अपने सालाना प्रेस कांफ्रेंस में देश की सबसे साधन संपन्न और तेजतर्रार दिल्ली पुलिस ने सूबे में अपराध और उससे निपटने की अपनी रणनीति का ब्योरा पेश किया। हत्या‚ लूट‚ रंगदारी‚ छिनैती‚ दंगे‚ बलात्कार और बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के बारे में जानकारी साझा की गई तो यह भी विस्तार से बताया कि देश की राजधानी को अपराध मुक्त कैसे रखा जाएॽ कैसे अपराधियों को जल्द दबोचने की तकनीक और कौशल विकसित किया जाएॽ निःसंदेह दिल्ली पुलिस के चीफ राकेश अस्थाना ने महज अपने छह महीने के कार्यकाल में दिल्ली पुलिस में कई बड़े़ बदलाव की इबारत लिखी है। उसकी कार्यशैली को काफी हद तक अत्याधुनिक बनाने और जवानों में आत्मविश्वास भरने का काम भी छोटे से कार्यकाल के दौरान हुआ है। बहुत साफगोई से आंकड़़ों को सामने रखते हुए यह बताया गया कि अपराध २०२० के मुकाबले २०२१ में बढ़े‚ मगर अपराधियों को धर दबोचने में भी बड़़ी कामयाबी हाथ लगी है। हां‚ साइबर अपराध को लेकर जरूर चिंता जाहिर की गई है। जिस तरीके से न केवल दिल्ली मगर पूरे देश में साइबर अपराध सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते जा रहा हैं‚ वह वाकई बड़़ी चुनौती है। आंकडे बताते हैं कि राजधानी दिल्ली में हर घंटे साइबर अपराधियों की १४ कॉल आती है। २०२१ में औसतन हर दिन ३१५ साइबर अपराध की कॉल आई। स्वाभाविक तौर पर इस चुनौती से पार पाने के लिए पिछले वर्ष नवम्बर में सभी १५ जिलों में एक–एक साइबर थाने की शुरुआत की गई थी। इसी तरह पिछले वर्ष पुलिस को साइबर ठगी की १‚१५‚०१३ शिकायतें मिली थीं। यही हाल बाकी राज्यों का भी है। लॉकड़ाउन में साइबर अपराध के मामलों में अभूतपूर्व तेजी आई। चूंकि डि़जिटल लेन–देन की प्रक्रिया हाल के वर्षों में परवान चढ़ी है लिहाजा इस तरह के अपराध की बाढ़ सी आ गई है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने की पहल जरूर होनी चाहिए। किसी भी तरह की लेन–देन को लेकर किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए‚ इसका भान आमजन को होना जरूरी है। बाकी राज्यों को भी दिल्ली पुलिस की तर्ज पर अपराध की रोकथाम और तफ्तीश की बेहद अत्याधुनिक तकनीक का अध्ययन कर उसे अपने यहां अमल में लाना चाहिए। इस बात में कोई शक नहीं कि साइबर अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़़ा खतरा है। चुनांचे‚ उस पर काबू पाने के लिए तैयारियां भी चौकस होनी चाहिए।
कहां छिपा है पाकिस्तान का परमाणु भंडार?
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