प्रधानमंत्री की रेलवे को अत्याधुनिक बनाने की मंशा को कवच के रूप में मंजिल मिल गई है। स्वदेशी टक्कररोधी ट्रेन नियंत्रण प्रणाली कवच से ट्रेनें बेधड़क होकर अधिक रफ्तार के साथ चल सकेंगी। इस प्रणाली से ट्रेन लोको पायलट को बार–बार रफ्तार कम करके सिग्नल को पार करने की चिंता नहीं होगी। सिग्नल रेड होने अथवा सामने कोई अवरोध आने पर ट्रेन स्वतः रुक जाएगी। इससे ट्रेन दुर्घटना होने की आशंका शून्य रहेगी। इस नवविकसित प्रणाली का निरीक्षण और प्रदर्शन शुक्रवार को रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां स्वयं ट्रेन में सवार होकर किया।
तेलंगाना के विकाराबाद जिले में चिट्ठी गुड्डा और गुल्लागुडा रेलवे स्टेशनों के कवच का प्रदर्शन किया गया। चिट्ठी गुड्डा रेलवे स्टेशन की ओर से रेलवे बोर्ड के सीआरबी एवं सीईओ विनय कुमार त्रिपाठी और दूसरी ओर से गुल्लागुड़ा से रेलमंत्री अि·ानी वैष्णव अलग–अलग ट्रेनों से एक ही लाइन पर आ रहे थे। करीब ३०० मीटर पहले लोको पायलटों के ब्रेक लगाये बगैर दोनों कवच के कारण रुक गइ। इस दौरान दोनों ट्रेनों की रफ्तार १०० किलोमीटर थी। रेलमंत्री ने कवच की सफलता की जमकर तारीफ की।
रेलमंत्री ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस बजट में देश में २००० किलोमीटर रेल मार्ग को कवच तकनीक से लैस किया जाएगा। फिर अगले चार से पांच हजार किलोमीटर सालाना कवच का क्रियान्वयन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि रेलवे के आरडीएसओ द्वारा विकसित इस कवच की लागत करीब ४० लाख रु पये प्रति किलोमीटर है जबकि विदेशी तकनीक डेढ़ से दो करोड़ रु पये प्रति किलोमीटर है। इस तकनीक के क्रियान्वयन से लोकोपायलट अधिक आत्मविश्वास से गाड़ी चला सकेंगे।
दरअसल ट्रेन टक्कर रोधी प्रणाली को तकनीकी रूप से अपग्रेड करके कवच का नाम दिया गया है। मौजूदा रेललाइनों पर १६० किलोमीटर प्रति घंटे की र~तार से ट्रेन चल सकेंगी। इससे देश में सेमी हाई स्पीड ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी। अभी सेमी हाई स्पीड ट्रेन के रूप में देश में केवल २ ट्रेनें बंदे भारत एक्सप्रेस है जिनकी रफतार १६० किलोमीटर प्रतिघंटे है। इस प्रणाली के विकसित होने के बाद दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हावड़ा १६० किलोमीटर प्रतिघंटे की र~तार से ट्रेन में चली सकेंगी।