी राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन अभियान से जोड़ा है‚ उनको टीबी के बारे में प्रशिक्षित किया गया है ताकि गांव में किसी में भी टीबी के लक्षण नजर आएं तो उनको मुफ्त जांच और इलाज की सुविधा आसानी से मुहैया कराई जा सके।
टीबी की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विश्व में प्रति वर्ष करीब १४ लाख मौत इससे होती हैं। इनमें से एक चौथाई से अधिक अकेले भारत में होती हैं। भारत में करीब १००० मौत प्रति दिन टीबी के कारण होती हैं। इस त्रासदी से निजात पाने के लिए ही टीबी की जांच और इलाज को प्रभावी व आसान बनाया गया है। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के इलाज में जहां दो साल लग जाते थे‚ वहीं नई दवाइयों से नौ महीने में इलाज पूरा हो जाता है। एमडीआर से टीबी के रोगियों को सुई के असहनीय दर्द से भी मुक्ति मिली है‚ अब इलाज खाने की गोलियों से हो जाता है। हर क्षय रोगी को मुफ्त और गुणवत्तायुक्त जांच और उपचार सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश में गुणवत्तायुक्त जांच के लिए प्रयोगशाला नेटवर्क का विस्तार भी किया गया है‚ जिसके तहत २०६१ डीएमसी‚ १६६ सीबीनाट व ४८६ ट्रूनेट मशीन की स्थापना की गई है। सात कल्चर एंड डीएसटी लैब और दो आईआरएल की स्थापना की गई है। २२ नोडल डीआरटी सेंटर पर एमडीआर/एक्सडीआर क्षय रोगियों का उपचार किया जा रहा है। दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी एवं बुखार बना हो‚ वजन में कमी आ रही हो‚ भूख न लगती हो‚ बलगम से खून आता हो‚ सीने में दर्द एवं छाती के एक्स–रे में असामान्यता हो तो समझिए ये क्षय रोग के लक्षण हैं। क्षय रोग साध्य रोग है‚ जिसका पूरा कोर्स करने से रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है। टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए ५०० रुपये प्रति माह दिए जाने के लिए अप्रैल‚ २०१८ में लागू निक्षय पोषण योजना मददगार साबित हुई है। यह भुगतान सीधे बैंक खाते में किया जाता है ।
टीबी मुक्त अभियान को धार देने के लिए टीबी चैंपियन को भी टीबी इंडि़या अभियान से जोड़ा गया है। हर टीबी यूनिट (टीयू) से दो–दो टीबी चैंपियन चुने गए हैं‚ जिन्हें टीबी के बारे में जरूरी जानकारी देकर विधिवत प्रशिक्षित किया गया है। टीबी चैंपियन के रूप में उन लोगों को चुना गया है जो पहले टीबी ग्रसित रहे हैं किंतु लक्षण नजर आते ही तत्परता से टीबी की जांच कराई और पुष्टि होने पर चिकित्सक के बताए अनुसार नियमित दवा का सेवन कर बीमारी को मात दी। उनके अनुभवों से मदद ली जा रही है। उत्तर प्रदेश में २३५१ टीबी चैंपियन चयनित किए गए हैं।
२०२५ तक देश से टीबी के खात्मे के संकल्प को साकार करने में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल भी सराहनीय रही है। उन्होंने २०१९ में प्रदेश की कमान संभालने के साथ ही क्षय रोग ग्रसित बच्चों को गोद लेने की पहल की ताकि जल्द से जल्द बीमारी की जद से बाहर निकालकर उनके सुनहरे भविष्य की राह आसान बनाई जा सके। अब इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए वयस्क क्षय रोगियों को भी गोद लेकर उनको भावनात्मक रूप से मजबूती देने के साथ ही उनके सुपोषण का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। एक बात और जाननी जरूरी है कि कुपोषण और क्षय रोग में गहरा नाता है। इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि बच्चों के भोजन में हरी साग–सब्जी के साथ मौसमी फल अवश्य शामिल करें। इम्यूनिटी कमजोर होने से बच्चों में टीबी होने की गुंजाइश ज्यादा होती है। इसलिए माता–पिता बर्गर चाइल्ड न बनाकर वेजिटेवल चाइल्ड बनाने की ओर ध्यान दें। उत्तर प्रदेश में हर साल १५ से २० हजार बच्चे टीबी की जद में आ जाते हैं। बच्चे को जन्म के बाद यथाशीघ्र बीसीजी का टीका अवश्य लगवाएं क्योंकि यह बच्चे के और अंगों में टीबी के फैलाव को रोकता है। अनियमित डायबिटीज के मरीज और धूम्रपान करने वालों को टीबी होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए डायबिटीज को नियंत्रण में रखना और धूम्रपान निषेध अभियान चलाना भी क्षय उन्मूलन में सहायक सिद्ध होगा। वायु प्रदूषण भी एक प्रमुख कारक है‚ जिससे टीबी का जोखिम बढ़ता है। इसलिए मास्क लगाने की आदत को आगे भी बनाए रखना होगा।