हाल ही में नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के पैगम्बर मोहम्मद के बारे में टेलीविजन बहस में दिए गए बयान से खाड़ी देशों‚ टर्की और पूर्व एशिया के मुस्लिम देशों में जो बवाल उठा वह धीरे–धीरे शांत हो रहा है। भारत सरकार ने स्पष्ट शब्दों में अपनी स्थिति साफ कर दी है‚ जिसका कई मुस्लिम देशों ने स्वागत किया है‚ किंतु कुछ ऐसे देश हैं‚ जहां अल्पसंख्यकों को सभी मौलिक अधिकारों से वंचित रखा जाता है। २४ घंटे उन्हें तलवार की धार पर रखा जाता हैं‚ भारत के विरुद्ध वे ही जहर उगल रहे हैं‚ जिनमें पाकिस्तान सबसे आगे है जहां १९४७ मे अल्पसंख्यकों की आबादी १७ फीसद थी और अब १ फीसद से भी कम है।
कट्टरपंथी इस्लामी देशों और उनके संगठन ऑरगेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआईसी) को पाकिस्तान भारत के खिलाफ लगातार भड़काता रहा है। तीन तलाक‚ हिजाब आदि मसले को तूल देने‚ धमकी भरे शब्द इस्तेमाल करने‚ भारतीय माल के बहिष्कार करने आदि के लिए उन्हें उकसाने के प्रयास करता रहा है। पैगम्बर मोहम्मद के बारे में तथाकथित अपमानजनक बयान के विरुद्ध आपत्ति उठाने वाले देशों में सऊदी अरब‚ यूएई‚ बहरीन‚ जार्डन‚ ओमान‚ लीबिया‚ मालदीव‚ इंडोनेशिया‚ लीबिया‚ खाड़ी सहयोग काउंसिल (जीसीसी) एवं ओआईसी के देश सम्मिलित हैं। कुवैत‚ कतर और ईरान ने भारतीय दूतावास को तलब किया किंतु भारत सरकार द्वारा बयान देने वालों के विरु द्ध तुरंत कार्रवाई का स्वागत भी किया। नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित किया‚ उनके बयान को उनका निजी विचार बताया‚ सभी धर्मों के प्रति आदर और सम्मान की भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
भारत के विरुद्ध मुखर देशों में अधिकांश ऐसे हैं‚ जहां लोकतांत्रिक सरकारें नहीं है‚ वर्षों से डिक्टेटरशिप है और अल्पसंख्यकों को प्रताडि़त करना सरकारी नीति का हिस्सा है। अधिकांश मुस्लिम देशों से भारत के संबंध अच्छे हैं‚ बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी इन देशों में वर्षों से रह रहे हैं और वहां विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। मुस्लिम देशों में प्रवासी भारतीयों की संख्या लगभग ८५ लाख है‚ सबसे अधिक आबादी यूएई में ३५ लाख और सऊदी अरब में २५ लाख के लगभग है। भारत के बाहर प्रवासी भारतीयों की संख्या पूरे विश्व में लगभग १८० लाख है‚ जिनसे आने वाली विदेशी मुद्रा लगभग भारत की सकल आय (जीडीपी) का लगभग ३.१ फीसद है। अमेरिका के बाद सबसे अधिक विदेशी मुद्रा सऊदी अरब और यूएई के प्रवासी भारतीयों द्वारा आती है। प्रवासी भारतीय द्वारा भेजी जाने वाली कुल मुद्रा का ६५ फीसद खाड़ी और अन्य मुस्लिम देशों से आता है। भारत इन देशों के कच्चे तेल और गैस के सबसे बड़े खरीदारों में है‚ एक तिहाई आयात इन देशों से करता है। सोने‚ हीरे–जवाहरात और पालीमर आदि का आयात भी इन देशों से होता है।
