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Home TAZA KHABAR

माँ तो माँ होती उसका कोई दिन नही होता

UB India News by UB India News
June 4, 2022
in TAZA KHABAR, उप सम्पादक की कलम से, दिन विशेष
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माँ तो माँ होती उसका कोई दिन नही होता

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माँ तो माँ होती उसका कोई दिन नही होता परन्तु भारतीय संस्कृति पश्चमी रंग रोगन के कारण उसे भी आत्मसात करना आवश्यक होता है । आज पूरी दुनिया मदर्स डे मना रही है । माँ शब्द बहुत छोटा है परंतु इसमे महासागर समाया है ।
नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः!
नास्ति मातृसं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया!!
अर्थात्
माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है। माता के समान कोई रक्षक नहीं है और माता के समान कोई प्रिय चीज नहीं।
आज दुनियां मदर्स डे यानी मातृ दिवस मना रही है । यह दिन ‘मात्र’ दिवस बन कर ना रह जाए, इसलिए शब्दों के गंधरहित फूल और भावनाओं के छलछलाते अर्घ्य को लेकर आपके समक्ष उपस्थित हूं। भावनाओं पर बाजारीकरण की तेज व्यार ने इसे पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक पहुँचा दिया है । माँ कोई एक दिन में बंधने वाली या पूजने वाली वस्तु नही है वह तो आपके शरीर के रक्तकोशिकाओ में , धमनियों में , दिल मे दिमाग मे आपके वजूद का आईना बन कर हर पल हर क्षण आपके साथ विराजमान होती है ।
मां केवल एक शब्द या रिश्ता नहीं है। मां ‘ममता’ का सागर है, मां भावनाओं का ऐसा अनुपम संसार है, जिसमें अपनी संतान के लिए केवल प्यार, दुलार और दुआओं की बारिश होती रहती है। उस मां की कितनी भी सेवा की जाए, उसे कितने भी सुख दिए जाएं, उसकी महानता, उसके त्याग के समक्ष उसका कोई मोल नहीं। उसके लिए एक दिन क्या पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया जाए तो भी कम ही है।
अमेरिकन बेटी एना जार्विस की अपनी मां से अगाध प्रेम ने उनके दुनिया से अलविदा कहने के बाद आज के दिन को उनकी याद में मनाने लगी जो आज इस मुकाम तक पहुच गया है । पूरी दुनिया इस भावना को मनाती है । भारत सहित कई पश्चिम देश मई के दूसरे रविवार यानी आज मातृ दिवस मनाते हैं।
बात करें भारतीय भावना की तो एक प्रसंग है जब किसी ने स्वामी विवेकानंद जी से सवाल किया- मां की महिमा संसार में किस कारण है?
स्वामी जी मुस्कराए बोले- पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ और किसी कपड़े में लपेटकर अपने पेट पर बांध लो। चौबीस घंटे बाद मेरे पास आना, फिर बताऊंगा।
उस व्यक्ति ने पत्थर पेट पर बांधा और चला गया। दिनभर पत्थर पेट पर बांधे वह काम करता रहा। पूरे दिन उसे परेशानी हुई। शाम तक वह थक गया। पत्थर का बोझ लेकर चलना उसके लिए असहनीय हो गया।
आखिरकार थककर वह स्वामी जी के पास पहुंचा और बोला- मैं इस पत्थर को बांधकर और नहीं चल सकूंगा।
इसके बाद स्वामी जी ने कहा- पेट पर यह बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया, जबकि मां अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक लेकर चलती है और घर का सारा काम करती है। संसार में क्या मां के सिवाय कोई इतना धैर्यवान और सहनशील है? इसलिए दुनिया में मां की महिमा अलग है।
मां के कई रूप हैं और उसमें धैर्य है, प्यार है और इतनी फिक्र है , उसका कर्ज कभी उतारा नही जा सकता है ।

आधुनिक मातृ दिवस का अवकाश ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी सम्बन्धों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था। यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं। जैसे कि पिताओं को सम्मान देने के लिए पितृ दिवस की छुट्टी मनाई जाती हैं, उसी तरह मातृ दिवस की भी छुट्टी होती है। यह छुट्टी अन्ततः इतनी व्यवसायिक बन गई कि इसकी संस्थापक, एना जार्विस, तथा कई लोग इसे एक “होलमार्क होलीडे”, अर्थात् एक प्रचुर वाणिज्यिक प्रयोजन के रूप में समझने लगे। एना ने जिस छुट्टी के निर्माण में सहयोग किया उसी का विरोध करते हुए इसे समाप्त करना चाहा।

