पिछले कुछ दिनों में बिहार की राजनीति में अहम बदलाव आया है। VIP को बीजेपी ने आउट कर दिया तो वहीं उनके 3 विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए। इसी क्रम में बीजेपी के सांसद अजय निषाद ने मुकेश सहनी को एनडीए से आउट होने की पूरी बात बताई। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सहनी बीजेपी का अपमान करने लगे थे इसलिए उन्हें आउट किया गया। उन्होंने कहा कि वे बीजेपी का साथ मांगने आए थे तो हमलोगों ने उन्हें उनकी मुंह मांगी 11 सीटें दी। मुकेश सहनी खुद की सीट हार गए।
यूपी में चुनाव लड़ना सहनी को पड़ा महंगा
सांसद अजय निषाद ने बताया कि जैसे ही यूपी चुनाव की तारीखों की घोषणा हुई, मुकेश सहनी मीडिया के माध्यम से अखबारों में प्रचार करवा कर यूपी में चुनाव लड़ने की घोषणा करने लगे। तब हमने उन्हें हिदायत दी थी कि अगर आप यूपी में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। और बोचहा में बीजेपी का साथ मांगेंगे तो ऐसा नहीं होगा। फिर भी मुकेश सहनी अपनी जिद पर अड़े रहे और यूपी में चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने हुंकार भर दिया भर दिया।
योगी-मोदी के खिलाफ भी खूब बोलते थे सहनी
अजय निषाद ने कहा कि मुकेश सहनी चुनाव लड़ने के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी का अपमान भी करने लगे थे। हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी जी के खिलाफ भी अपशब्द का प्रयोग करते थे। फिर खटास धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि भाजपा ने उन्हें आउट करने का निर्णय ले लिया। उनकी पार्टी के तीनों विधायक भाजपा के पृष्ट भूमि के थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ आना सही समझा और भाजपा में शामिल हुए।
पीएम और यूपी के सीएम को कहे अपशब्द
अजय निषाद ने कहा कि भाजपा ने अपने गठबंधन में पूरे सम्मान के साथ मुकेश सहनी को शामिल किया था। उनसे किया हुआ हर-एक वादा पूरी ईमानदारी से भाजपा ने निभाया है। इससे विपरीत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सहनी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ संसदीय मर्यादा के विपरीत अपशब्दों का इस्तेमाल किया। सहनी ने भाजपा से बिहार विधानसभा चुनाव में 11 सीटें मांगीं, जो उन्हें दी गईं। निषाद बहुल विधानसभा क्षेत्र से हार जाने के बाद भी सहनी को विधान परिषद का सदस्य बनाकर सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन जैसे बड़े विभाग का मंत्री बनाया गया।
आंकड़े बताते हैं कि कैसे रोड़ा बने सहनी
उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग को 1561.72 करोड़ रुपये सरकार द्वारा दिए गए, उनमें मात्र 37 प्रतिशत हिस्सा यानी 604.21 करोड़ ही मुकेश सहनी खर्च करा पाए। इनमें भी 302 करोड़ उन्होंने मंत्रालय के कामकाज और कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च किया है। यह उनकी अकर्मण्यता का परिचायक है। आंकड़े बताते हैं कि मुकेश सहनी निषाद समाज की उन्नति के रास्ते में रोड़ा बनकर बैठे थे।
अजय निषाद ने कहा कि जिस मंत्रालय को मुकेश सहनी संभाल रहे थे, उसी विभाग ने लालू प्रसाद को जेल पहुंचाया। अब मुकेश सहनी की बारी है।