पटना हाइकोर्ट में जाली स्टांप के माध्यम से केस फाइल करने का मामला सामने आया है. इस मामले में चार एडवोकेट क्लर्क जीएन सिंह, प्रदीप प्रसाद, आशीष कुमार व जीत पंडित के खिलाफ हाइकोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार जय कुमार सिंह ने कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. पुलिस जांच में जुट गयी है. इन सभी से पुलिस पूछताछ करेगी. जानकारी के अनुसार, कुछ एडवोकेट क्लर्क ने केस फाइल किया था और उसमें नियमानुसार स्टांप भी लगाया गया था.
करीब सात केस फाइल किये गये थे
करीब सात केस फाइल किये गये थे और सभी के स्टांप एक जैसे ही थे. इसके बाद हाइकोर्ट के स्टाफ को शक हुआ और फिर इसकी जांच स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से करायी गयी. जांच के बाद यह पाया गया कि उक्त कोर्ट फी स्टांप को जारी नहीं किया गया था. पुलिस अब पता लगा रही है कि उक्त स्टांप किससे हासिल हुआ था.
लाखों रुपये के स्टांप की बरामदगी की गयी थी
पहले बहादुरपुर के एक प्रिंटिंग प्रेस में पुलिस ने छापेमारी कर जाली स्टांप बनाने की मशीन के साथ ही कारोबारी को गिरफ्तार किया था और लाखों रुपये मूल्य के स्टांप की बरामदगी की गयी थी. लगातार जाली स्टांप की बरामदगी के बाद ही इ-स्टांप की शुरुआत की गयी थी. पर फिर से जाली स्टांप मिलने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इसके पीछे कोई गिरोह काम कर रहा है.
पटना पुलिस के अधिकारियों की मानें तो मामले की जांच चल रही है और छानबीन के बाद मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में जिन लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है वे आरोपी एडवोकेट क्लर्क हैं. इन्होंने जाली स्टाम्प के जरिए कुल 7 केस हाईकोर्ट में फाइल किए. कोर्ट के स्टाम्प रिपोर्टर को जब स्टाम्प को लेकर शक हुआ, तब इसकी जाचं स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) एसएचसीआईएल से कराई गई. एसएचसीआईएल ने जांच के बाद हाईकोर्ट को जानकारी दी कि ईकोर्ट फी स्टाम्प उनके स्तर पर जारी ही नहीं किया गया है. इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार की लिखित शिकायत पर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.
हाईकोर्ट ने पटना पुलिस को सख्त निर्देश दिया है कि वह इस पूरे रैकेट की जांच कर पर्दाफाश करे और इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करे. पटना पुलिस ने हाइकोर्ट के निर्देश को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की फौरी तौर पर जांच भी शुरू कर दी है. पुलिस सूत्रों की मानें तो पूरे रैकेट को खंगालने की जिम्मेवारी विशेष टीम को सौंपने की बात कही जा रही है.