एक विचार धारा ने दावा किया कि मातृ पूजा की रिवाज़ पुराने ग्रीस से उत्पन्न हुई है जो स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में ही मातृ दिवस मनाया जाता है। यह त्यौहार एशिया माइनर के आस-पास और साथ ही साथ रोम में भी वसंत विषुव के आस-पास इदेस ऑफ़ मार्च (15 मार्च) से 18 मार्च तक मनाया जाता था।

कुछ लोगो का मानना है कि मदर्स डे कि शुरूआत एक अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस से होती है। एना जार्विस को अपनी माँ से खास लगाव था। जार्विस अपनी माँ के साथ ही रहती थी और उन्होने कभी शादी भी नहीं की थी। माँ के गुजर जाने के बाद एना ने माँ से प्यार जताने के लिए मदर्स डे की शुरूआत की। तब से हर साल मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।

प्राचीन रोमवासी एक अन्य छुट्टी मनाते थे, जिसका नाम है मेट्रोनालिया, जो जूनो को समर्पित था, यद्यपि इस दिन माताओं को उपहार दिये जाते थे।

यूरोप और ब्रिटेन में कई प्रचलित परम्पराएं हैं जहां एक विशिष्ट रविवार को मातृत्व और माताओं को सम्मानित किया जाता हैं जिसे मदरिंग सन्डे कहा जाता था। मदरिंग सन्डे समारोह, अन्ग्लिकान्स सहित, लितुर्गिकल कैलेंडर का हिस्सा है, जो कई ईसाई उपाधियों और कैथोलिक कैलेंडर में लेतारे सन्डे, चौथे रविवार लेंट में वर्जिन मेरी और “मदर चर्च” को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता हैं। परम्परानुसार इस दिन प्रतीकात्मक उपहार देने तथा कुछ परम्परागत महिला कार्य जैसे अन्य सदस्यों के लिए खाना बनाने और सफाई करने को प्रशंसा के संकेत के रूप में चिह्नित किया गया था।[5]

मातृ दिवस, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में कई देशों में 8 मार्च को मनाया जाता हैं।

“मदर डे प्रोक्लामेशन” जुलिया वार्ड होवे द्वारा सर्वप्रथम अमेरिका में मातृ दिवस मनाया गया था। होवे द्वारा 1870 में रचित “मदर डे प्रोक्लामेशन” में अमेरिकन सिविल वार (युद्घ) और फ्रांको-प्रुस्सियन वार में हुई-मारकाट में शांतिवादी प्रतिक्रिया लिखी गयी थी। यह प्रोक्लामेशन होवे का नारीवादी विश्वास था जिसके अनुसार महिलाओं को राजनीतिक स्तर पर अपने समाज को आकार देने का सम्पूर्ण दायित्व मिलना चाहिए।

महत्व
मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, एक मां बिना ये दुनियां अधूरी है।

मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है भी है।

मातृ दिवस दुनिया भर में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं। गूगल खोज की जांच प्रवृति (Google Trends) के अनुसार “मातृ दिवस” के दो प्राथमिक परिणाम सामने आते हैं, वो है, लेंट में मदरिंग सन्डे की ब्रिटिश परंपरा से चौथे सन्डे (रविवार) का छोटा हिस्सा और मई के दूसरे सन्डे को सबसे बड़ा हिस्सा.[12]

जैसा कि अमेरिकी छुट्टी अन्य देशों और संस्कृतियों के द्वारा अपनाया गया था, इसलिए पहले से ही मातृत्व सम्मान का जश्न मनाने के लिए तारीख बदली गई, UK में मदरिंग सन्डे या यीशु के ग्रीस के मंदिर में परम्परानिष्ठ उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। कुछ देशों में बहुसंख्यक धर्मों के महत्त्वपूर्ण तिथियों की महत्ता को सम्मानित करने के लिए तारीख बदली गयी हैं, जैसे कि कैथोलिक देशों में वर्जिन मेरी डे अथवा इस्लामी देशों में पैगंबर मुहम्मद की बेटी के जन्मदिन के मामले में हुआ। अन्य देशों ने इन्हें ऐतिहासिक तारीखों में बदल दिया, जैसे बोलीविया ने उस खास युद्ध की तारीख का उपयोग किया जिसमें महिलाओं ने हिस्सा लिया था।

