भीषण गर्मी के चलते देशभर में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है। ऐसे में देश के एक चौथाई पावर प्लांट बंद हैं। नतीजा, 16 राज्यों में 10 घंटे तक के बिजली कटौती शुरू हो गई है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, देशभर में 10 हजार मेगावॉट, यानी 15 करोड़ यूनिट की कटौती हो रही है, लेकिन बिजली की कमी वास्तव में कहीं ज्यादा है। इस बीच रेल मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। रेलवे ने पावर प्लांट्स तक कोयले की तेजी से सप्लाई के लिए 24 मई तक कई पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है, ताकि कोयला ले जा रही मालगाड़ियां समय पर निर्धारित स्टेशनों पर पहुंच सकें।
भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक गौरव कृष्ण बंसल के मुताबिक पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करने का फैसला अस्थायी है। स्थिति सामान्य होते ही सेवाएं वापस शुरू कर दी जाएंगी। इस फैसले के बाद रेलवे अपने बेड़े में एक लाख और वैगन जोड़ने जा रहा है। इसके अलावा रेलवे माल को तेजी से पहुंचाने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी बना रहा है।
गुरुवार को बिहार में पीक आवर में बिजली संकट बड़े स्तर पर दिखा। 12 सौ से 14 सौ मेगावाट तक की कमी हो गयी। संकट यह है कि पावर एक्सचेंज में बिजली नहीं रहने की वजह से यह संकट और गहरा गया। इस वजह से फीडर को रोटेशन पर चलाया जा रहा। इस कारण गांव व शहरी क्षेत्र में छह से आठ घंटे तक बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। पांच दर्जन ग्रिडों के लोड शेडिंग पर रखे जाने की सूचना है। वैसे उम्मीद कि शुक्रवार तक स्थिति सामान्य होगी। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि नवीनगर बिजली उत्पादन इकाई से बिजली मिलने लगेगी तो स्थिति ठीक हो जाएगी।
पीक आवर में 63 सौ मेगावाट तक पहुंच रही डिमांड
आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार पीक आवर में बिजली की मांग 62 सौ से 63 सौ मेगावाट तक पहुंच रही है। आपूर्ति रात आठ बजे 49 सौ मेगावाट की थी। एनटीपीसी द्वारा 47 सौ मेगावाट की आपूर्ति हो रही है। एनटीपीसी की कहलगांव की एक यूनिट बंद होने से परेशानी थी। यह यूनिट देर शाम चालू हो गयी है। बाढ़ की एक यूनिट भी कल तक लाइटअप हो जाने की उम्मीद है। बिजली कंपनी के सीएमडी संजीव हंस ने बताया कि पावर एक्सचेंज में बिजली की अनुपलब्धता का स्थिति यह है कि बिजली ने बुधवार को पंद्रह सौ मेगावाट बिजली के लिए बिड किया था पर मात्र नौ मेगावाट बिजली ही उपलब्ध हो सकी। एक दिन छह सौ मेगावाट का बिड हुआ तो 29 मेगावाट बिजली मिली।
बिहार में बिजली की कमी नहीं होने देगी सरकार
ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने गुरुवार को कहा कि सरकार बिहार में बिजली कमी नहीं होने देगी। बिहार में बिजली की कमी को पूरा करने के लिए हर स्तर पर प्रयासरत है। जदयू प्रदेश कार्यालय में जन सुनवाई कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में उन्होंने यह बात कही। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि नवीनगर बिजली केंद्र की एक यूनिट आज चालू हो जाएगी। इसके बाद बिहार को पांच सौ से छह सौ मेगावाट बिजली की उपलब्धता हो सकेगी। सरकार प्राथमिकता के आधार पर एक हजार यूनिट बिजली की कमी को पूरा करने में लगी है। एक-दो दिनों के अंदर इसका निराकरण कर लिया जाएगा।
वहीं, बिजली कटौती का असर अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी होने लगा है। कोयले की कमी के गहराते संकट के बीच दिल्ली सरकार ने मेट्रो और अस्पतालों समेत कई आवश्यक संस्थानों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति में असमर्थता जताई है। दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने स्थिति का आकलन करने के लिए गुरुवार को एक आपातकालीन बैठक की। साथ ही केंद्र को पत्र लिखा और अनुरोध किया कि वह राष्ट्रीय राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
जैन ने बताया कि दादरी-2 और ऊंचाहार बिजली स्टेशनों से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। वर्तमान में दिल्ली में बिजली की 25-30% मांग इन बिजली स्टेशनों से ही पूरी की जा रही है। इन स्टेशनों में पिछले कुछ दिनों से कोयले की कमी है। ऐसे में समस्या कभी भी गहरा सकती है।
उधर, अकेले यूपी में ही 3 हजार मेगावॉट से ज्यादा की कमी है। वहां 23 हजार मेगावॉट बिजली की डिमांड है, जबकि सप्लाई 20 हजार मेगावाॅट है। बिजली कटौती का मुख्य कारण देश के एक चौथाई बिजली प्लांट्स का बंद होना है। इनमें से 50% प्लांट कोयले की कमी के चलते बंद हैं।
पावर सेक्टर के विशेषज्ञ शैलेंद्र दुबे ने भास्कर को बताया कि देश में बिजली उत्पादन की मौजूदा क्षमता 3.99 लाख मेगावाॅट है। इसमें 1.10 लाख मेगावाॅट रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर-विंड) की हिस्सेदारी है। बाकी बचे 2.89 लाख मेगावाॅट में से 72,074 मेगावाॅट क्षमता के प्लांट बंद हैं। इनमें से 38,826 मेगावाॅट क्षमता के प्लांट्स में उत्पादन हो सकता है, लेकिन ईंधन उपलब्ध नहीं है। 9,745 मेगावाॅट क्षमता के प्लांट्स में शेड्यूल्ड शटडाउन है। 23,503 मेगावाॅट क्षमता के प्लांट अन्य कारणों से बंद पड़े हैं।
ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक देश के 18 पिटहेट प्लांट यानी ऐसे बिजलीघर, जो कोयला खदानों के मुहाने पर ही हैं, उनमें तय मानक का 78% कोयला है। जबकि दूर दराज के 147 बिजलीघर (नॉन-पिटहेट प्लांट) में मानक का औसतन 25% कोयला उपलब्ध है। यदि इन बिजलीघरों के पास कोयला स्टॉक तय मानक के मुताबिक 100% होता तो पिटहेट प्लांट 17 दिन और नॉन-पिटहेट प्लांट्स 26 दिन चल सकते हैं।
देश के कुल 173 पावर प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में कोयला शून्य से लेकर 25% के बीच ही है। दरअसल कोयला प्लांट बिजली उत्पादन को कोयले के स्टॉक के मुताबिक शेड्यूल करते हैं। स्टॉक पूरा हो तो उत्पादन भी पूरा होता है।
रेलवे ने कहा है एक हफ्ते में ही कोल सप्लाई में 10% की वृद्धि हुई है। मालगाड़ी के खदान से प्लांट तक पहुंचने का समय 12% से 36% घटा है।
पूरी क्षमता से चलें प्लांट्स: जोशी
केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि देशभर के थर्मल प्लांट्स के पास 2.20 करोड़ टन कोयला है, जो 10 दिन के लिए काफी है। ऐसे में उन्हें पूरी क्षमता के साथ उत्पादन करना चाहिए। सीसीएल के प्रबंध निदेशक पीएम प्रसाद ने बताया कि प्लांट्स को रोज 2.2 लाख टन कोयला दिया जाएगा।