बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि लोकतंत्र हमारे लिए एक व्यवस्था भर नहीं है‚ हमारी जीवनशैली को निर्धारित करने वाला विचार है। हमारे लोकजीवन में व्यक्ति से संस्था का निर्माण और संस्था से व्यक्ति का निर्माण एक सतत प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया गया है। विधान मंड़ल में विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माता हमारे महान विभूतियों ने इसी विचार को पहचानते हुए हमारे देश में व्यावहारिक लोकतंत्र की रूपरेखा सामने रखी। इसमें विधायिका को शासन का ऐसा अंग माना गया जो कार्यकारी प्रशासन को निर्धारित भी करे नियंत्रण भी करे‚ संवाद भी करे और समाधान भी सुझाये। उन्होंने कहा कि शासन को सुशासन में तब्दील करना विधायिका की सबसे बडी जिम्मेवारी है। शासन को लोकहित में उत्तरदायी बनाने की शक्ति हमें जनता देती है‚ उसी जनता से हमें व्यक्तिगत और सामूहिक विशेषाधिकार भी मिलते हैं। इसलिए हमें जो शक्ति और अधिकार मिले हैं‚ उन्हें अपने नैतिक और व्यावहारिक कर्तव्य के माध्यम से जनहित में प्रयोग का प्रयास करना चाहिये। यह प्रबोधन कार्यक्रम उसी दिशा में प्रेरित करने की एक कोशिश है। विधानसभाध्यक्ष ने कहा कि हमें अपने अधिकारों के साथ–साथ अपने कर्तव्य को भी समझना होगा। उन्होंने कहा कि हमें अगले २५ वर्षों के लिए अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि अपने कर्तव्यों के निर्वहन से हम भारत की आजादी के शताब्दी वर्ष के अवसर पर भारत को विश्व में एक महाशक्ति और विश्व गुरु के रूप में स्थापित कर सकें। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कार्यपालिका में बैठे लोगों को भी यह नहीं भूलना है कि वह भी एक लोक सेवक हैं‚ जिनका काम विधायिका के द्वारा लिये गये निर्णय को अमली जामा पहनाना है। उन्हें हर हाल में यह बात ध्यान में रखना ही होगा और विधायिका में बैठे लोगों को रचनात्मक और सकारात्मक सहयोग प्रदान करना होगा।
2 दिन में बिहार को 1500 करोड़ की मिली हेल्थ फैसिलिटी
48 घंटे में बिहार को 1500 करोड़ की हेल्थ फैसिलिटी मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा 2 दिन बिहार...