अंतर्राष्ट्रीय इतिहास और परम्पराएं
अधिकांश देशों में, मातृ दिवस हाल ही में पालन की गयी छुट्टियों से व्युत्पन्न है जो उत्तरी अमेरिका और यूरोप में विकसित हुई है। जब यह अन्य देशों और संस्कृतियों के द्वारा अपनाया गया था तब इसे दूसरा अर्थ दिया गया, जो अलग घटनाओं (धार्मिक, ऐतिहासिक या पौराणिक) से जुड़े थे और अलग-अलग तारीख या तारीखों पर मनाये जाते थे।

कुछ देशों में पहले से ही मातृत्व का सम्मान करने के लिए समारोह था और उन्होंने समारोह का पालन करने के लिए अपनी स्वयं की मां को गुलनार फूल और अन्य उपहार देने जैसी कई बाहरी विशेषताएं अमेरिकन छुट्टियों से ली गयीं।

विभिन्न देशों में इस समारोह को मनाने का अपना-अपना तौर-तरीका हैं। कुछ देशों में अगर मातृत्व दिवस के उपलक्ष्य पर अपनी मां को सम्मानित नहीं किया गया तो यह अपराध माना जाता हैं। कुछ देशों में, यह एक छोटे से प्रसिद्ध त्योहार के रूप में मनाया जाता हैं, जो अप्रवासियों या मीडिया के अनुसार विदेशी संस्कृति (वैसे ही जैसे कि ब्रिटेन और अमेरिका में दिवाली का त्यौहार) की देन हैं।

धर्म
कैथोलिक धर्म में यह छुट्टी वर्जिन मेरी के श्रद्धांजली देने की प्रथा के साथ जुड़ा हुआ हैं।

हिंदू परंपरा में, इसे “माता तीर्थ औंशी” या “मदर पिल्ग्रिमेज फोर्टनैट” कहा जाता हैं और यह हिंदू जनसंख्या वाले देशों, विशेष रूप से नेपाल में, मनाया जाता हैं।

देश
अफ्रीकी
कई अफ्रीकी देशों ने एक ही तरह का मातृ दिवस मनाने का तरीका ब्रिटिश परंपरा से अपनाया हैं, हालांकि मातृ दिवस मनाने के कई समारोह और घटनाएं जो अफ्रीका के यूरोपीय शक्तियों द्वारा उपनिवेशित होने से पहले कई विभिन्न संस्कृतियों के अंतर्गत अफ्रीकन महाद्वीप में मनाया जाता था।

बोलीविया
बोलीविया में, मातृत्व दिवस 27 मई को मनाया जाता हैं। इसे कोरोनिल्ला युद्घ को स्मरण करने के लिए 8 नवम्बर 1927 को कानून पारित किया गया। यह युद्ध 27 मई 1812 को उस जगह हुआ था जो अब कोचाबाम्बा का शहर कहलाता है। इस लड़ाई में, उन महिलाओं का स्पेनिश सेना द्वारा सरेआम कत्ल कर दिया गया जो देश की आजादी के लिए लड़ रही थी।

चीन
चीन में, मातृ दिवस अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। चीन में इस दिन उपहार के रूप में गुलनार का फूल, जो बहुत लोकप्रिय हैं सबसे अधिक बिकते हैं। ये दिन गरीब माताओं की मदद के लिए 1997 में निर्धारित किया गया था। खासतौर पर लोगों को उन गरीब माताओं की याद दिलाने के लिए जो ग्रामीण क्षेत्रों, जैसे कि पश्चिम चीन में रहती थीं।पीपुल्स डेली (जो चीन के कम्युनिस्ट पार्टी की पत्रिका हैं) के एक लेख में कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र में इस दिन का प्रादुर्भाव होने के बावजूद, चीन के लोग इस छुट्टी को बिना किसी हिचकिचाहट के मनाते हैं क्योंकि ये परम्परागत नीतियों, बुजुर्गों के प्रति सम्मान और संतानों का माता-पिता के प्रति धर्मनिष्ठा, के रूपरेखा के अंतर्गत आते हैं।

