विधान सभा में बुधवार को पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की भी पोल खुल गई है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार के जिला अस्पतालों में कुत्ता और सूअरों का बसेरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि २०१३ और २०१८ के आंकडों से पता चला है कि स्वास्थ्य संकेतक के मामले में बिहार की स्थिति राष्ट्रीय औसत के बराबर नहीं है। इसके लिए राज्य सरकार को एक बेहतर योजना बनाने की आवश्यकता थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जांच में पाया गया है कि जिला अस्पतालों में बेड की भारी कमी है। इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड की तुलना में बेड की कमी ५२ से ९२ के बीच थी। बिहार शरीफ और पटना जिला अस्पताल को छोड दें तो २००९ में स्वीकृत बेड के केवल २४ से ३२ प्रतिशत ही मिले। सरकार ने वर्ष २००९ में इन अस्पतालों में बेड की संख्या को स्वीकृत किया था। १० साल बाद भी वास्तविक बेड की संख्या नहीं बढायी गयी। जिला अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर की स्थिति भी अच्छी नहीं है। एनएचएम गाइड बुक में निर्धारित २२ प्रकार के नमूना जांच की दवाओं में औसतन २ से ८ प्रकार की दवाएं मिलीं। बिहारशरीफ और जहानाबाद में दवाओं की अनुपलब्धता के बावजूद समय से मांग भी नहीं की गयी। ऑपरेशन थिरयेटर में आवश्यक २५ प्रकार के उपकरणों के विरुद्ध केवल ७ से १३ प्रकार के उपकरण ही उपलब्ध थे। आईपीएचएस के अनुसार सभी जिला अस्पतालों में २४ घंटे ब्लड बैंक की सेवा होनी चाहिए लेकिन ३६ जिला अस्पतालों में ९ बिना ब्लड बैंक के कार्यरत हैं। वित्तीय वर्ष २०१४ से २०२० के दौरान लखीसराय और शेखपुरा को छोडकर सभी जिलों में बिना वैध लाइसेंस के ब्लड बैंक चल रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि निरीक्षण के दौरान केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की टिप्पणी का सरकार ने अनुपालन नहीं किया।
36 जिला अस्पतालों में से 9 में ब्लड बैंक नहीं
CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि OT में आवश्यक 25 प्रकार के उपकरणों के विरुद्ध केवल 7 से 13 प्रकार के उपकरण ही उपलब्ध थे। IPHS के अनुसार, सभी जिला अस्पतालों में 24 घंटे ब्लड बैंक की सेवा होनी चाहिए। लेकिन 36 जिला अस्पताल में से 9 बिना ब्लड बैंक के कार्यरत हैं। वित्तीय वर्ष 2014 से 2020 के दौरान लखीसराय और शेखपुरा को छोड़कर सभी जिलों में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक चल रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि निरीक्षण के दौरान केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की टिप्पणी का सरकार ने अनुपालन नहीं किया।
आवश्यक संख्या में डॉक्टरों और स्वास्थकर्मियों की भर्ती सुनिश्चित हो
CAG की रिपोर्ट में ये कमेंट किया गया है कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में आवारा कुत्ते घूमते हैं। जहानाबाद जिला अस्पताल परिसर में आवारा कुत्ते देखे गए। मधेपुरा जिला अस्पताल में अगस्त 2021 में आवारा सुअरों का झुंड दिखा। मधेपुरा जिला अस्पताल में कूड़ा और खुला नाला पाया गया। जहानाबाद जिला अस्पताल में नाले का पानी, कचरा, मल, अस्पताल का कचरा बिखरा मिला। CAG ने अनुशंसा की है कि आवश्यक संख्या में डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल और अन्य सहायक कर्मचारियों की भर्ती सुनिश्चित हो। जिला अस्पतालों में पर्याप्त मानव बल, दवाओं और उपकरणों की उपलब्धता की निगरानी की जाए।