अरब देशों को भारत जिन चीजों का निर्यात करता है उनमें प्रमुख है सामान्य एवं बासमती चावल‚ आटा‚ फल‚ सब्जियां‚ मांस‚ मछली‚ चाय‚ कॉफी‚ तंबाकू‚ चीनी‚ ज्वेलरी‚ सूती और रेशमी कपड़े‚ कालीन‚ कपास‚ कागज‚ दवाइयां‚ प्लास्टिक‚ धातुएं‚ मशीनरी‚ इलेक्ट्रॉनिक गुड्स आदि। खाड़ी सहित अधिकांश मुस्लिम देश यह समझते हैं कि भारत की जितनी निर्भरता उनके ऊपर है उतनी ही उनकी भी भारत पर है। रूस से कम कीमत पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदने के भारत सरकार के फैसले से ये देश चिंतित हैं। वर्तमान आक्रोश का एक अप्रकाशित कारण यह भी है‚ जो भारत को दबाव में लाने के लिए किया जा रहा है। सऊदी अरब‚ इंडोनेशिया‚ यूएई और बहरीन ने पैगम्बर मोहम्मद के बारे में की हुई टिप्पणी की भर्त्सना की किंतु भारत के साथ अपने रिश्तों को ध्यान में रखते हुए सब्र से काम लिया‚ किंतु इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का रु ख निंदनीय है। निहित स्वार्थ वशीभूत कुछ देशों के दबाव में यह संगठन ऐसे बयान देता रहा है जो रिश्तों में खटास पैदा करती है। इस संगठन ने भारत में तीन तलाक पर प्रतिबंध और स्कूलों में बच्चों के समान ड्रेस का विरोध किया था और भड़काऊ वक्तव्य दिए थे।
भारत के विदेश मामलों के प्रवक्ता ने इस संगठन को सभी समस्याओं को सांप्रदायिक रूप न देने की सलाह दी और कहा कि सभी धर्मों और विचारधाराओं का सम्मान होना चाहिए। पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री शाहनाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के उस बयान की‚ जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा तेजी से बढ़ रही है‚ निंदा करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों– हिंदू‚ सिख‚ ईसाई और अहमदियों पर जो जुल्म कर रहे हैं उसे रोकें‚ उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन और आतंकवादियों और कट्टरपंथियो को गौरवान्वित करना बंद करें। अल्पसंख्यकों के जान–माल की रक्षा करें और और भारत में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के प्रोपेगेंडा और प्रयास बंद करें। मुस्लिम देशों का गुस्सा तो धीरे–धीरे शांत हो रहा है किंतु अपने देश में कुछ राजनेता और पार्टियों ऐसी हैं‚ जो आग में घी डाल रही हैं‚ राजग सरकार की विदेश नीति पर उंगली उठा रही है‚ वोट बैंक के लिए स्वार्थवश देश के मुसलमानों में डर पैदा करने की कोशिश कर रही हैं‚ मुस्लिम देशों से संबंध खराब होने और वहां बसे भारतीय प्रवासियों की असुरक्षा का भ्रम फैला रही हैं।
मीडिया विशेषकर टीवी चैनलों को भी अपने आप को नियंत्रित करने की आवश्यकता है‚ ऐसे लोगों को बहस में बुलाना और गौरवान्वित करना बन्द करें जो सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के वक्तव्य देते रहते हैं और तनाव पैदा करते की हर कोशिश करते हैं। राजनीतिक दलों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे कट्टरवादिता को बढ़ावा न दें‚ संप्रदायों के बीच सौहार्द बढ़ाएं‚ देश की प्रगति के लिए अच्छा माहौल बनाए रखें। रूस से कम कीमत पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदने के भारत सरकार के फैसले से खाड़़ी और मुस्लिम देश चिंतित हैं। वर्तमान आक्रोश का एक अप्रकाशित कारण यह भी है‚ जो भारत को दबाव में लाने के लिए किया जा रहा है। सऊदी अरब‚ इंडोनेशिया‚ यूएई और बहरीन ने पैगम्बर मोहम्मद के बारे में की हुई टिप्पणी की भर्त्सना की किंतु भारत के साथ अपने रिश्तों को ध्यान में रखते हुए सब्र से काम लिया‚ किंतु इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का रु ख निंदनीय है॥