हाल ही के कुछ सालों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य ली हंकिऊ ने मातृ दिवस को मेंग मु, जो मेंग जी की मां थीं, की याद में कानूनी मान्यता देने के लिए हिमायत की और 100 कन्फ़ुसियन विद्वान और नैतिकता के प्रवक्ताओं की मदद से गैर सरकारी संगठन बनाया जिसका नाम चाइनिज मदर फेस्टिवल प्रोमोशन सोसाइटी है।उन्होंने पश्चिमी उपहार गुलनार के बदले सफ़ेद लिली देने के लिए कहा जो प्राचीन समय में चीनी महिलाओं द्वारा तब लगाया जाता था जब उनके बच्चे अपना घर छोड़कर जाते थे। सिर्फ कुछ छोटे शहरों के अलावा, यह एक अनौपचारिक त्यौहार रह गया है।

ग्रीस
ग्रीस में मातृ दिवस प्रस्तुति मंदिर में यीशु के रूप में पूर्वी रूढ़िवादी द्वारा मनाया जाता था। चूंकि थियोटोकोस (परमेश्वर की मां), जो मसीह को यरूशलेम के मंदिर तक लाने के कारण प्रमुख रूप से इस उत्सव से संलग्न हैं इसलिए यह दावत माताओं के साथ जुड़ी है।

ईरान
मुहम्मद की बेटी फातिमा का सालगिरह 20 जुमादा अल-ठानी को मनाया जाता है। यह ईरानी क्रांति के बाद बदल दिया गया था, इसका कारण नारीवादी आंदोलनों के सिद्धांतों को हटा कर पुराने पारिवारिक आदर्शों के लिए आदर्श प्रतिरूप को बढ़ावा देना था। यह पहले ईरानी कैलेंडर में शाह युग के दौरान 25 हज़ार था।

जापान
प्रारम्भ में मातृ दिवस जापान में शोवा अवधि के दौरान महारानी कोजुन (सम्राट अकिहितो की मां) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता था। आजकल यह एक विपणन छुट्टी है जिसमें लोग गुलनार के फूल और गुलाब उपहार के रूप में देते हैं।

मेक्सिको
अलवारो ओब्रेगोन की सरकार ने एक्सेलसियर अख़बार के साथ मिलकर 1922 में यह छुट्टी अमेरिका से अपनाई जिसके लिए उस साल जबरदस्त संवर्धन अभियान चलाया गया। रूढ़िवादी सरकार ने इस छुट्टी को माताओं को अपने परिवार में अधिक रूढ़िवादी भूमिका निभाने के लिए इस्तेमाल किया था जिसकी समाजवादियों ने आलोचना करते हुए कहा था कि ये औरतों की एक असत्य छवि को बदावा देते हैं जिसके अनुसार औरत प्रजनन मशीन से ज्यादा कुछ नहीं हैं।

लाज़रो कार्देनस की सरकार ने सन्न 1930 के मध्य में मातृ दिवस को “देशभक्ति का त्यौहार” के रूप में बढ़ावा दिया। कार्देनस सरकार ने इस छुट्टी का उपयोग विभिन्न प्रयासों के लिए एक साधन के रूप में यह सोचते हुए किया कि परिवार का राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान होता हैं और मेक्सिकन लोगों में अपनी मां के प्रति वफादारी का लाभ उठाते हुए चर्च और कैथोलिक प्रथाओं के प्रभावों को कम करते हुए मेंक्सिकन महिलाओं में नई नैतिकता का सूत्रपात किया।सरकार ने स्कूलों में छुट्टी को प्रायोजित किया।

हालांकि, नाटकशाला के नाटकों ने सरकार के इन सख्त निर्देशों को नजर अंदाज कर दिया और इस प्रकार के नाटक धार्मिक प्रतीकों और विषयों से भर गए और सरकार की अनेक चेष्टाओं के बावजूद ये “राष्ट्रीय समारोह” “धार्मिक त्योहार” बन गए।

सोलेदाद ओरोज्को गार्सिया, राष्ट्रपति मैनुअल एविला कामाचो की पत्नी ने, इस छुट्टी को सन् 1940 के दशक के दौरान इसे एक महत्वपूर्ण राज्य प्रायोजित समारोह बनाने में बढ़ावा दिया। 1942 का उत्सव एक पूरे हफ्ते तक चला, जिसमें यह घोषणा की गयी कि सभी महिलाएं पव्नेद सिलाई मशीनों को मोंटे दे पिएदाद से बिना मूल्य पुनः प्राप्त कर सकती हैं।

