प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शनिवार को हैदराबाद में ‘Statue of Equality’ प्रतिमा का अनावरण करेंगे। ‘Statue of Equality’का बहुत महत्व है। यही वजह है कि तेलंगाना सरकार ने भी प्रधानमंत्री के आगमन को बहुत महत्वाकांक्षा से लिया है और पीएम के दौरे के मद्देनजर सीएस सोमेश कुमार और डीजीपी महेंद्र रेड्डी ने श्रीराम नगर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया।
रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई प्रतिमा
‘Statue of Equality’ को श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाया गया है। वह 11वीं शताब्दी के भक्ति संत थे और उन्होंने आस्था, जाति समेत जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक इस प्रतिमा की ऊंचाई 216 फुट है जो दुनिया की दूसरी बैठी हुई सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसमें करीब 1800 टन लोहे का इस्तेमाल किया गया है।
Statue of Equality को बनाने के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ते का खास इस्तेमाल किया गया है, जिससे इस प्रतिमा का आकर्षण दोगुना हो जाता है। मूर्ति और मंदिर परिसर की पूरी परिकल्पना त्रिदंडी श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने की है।
कौन थे रामानुजाचार्य स्वामी?
रामाजुचार्य स्वामी का जन्म 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में हुआ था। मूर्ति और मंदिर परिसर की पूरी परिकल्पना त्रिदंडी श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने की है। वैष्णव समाज के प्रमुख संतों में उनका नाम लिया जाता है। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने विद्वान यादव प्रकाश को कांची में अपना गुरु बनाया था। उनके परदादा अलवंडारू श्रीरंगम वैष्णव मठ के पुजारी थे।
Statue of Equality
- सन 1017 में तमिलनाडु के श्री पेरुम्बदूर में जन्मे श्री रामानुजाचार्य ने सामाजिक, सांस्कृतिक, लिंग, शैक्षिक और आर्थिक भेदभाव से लाखों लोगों को इस मूलभूत विश्वास के साथ मुक्त किया कि राष्ट्रीयता, लिंग, जाति, जाति या पंथ की परवाह किए बिना हर एक इंसान समान है.
- संत रामानुजाचार्य ने ज्यादा से ज्यादा भेदभाव के शिकार लोगों सहित समाज के सभी वर्गो के लिए मंदिरों के दरवाजे खोल दिए. वह दुनियाभर के समाज सुधारकों के लिए समानता के प्रतीक माने जाते हैं.
- इस परियोजना के लिए आधारशिला 2014 में रखी गई थी. 54 फीट ऊंची इमारत, जिसका नाम भद्रवेदी है, में एक वैदिक डिजिटल लाइब्रेरी और अनुसंधान केंद्र है, जिसमें प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक गैलरी और श्री रामानुज आचार्य के कई कार्यो का विवरण देने वाला बहु-भाषा ऑडियो टूर है.
- आउटडोर 216 फीट की स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी बैठने की मुद्रा में बनाई गई दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा होगी. यह ‘पंचलोहा’ से बनी है, जिसमें पांच धातुओं – सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का मिश्रण है.
- कैंपस में 108 दिव्य देशम हैं, 108 अलंकृत नक्काशीदार विष्णु मंदिर हैं, जो रहस्यवादी तमिल संतों की कृति अलवार में वर्णित हैं.
- थाईलैंड में बैठने की मुद्रा वाली बुद्ध की मूर्ति को अब तक दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति कहा जा रहा है.
- इस प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयार स्वामी ने की है. कार्यक्रम के दौरान संत रामानुजाचार्य की जीवन यात्रा और शिक्षा पर थ्रीडी प्रेजेंटेशन मैपिंग का भी प्रदर्शन किया जाएगा.