बिहार में कांग्रेस अपनी वास्तविक स्थिति को नहीं देख रही, लेकिन चाहिए जरूर उसे खूब सारी सीटें। बिहार विधान सभा चुनाव में माले ने 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था और 12 पर जीत हासिल की। कांग्रेस ने बहुत दबाव देकर महागठबंधन के अंदर ही 70 सीटें लीं और जीत हासिल की सिर्फ 19 पर। अभी जब बिहार विधान परिषद का चुनाव हो रहा है तब माले ने एक भी सीट नहीं मांगी और RJD को पूर्ण समर्थन दे रही है लेकिन कांग्रेस ने मुंह फुला लिया है।
कई राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी मजबूत हैं बिहार में भी यह समझे कांग्रेस
RJD जातिगत राजनीति में माहिर पार्टी मानी जाती है। वहीं, भाकपा माले वर्ग संघर्ष की राजनीति करती रही है। कांग्रेस किसकी राजनीति करती है यह बिहार में किसी को पता ही नहीं चल रहा! बदले दौर से कांग्रेस ने कुछ सीखा ही नहीं। पार्टी को अभी भी भ्रम है कि वह जगन्नाथ मिश्रा के काल में है! अब मंडल राजनीति का असर है। बिहार में कांग्रेस के पास न सोशल इंजीनियरिंग का कोई फार्मूला है और न वर्ग संघर्ष की राजनीति। कांग्रेस से मुसलमानों का वोट बैंक RJD और AIMIM ने छीन लिया और सवर्णों का वोट बैंक चला गया भाजपा के पास। अतिपिछड़ों के वोट बैंक पर जदयू का कब्जा माना जाता है। इस सब के बावजूद कांग्रेस की जिद सबसे बड़ी है। वह न अकेले चलने की ताकत रखती है और न माले की तरह RJD को समर्थन करने का कलेजा उसके पास है। कांग्रेस की जिद का नतीजा विधान सभा चुनाव में सभी ने देख लिया। खुद तो पार्टी ने घटिया प्रदर्शन किया ही महागठबंधन को भी सत्ता में आने में बाधा बन गई। राजद में शिवानंद तिवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने यह आरोप लगाया कि कांग्रेस की वजह से तेजस्वी मुख्यमंत्री बनने से रह गए। महागठबंधन को कांग्रेस की जिद का बड़ा नुकसान हुआ और भाजपा का रथ आगे बढ़ गया।
प्रियंका गांधी भाजपा पर हल्ला बोलती हैं, लालू प्रसाद का साथ देती हैं लेकिन….
कांग्रेस के बड़े नेता BJP को रोकने की बात करते हैं। कांग्रेस के नेत्री प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट कर भाजपा पर हमला बोला कि ‘भाजपा की राजनीति का यह अहम पहलू है कि जो भी उनके सामने झुकता नहीं है उसको हर तरह से प्रताड़ित किया जाता है। उन्होंने आगे कहा है कि लालू प्रसाद यादव पर इसी राजनीति के चलते हमला किया जा रहा है।’ एक तरफ प्रियंका गांधी का बयान है और दूसरी तरफ बिहार में BJP लगातार मजबूत होती जा रही है। बिहार में BJP को मजबूत करने में कांग्रेस की गलत रणनीति बड़ी जिम्मेवार है। विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने जिद नहीं की होती और RJD सहित माले को ज्यादा सीटें दी होतीं तो आज बिहार में BJP पिछड़ जाती। उसी गलती को 24 सीटों पर हो रहे विधान परिषद के चुनाव में कांग्रेस दुहरा रही है। कांग्रेस की जिद पूरी नहीं हुई तो वह अकेले 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारने में लग गई है। 8 उम्मीदवारों के नाम भी सामने आ गए हैं। यह प्रियंका गांधी भी समझती होगी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी कि जिस राज्य में कांग्रेस का जनाधार खिसक चुका है सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस क्या कर लेगी? वह RJD का ही वोट काटेगी और इससे फिर से बिहार में भाजपा मजबूत होगी। उपचुनाव में भी यही हुआ। कांग्रेस खुद तो हारी ही RJD को भी जीतने नहीं दिया। न खुद जीतेंगे और न RJD को जीतने देंगे की नीति पर्दे के भीतर से कांग्रेस करती रही तो इससे BJP-JDU को ही मजबूती मिलेगी! RJD के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस देश की बड़ी पार्टी है पर कई राज्यों में कांग्रेस से ज्यादा क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं। बिहार में भी वही स्थिति है यहां क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं। कांग्रेस को इस सच को समझना होगा।
RJD ने तो बिहार में कांग्रेस को लगातार कमजोर किया है
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल शर्मा कहते हैं कि BJP को रोकने की जवाबदेही क्या सिर्फ कांग्रेस की है, RJD की नहीं? RJD ने तो बिहार में कांग्रेस का जनाधार लगातार खत्म किया है। RJD तो 1990 में BJP के साथ मिलकर सरकार बना चुकी है। इसलिए अब RJD को भी समझ में आ जाएगा और BJP को भी।
राजद ने गठबंधन की ईमानदारी ने दिखाई
महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष अमिता भूषण कहती हैं कि विधान सभा चुनाव के समय कांग्रेस को 70 सीटें दी तो गईं पर वे सीटें कांग्रेस के मनोनुकूल नहीं थीं। उपचुनाव में कुशेश्वरस्थान की सीट कांग्रेस की थी पर वहां RJD ने अपना उम्मीदवार दे दिया। गठबंधन में जब ईमानदारी नहीं होगी तो कैसे चलेगा। वह कहती हैं कि कांग्रेस 24 सीटों पर एमएलसी चुनाव लड़ रही है। हमारा लक्ष्य BJP को रोकना है।