कैथोलिक राष्ट्रीय स्य्नार्चिस्ट संघ (UNS) ने 1941 के आसपास की छुट्टियों पर ओरोज्कोस की तरक्की के लिए ध्यान देना शुरू कर दिया था।मैक्सिकन क्रांति (आजकल PRI) के सदस्यों जिनकी दुकानें थीं, उनका रिवाज था कि विनम्र वर्ग की महिलाएं मात् दिवस पर उनकी दुकानों पर जाकर कोई भी उपहार मुफ्त में लेकर अपने घर आकर परिवार वालों को दे सकती हैं। स्य्नार्चिस्ट्स इस बात पर चिंतित थे कि यह दोनों भौतिकवाद और निम्न वर्ग के आलस्य को बढ़ावा देगा और बदले में देश के पद्धतिबद्ध सामाजिक समस्याओं को सुदृढ बना देगा। आजकल हम देखते हैं कि वह छुट्टी की प्रथा बहुत रूढ़िवादी बन गयी है, 1940 का UNS नज़र रखे था इस छुट्टी के आधुनिकीकरण पर जो उस समय व्यापक बहस का एक भाग था।

यह आर्थिक आधुनिकीकरण अमेरिकी आदर्श द्वारा प्रेरित किया गया था तथा राज्य ने इसे प्रायोजित किया था और सच्चाई यह थी कि ये छुट्टी मूलतः अमेरिका से आयात की गयी थी, जिसका एकमात्र सबूत था मैक्सिकन समाज पर कैपिटलाइज़ेशन और भौतिकवाद थोपने का एक प्रयास.

इसके अलावा, UNS और लियोन नगर के पादरी ने सरकारी कार्यों में यह देखा कि वे छुट्टी को किसी लौकिक-कार्य में लगा कर समाज में महिलाओं की सक्रिय भूमिका को बढ़ावा देने के साथ, पुरुषों को दीर्घकालिक आत्मिक रूप से कमजोर बना दिया जब महिलाओं ने अपनी पारंपरिक भूमिका को परित्यक्त कर दिया। [27]

उन्होंने इन छुट्टियों को वेर्जिन मेरी पंथ के लौकिक कार्य के रूप में भी अजमाना चाहा, कई छुट्टियों को देक्रिस्तानिज करने के लिए अंदरूनी एक बड़ा प्रयास चल रहा था, जिस पर उन्होंने बड़े पैमाने पर रोक लगाने की कोशिश की और धार्मिक महिलाओं से राज्य के कार्यक्रम में उनकी सहायता करने तथा उन्हें “देपेग्निज” करने का प्रयास किया। उसी समय 1942 में सोलेदाद का छुट्टी का सबसे बड़े उत्सव के रूप में, पादरियों ने लियोन में वर्जिन मेरी का 210वां अनुष्टान समारोह एक बड़े परेड के साथ आयोजित किया।

यहां विद्वानों के विचारो में मेल है कि मैक्सिकन सरकार ने 1940 के दशक के दौरान क्रांति को त्याग दिया, जिसमें मातृ दिवस को प्रभावित करना भी शामिल था।[25] आजकल मैक्सिको में मातृ दिवस और वर्जिन मेरी दोनों ही छुट्टी का एक उत्सव हैं।

नेपाल
“माता तीर्थ औंशी”, जिसका अनुवाद है “मदर पिल्ग्रिमेज फोर्टनाईट” जो बैशाख के महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ता हैं। यह त्यौहार अमावस्या के दिन होता है, इसलिए इसे “माता तीर्थ औंशी” कहते हैं। यह शब्द “माता” अर्थात् मां और “तीर्थ” अर्थात् तीर्थयात्रा शब्द से बना हैं। यह त्यौहार जीवित और स्वर्गीय माताओं के स्मरणोत्सव और सम्मान में मनाया जाता है, जिसमें जीवित माताओं को उपहार दिया जाता हैं तथा स्वर्गीय माताओं का स्मरण किया जाता हैं। नेपाल की परंपरा में माता तीर्थ की तीर्थयात्रा पर जाना प्रचलित हैं जो काठमांडू घाटी के माता तीर्थ ग्राम विकास समिति की परिधि के पूर्व में स्थित हैं।

