मुजफ्फरपुर-दरभंगा हाई-वे से एकदम सटा है बोचहां विधानसभा का आदी गोपालपुर गांव। जितनी रफ्तार से इस हाईवे पर दिन-रात गाड़ियां भागती हैं उतनी ही ठहरी है यहां के लोगों की जिंदगी। गांव के मुख्य द्वार पर 40 साल के राधेश्याम मिश्रा मिले। कहते हैं बोचहां में बस चुनाव है मुद्दे मत पूछिए।
युवा बेरोजगार हैं। महंगाई चरम पर है। राशन और सिलेंडर तो मिला है लेकिन आसमान छूती गैस की कीमतों को कौन भराए। इस पर बात करने की फुर्सत किसी नेता को नहीं है। गांव के अंदर जाने पर कुछ बुजुर्ग महिलाएं चौका करने की तैयारी कर रही थीं। उनकी शिकायत है कि जब शराबबंदी नहीं थी तो बारात से दुल्हन साथ लौटती थी। अब तो बेटों और भाइयों के मरने की खबरें आती हैं।
जाति से ऊपर चुनाव उठा कहां है…
बगल में ही एक घर का दालान है। आधा दर्जन से ज्यादा लोग एक साथ बैठे अपनी बतकही में मशगूल थे। यहां हमें 80 साल के एक बुजुर्ग मिलते हैं। कहते हैं 1965 से चुनाव देखते आ रहे हैं। बिहार कितना बदला इस पर लंबी चर्चा हो सकती है लेकिन चुनाव कहां बदला। यहां तो कल भी जाति पर वोट डाले जाते थे इस बार भी डाले जाएंगे। जाति के गांव के हिसाब से वहां के कैंडिडेट को तय कर लीजिए।
जनता के मुद्दे नदारद हैं
ये कहानी केवल आदी गोपालपुर की नहीं है। बोचहां विधानसभा के बाखला, बरमतपुर, शेरपुर, सुस्ता, बोचहां, रामपुर सहिला जैसे एक दर्जन से अधिक गांव में घूमने के बाद यह स्पष्ट है कि बोचहां के इस उपचुनाव में जनता के मुद्दे पूरी तरह नदारद हैं। हर कोई बस सहानुभूति पाने की मशक्कत मे ंलगा है। कोई बेटे की बेइज्जती के नाम पर तो कोई बेटी की इज्जत के नाम पर तो कोई घर के सम्मान के नाम पर लोगों को भावुक कर अपने पाले में करने में जुटा है।
शराबबंदी के बाद दर्ज हुए केस का विरोध
बरमतपुर गांव पहुंचते ही किशोर राय सबसे पहले अपना मोबाइल स्क्रीन दिखाते हैं। स्क्रीन पर कॉल लॉग में सबसे ऊपर चुनाव लड़ रहे एक कैंडिडेट का नाम होता है। वे कहते हैं साइलेंट वोटर हैं। जाति ही सबसे बड़ा मुद्दा होगा। कैमरा ऑन होते ही वे विकास की बात करने वाले को वोट देने की बात करने लगते हैं। वो कहते हैं कि शराबबंदी के कानून न युवाओं के करियर को बर्बाद कर दिया।
निर्णायक भूमिका में भूमिहार
बोचहां विधानसभा में इस बार अगड़े खास कर भूमिहार निर्णायक भूमिका में है। स्थानीय प्रतिनिधि के मुताबिक पूरे विधानसभा में लगभग 30 हजार से ज्यादा भूमिहार जाति के वोटर हैं। ये जिस तरफ एकमुश्त वोट डाल देंगे उनकी जीत तय है। हालांकि ये वर्ग अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है। सभी दलों के बड़े नेता इस पर अपना डेरा डाल रहे हैं।
बेबी को एंटी इन्कमबेंसी का नुकसान
BJP की मौजूदा प्रत्याशी बेबी कुमारी 2015 में यहां भारी बहुमत से निर्दलीय जीत चुकी हैं। उस कार्यकाल का खामियाजा उन्हें इस बार मिलता हुआ दिख रहा है। बोचहां की बड़ी आबादी में उनकी पिछले कार्यकाल के कार्यों से नाराजगी है। लोग खुल कर इसका विरोध भी कर रहे हैं। इसके बाद सत्ता में उनकी पार्टी की सरकार होने के कारण भी साहनुभूति वोट उनसे छिटकता हुआ दिख रहा है।
युवा और साफ छवि का अमर को मिल सकता है लाभ
अमर पासवान सिटिंग विधायक दिवंगत मुसाफिर पासवान के बेटे हैं। विधायक रहते हुए उनका निधन हुआ था। ऐसे में लोगों के मन में उनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर दिख रहा है। इसके साथ ही अमर पासवान की अपनी साफ छवि भी लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ा रहा है। हर वर्ग में उनके समर्थक हैं। हालांकि अगड़ी जाति का एक बड़ा वर्ग उनसे छिटकता हुआ भी दिख रहा है।
VIP के साथ के बाद भी कमजोर पड़ती दिख रहीं गीता
डॉ. गीता कुमारी दिग्ज नेता व पूर्व मंत्री रमई राम की बेटी हैं। रमई राम पिछले दो दशक से ज्यादा समय तक यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार ये VIP से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। रमई राम के अनुभव और VIP के चुनाव चिन्ह पर लड़ने के बाद भी गीता कमजोर दिख रही हैं। लोग रमई राम की ओर से किए गए काम को तो याद करते हैं लेकिन वोट देने के नाम पर वो पीछे हटते दिख रहे हैं।