विधान मंड़ल के दोनों सदनों से बुधवार को चार विधेयक पारित हो गये। गृह विभाग के प्रभारी मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बिहार पुलिस संशोधन विधेयक पेश किया। उन्होंने कहा कि निरीक्षक से सिपाही स्तर के पुलिस कर्मियों का कार्यकाल एक जिलें में पांच वर्ष‚ एक क्षेत्र में आठ वर्ष तथा इकाइयों में समेकित रूप से आठ वर्ष का होगा। क्षेत्र के अंदर एक जिले से दूसरे जिले में इनका स्थानांतरण समिति द्वारा किया जायेगा। समिति के अध्यक्ष क्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक/पुलिस महानिरीक्षक होंगे जबकि संबंधित जिलों के पुलिस अध्यक्ष सदस्य होंगे। निरीक्षक से सिपाही स्तर के पुलिस कर्मियों को अंतर क्षेत्र तथा जिलों में एवं इकाइयों के बीच अंतर स्थानांतरण के निमित्त पुलिस महानिदेशक राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद समतियों का गठन कर सकेंगे। उप मुख्यमंत्री तारिकशोर प्रसाद ने बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन संशोधन विधेयक पेश करते हुए कहा कि वर्तमान में १५वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में तथा उक्त अधिनियम के अंतर्गत वित्तीय वर्ष २०२२–२३ में वार्षिक उधार सीमा को ३.५ फीसद की सीमा तक तथा वित्तीय वर्ष २०२३–२४ से २०२५–२६ की तीन वर्ष की अवधि के लिए राज्य की वार्षिक उधार सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद के तीन फीसद सीमा तक बढ़ाये जाने के निमित करते हुए यह विधेयक लाया गया है। साथ ही २०२२–२३ से २०२४–२५ की अवधि के लिए निर्धारित अधिसीमा के अतिरिक्त राज्य का राजकोषीय घाटा लक्ष्य एवं वार्षिक उधार सीमा ०.५ फीसद से वर्धित होगा। यह अतिरिक्त उधार सीमा भारत सरकार द्वारा निर्धारित शर्त के अधीन होगा। राज्य सरकार को उपर्युक्त संशोधन के फलस्वरूप वित्तीय वर्ष २०२२–२३ से २०२५–२६ तक अतिरिक्त ऋण सुविधा प्राप्त होगी जिसे अधिनियमित करना ही इसका अभिष्ट है। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सिंह ने बिहार नगरपालिका संशोधन विधेयक पेश करते हुए कहा कि बिहार नगरपालिक अधिनियम‚ २००७ में नगरपालिकाओं के मुख्य पार्षद एवं उप मुख्य पार्षद पद का निर्वाचन वार्ड़ पार्षदों के बहुमत से अप्रत्यक्ष रूप से कराने तथा दो वर्ष के उपरांत अविश्वास प्रस्ताव लाने तथा उसके उपरांत पुनः एक–एक वर्ष के अंतराल के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान रहने के फलस्वरूप निर्वाचित पार्षदों के बीच गुटबाजी एवं अनुचित दबाव के कारण नगरपालिकाओं के विकास एवं अन्य कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़़ता है। मख्य पार्षद एवं उप मुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के उपरांत पुनः निर्वाचन में उनकी अभ्यर्थिता होने के कारण अनियमिताआ की संभावना बनी रहती है। इस प्रकार स्थानीय स्वशासन की भावनाओं के अनुरूप नहीं रहने तथा ग्रास रूट स्तर पर स्वस्थ लोकतंत्र अवधारणा के विरुद्ध होने के कारण नगरपालिकाओं के मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से मुख्य पार्षद एवं उप मुख्य पार्षद निर्वाचित करने के प्रावधान हेतु बिहार नगर पालिका अधिनियम‚ २००७ में संशोधन किया गया है। वहीं बिहार मद्य निषेध‚ उत्पाद एवं निबंधन मंत्री ने बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक पेश किया।
बिहार में दिखाएंगे औकात……..
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर सियासी बवाल मच गया है। इस बार दिल्ली में सीट...