इस तीर्थ यात्रा के संबंध में एक किंवदंती हैं। प्राचीन समय में भगवान श्री कृष्ण की मां देवकी प्राकृतिक दृश्य देखने के लिए घर से बाहर निकल गयी। उन्होंने कई स्थानों का दौरा किया और घर लौटने में बहुत देर कर दी। भगवान कृष्ण अपनी मां के न लौटने पर दुखी हो गए। वे अपनी मां की तलाश में कई स्थानों पर घूमते रहे परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली। अंत में, जब वह “माता तीर्थ कुंड” पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनकी मां तालाब के फुहार में नहा रही हैं। भगवान कृष्ण अपनी मां को देख कर बहुत खुश हुए और अपनी समस्त शोकपूर्ण घटना जो उनकी माता की अनुपस्थिति में हुई थी उनके आगे कहने लगे। मां देवकी ने कृष्ण भगवान से कहा कि “ओह!बेटा कृष्णा फिर तो इस स्थान को बच्चों की उनकी स्वर्गीय माताओं से मिलने का पवित्र स्थल ही रहने दिया जाये”.तब से यह किंवदंती है कि यह स्थान एक पवित्र तीर्थयात्रा बन गया हैं जहां श्रद्धालु एवं भक्तगण अपनी स्वर्गीय माताओं को श्रद्धा अर्पण करने आते हैं। साथ ही यह भी किंवदंती हैं कि एक भक्त ने अपनी मां की छवि को तालाब में देखा और उसके अंदर गिर कर उसकी मृत्यु हो गई। आज भी वहां एक छोटे से तालाब को चरों तरफ से लोहे की सिकल से बांध दिया गया हैं। पूजा करने के पश्चात तीर्थयात्री वहां पूरे दिन गाने-बजाने का संपूर्ण आनद उठाते हैं। इस किंवदंती को साबित करने का ऐसा कोई भी सबूत नहीं है

थाईलैंड
थाईलैंड में मातृत्व दिवस थाइलैंड की रानी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

रोमानिया
रोमानिया में ये दो अलग छुट्टियों, मातृ दिवस और महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।

यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड
मुख्य लेख: Mothering Sunday
यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड में, मदरिंग सन्डे लेंट के चौथे रविवार को पड़ता है, इस्टर सन्डे के ठीक तीन सप्ताह पहले (23 मार्च 2009 को)। ऐसा माना जाता है कि इसका प्रादुर्भाव 16वीं सदी में ईसाइयों द्वारा प्रत्येक साल अपनी मां के गिरिजाघर में जाने से हुआ हैं, जिसका मतलब है कि अधिकतर माताएं अपनी संतानों से इस दिन मिल सकेंगी।अधिकतर इतिहासकार यह मानते हैं कि युवा नौ‍सिखिया और युवतियां सप्ताह के अंत में अपने स्वामी की गुलामी के बंधन से मुक्त हो कर अपने परिजनों से मिल सकते हैं। धर्मनिरपेक्षता के फलस्वरूप, उचित हैं कि मां के प्रति श्रद्धा अर्पण किया जाये. हालांकि यह अभी भी ऐतिहासिक अर्थों में कुछ चर्चों द्वारा अभिमुल्यन हुआ हैं, पर मदर मेरी जो यीशु मसीह की मां हैं और साथ में परंपरागत संकल्पना ‘मदर चर्च’ को ध्यान में रखते हुए मान्यता प्राप्त हैं।

मदरिंग सन्डे जल्द से जल्द 1 मार्च (उस साल जब ईस्टर दिवस 22 मार्च को पड़ता है) या देर हुई तो 4 अप्रैल को (जब ईस्टर दिवस 25 अप्रैल को पड़ता है) तब मनाया जाता हैं।संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और कनाडा मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाते हैं।

वियतनाम
वियतनाम में मातृ दिवस को ले वू-लैन कहा जाता है और ये चंद्रनामा के सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन मनाया जाता हैं। जो लोग अपनी मां के साथ रह रहे हैं उन्हें शुक्रगुजार होना चाहिए, जबकि जिनकी माताओं की मृत्यु हो गई है उन्हें अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

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