देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा जो किसी जनजातीय समाज के उम्मीदवार के राष्ट्रपति बनने की संभावना पैदा हुई है. राजनीति के जानकार मानते हैं कि एनडीए के राष्ट्रपति पद के कैंडिडेट द्रौपदी मुर्मू की जीत तय है. झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू को बिहार के राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला है. जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) के समर्थन के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनको समर्थन देने की घोषणा कर दी है. द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने पर नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया है.
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना खुशी की बात है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी एक आदिवासी महिला हैं। एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाना अत्यंत प्रसन्नता की बात है।
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा सरकार में मंत्री तथा इसके पश्चात् झारखण्ड की राज्यपाल भी रह चुकीं हैं। कल प्रधानमंत्री जी ने बात कर इसकी जानकारी दी थी कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी को भी इसके लिए हृदय से धन्यवाद।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू ने उड़ीसा सरकार में मंत्री के रूप में अपने दायित्वों का बेहतर निर्वहन किया था. उसके पश्चात् झारखण्ड की राज्यपाल के रूप में भी उनकी भूमिका सराहनीय रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कल प्रधानमंत्री मोदी ने बात कर इसकी जानकारी दी थी. पीएम मोदी ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनायी जा रही हैं. नीतीश कुमार ने कहा, प्रधानमंत्री को इसके लिये हृदय से धन्यवाद.
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना खुशी की बात है. श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी एक आदिवासी महिला हैं. एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाना अत्यंत प्रसन्नता की बात है.श्रीमती द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा सरकार में मंत्री तथा इसके पश्चात् झारखण्ड की राज्यपाल भी रह चुकीं हैं. कल प्रधानमंत्री जी ने बात कर इसकी जानकारी दी थी कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी को भी इसके लिए हृदय से धन्यवाद.
द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने को लेकर नीतीश कुमार ने ट्वीट किया.
दरअसल, नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव में गठबंधन से अलग निर्णय लेते रहे हैं. पिछले दो चुनाव में यही देखा गया था. महागठबंधन में रहते हुए उन्होंने एनडीए के कैंडिडेट रामनाथ कोविंद का उन्होंने समर्थन किया था तो इससे पहले एनडीए के साथ थे तब भी यूपीए के कैंडिडेट प्रणब मुखर्जी के लिए जदयू ने वोट किया था. सबसे खास बात यह कि दोनों ही बार जदयू ने जिन्हें वोट दिया उनकी जीत हुई थी. मगर इस बार स्थिति अलग है.