दूनिया की सबसे प्रतिष्ठित टी–20 लीग आईपीएल की २६ मार्च से शुरुआत हो रही है। इस बार इस लीग के स्वरूप में थोड़़ा बदलाव हुआ है। इस बार गुजरात टायटंस और लखनऊ सुपर जायंट्स के रूप में दो नई टीमों के शामिल हो जाने से भाग लेने वाली टीमों की संख्या १० हो गई है। इस बार लीग की खास बात यह है कि ज्यादातर टीमों की कमान यंग जेनरेशन के हाथों में है। इन कप्तानों में से हम यदि केएल राहुल को छोड़़ दें तो ज्यादातर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कप्तानी करने का अनुभव नहीं है। सही मायनों में इस लीग की फ्रेंचाइजियों की कप्तानी को लेकर सोच बदली है। वे अब सोचती हैं कि ऐसा कप्तान बनाए जाए कि वह अपने शानदार प्रदर्शन से टीम को अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित कर सके।
यह सही है कि हम यदि अब तक हुए १४ सत्रों में खिताब जीतने की बात करें तो सभी खिताब अनुभवी कप्तानों ने ही अपनी टीमों को दिलाए हैं। अब तक नौ खिताब तो रोहित शर्मा की अगुआई वाली मुंबई इंडि़यंस और महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई वाली चेन्नई सुपर किंग्स ने ही जीते हैं। इसके अलावा‚ राजस्थान रॉयल्स‚ डे़क्कन चार्जर्स और सनराइजर्स हैदराबाद को चैंपियन बनाने वाले कप्तान शेन वार्न‚ एड़म गिलक्रिस्ट और डे़विड़ वार्नर भी खासे अनुभवी थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि धोनी और रोहित अपने फैसलों से कई बार अपनी टीम की किस्मत बदलने में सफल रहे हैं‚ लेकिन अब लगता है कि ज्यादातर फ्रेंचाइजियों ने कप्तान चुनने में अनुभव को बहुत अहमियत नहीं दी है। यही वजह है कि केकेआर ने श्रेयस अय्यर‚ दिल्ली कैपिटल्स ने ऋषभ पंत‚ पंजाब किंग्स ने मयंक अग्रवाल‚ गुजरात टायटंस ने हार्दिक पांड़¬ा‚ लखनऊ सुपर जायंट्स ने केएल राहुल और राजस्थान रॉयल्स ने संजू सेमसन को कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं धोनी‚ रोहित‚ केन विलियम्सन और फाफ डु़ प्लेसिस अनुभवी कप्तान हैं। सही मायनों में इस बार युवा और अनुभव का मुकाबला होने जा रहा है। देखने वाली बात यह होगी कि इस बार कौन किसे पटकनी देने में कामयाब होता है। युवा पीढ़ी को टीमों की बागड़़ोर सौंपना टीमों की सोच में बदलाव को दर्शाता है। असल में ज्यादातर टीमें मुख्य कोच के रूप में नामी खिलाडि़़यों को रखने के साथ मेंटोर के रूप में भी नामी खिलाडि़़यों को रखती हैं। यही नहीं सपोर्ट स्टाफ में भी अनुभवी लोग होते हैं। इन सभी को रणनीतियां बनाने की जिम्मेदारी दी जाती है। बहुत संभव है कि ज्यादातर कप्तानों को अपनी मर्जी से टीम चुनने की भी छूट नहीं मिले। टीमों ने कप्तान और कोच के साथ मेंटोर को जोड़़कर फैसले लेने वाला तंत्र विकसित किया है। इसलिए कप्तानों की प्रमुख जिम्मेदारी खुद अपना बेस्ट देने के अलावा टीम के खिलाडि़़यों से बेस्ट दिलवाना रह गया है। रणनीतियां बनाने में कोचों और मेंटोर के साथ रहने से युवा कप्तानों को सीखने को भी बहुत कुछ मिलने वाला है। इससे कप्तानों की एक नई पौध को तैयार करने में मदद मिलेगी। जहां तक भारत की बात है तो इस आईपीएल में अय्यर‚ पंत और राहुल के रूप में तीन कप्तान ऐसे हैं‚ जिन्हें भविष्य का भारतीय कप्तान माना जा रहा है। इन सभी में आईपीएल के दौरान आने वाली परिपक्वता भविष्य में राष्ट्रीय टीम के काम आएगी। इस बार मेगा ऑक्शन होने की वजह से ज्यादातर टीमों का स्वरूप बदल गया है। पिछली चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स की ही बात करें तो इसे पिछली बार चैंपियन बनाने वाले फाफ डु़ प्लेसिस‚ शार्दुल ठाकुर‚ जोस हेजलवुड़ इस बार टीम में नहीं होंगे। प्रमुख पेस गेंदबाज दीपक चाहर भी चोटिल हैं‚ लिहाजा‚ उनके खेलने में संशय है।
इसी तरह मुंबई इंडि़यंस टीम के कोर खिलाड़़ी रहे ट्रेंट बोल्ट‚ हार्दिक पांड़¬ा‚ क्विंटन डि़कॉक‚ क्रुणाल पांड़¬ा और राहुल चाहर और दिल्ली कैपिटल्स में श्रेयस अय्यर‚ शिखर धवन‚ रविचंद्रन अश्विन की अनुपस्थिति में टीमों का स्वरूप एकदम से बदल जाने वाला है। यही स्थिति बाकी टीमों की है। इससे इस बात का संकेत जरूर मिलता है कि टीमों की सही ताकत का अंदाजा लीग चरण के कुछ मैच होने पर ही पता चल सकेगा। ताश के खेल में जिस तरह पत्ते फेंट दिए जाते हैं‚ उसी तरह खिलाड़़ी भी फेंट दिए गए हैं।
इस बार दो टीमें बढ़ने पर भाग लेने वाली टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया है। कार्यक्रम इस तरह बनाया गया है कि लीग चरण में टीमों को पहले की तरह ही १४–१४ मैच खेलने को मिलेंगे। ग्रुप की टीमें आपस में दो–दो मैच खेलेंगी। इसके बाद दूसरे ग्रुप की एक टीम से दो और बाकी चार टीमों से एक–एक मैच खेलेंगी। इस बार कुछ नये नियम भी लागू किए गए हैं। अब टीम को एक पारी के दौरान एक के बजाय दो ड़ीआरएस मिलेंगे। अब खिलाड़़ी के आउट होने पर नया आने वाला खिलाड़़ी ही स्ट्राइक लेगा। ओवर बदलने पर ही यह स्थिति बदलेगी। सबसे महkवपूर्ण बात यह है कि यदि कोई टीम कोविड़ के कारण पूरी टीम नहीं उतार पाती है‚ तो उसका मैच फिर से तय किया जाएगा।