बिहार में कोरोना जांच और वैक्सीनेशन में फर्जीवाड़ा थम नहीं रहा है। ताजा मामला गया जिले के टेकारी का है। यहां यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी को वैक्सीन का पहला डोज दिया गया है। डॉक्यूमेंट में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का भी नाम है, जिन्हें पहला डोज यहां दिया गया है।
टिकारी थाने में केस दर्ज
वैक्सीनेशन में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में एक फोन नंबर पर केस दर्ज कराया है। फोन नंबर जम्मू का है। बाकी दो नंबर बंद पड़े हैं, जिसकी वजह से उसकी लोकेशन की जानकारी फिलहाल नहीं मिल सकी है। गया के सिविल सर्जन के के राय के आदेश पर टिकारी थाने में केस दर्ज कराया गया है। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि टिकारी प्रखंड के उप स्वास्थ्य केंद्र अलीपुर की एएनएम उषा कुमारी जिसका मोबाइल नंबर 9525491600 है।
सभी वैक्सीनेटर की आईडी को बंद किया गया
मोबाइल नंबर को कोविड वैक्सीनेशन के लिए कोविड वैक्सीनेशन पोर्टल पर यूजर आईडी और पासवर्ड के रूप में दर्ज किया गया था। एएनएम का यूजर और पासवर्ड चार हायर वैक्सीनेटर बबन कुमार, उमाशंकर सिंह, आकाश कुमार और रविराज को मुहैया कराया गया था। लेकिन, उस यूजर और आईडी का गलत इस्तेमाल करते हुए कुछ राजनीतिक लोगों का वैक्सीनेशन उस आईडी से सात दिसंबर को दोपहर 11 बजे कर दिया गया। इस बात की भनक लगते ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी आईडी और यूजर को फिलहाल बंद कर दिया गया है। साथ ही संबंधित मामले में केस भी दर्ज कराया गया है।
साइबर एक्सपर्ट करेंगे जांच
अब साइबर एक्सपर्ट इस मामले की जांच कर दोषियों को जेल के सलाखों के पीछे भेजेंगे। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। सभी एएनएम को बताया गया कि वह अपना यूजर आईडी और पासवर्ड रोज नियमिति तौर पर बदलें ताकि कोई गलत व्यक्ति हमारे जिले की बदनाम न कर सकें।
इससे पहले बिहार के अरवल जिले में कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया था। अरवल के करपी में पीएम मोदी, अमित शाह, समेत कई बॉलीवुड हस्तियों का भी कोरोना जांच कराया गया था।
अरवल कोविड़ जाँच मामले में फर्जीवाड़े को लेकर ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा दी गई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करपी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ड़ॉ शशिकांत कुमार ने थानाध्यक्ष करपी को प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर पत्र प्रेषित किया था। जिस पर थानाध्यक्ष ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर विनय कुमार के खिलाफ कांड़ संख्या २४४/ २१ के तहत प्राथमिकी दर्ज किया है। इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच अब पुलिस करेगी।
विदित हो कि २७ अक्टूबर को पीएचसी करपी द्वारा एनटीजेंन एवं आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल भेजा गया था। जिसमें नरेंद्र मोदी‚अमित शाह‚सोनिया गांधी एवं प्रियंका चोपड़ा का नाम भी दर्ज किया गया था। ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर द्वारा इतनी बड़ी गलती की गई थी। उस गलती को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा जांच के दौरान पकड़ा भी गया। जिसकी सूचना सेवा प्रदाता एजेंसी उर्मिला इंटरनेशनल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड़ एवं उसकी प्रतिलिपि सिविल सर्जन को भी दी गई थी। पीएचसी प्रभारी के पत्रांक–७२५ दिनांक– २८.१०.२१ में उल्लेख किया गया है कि एजेंसी द्वारा नियोजित ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर अपने मनमर्जी से कार्य किया करते हैं। कार्य हित के बजाय स्वहित की बात करते हैं एवं कार्यों को गंभीरता से नहीं लेते। मामले की खुलासा अक्टूबर में ही हो गई थी। स्वास्थ्य विभाग के वरीय पदाधिकारी को मामले की जानकारी दी गई थी लेकिन उस समय इस मामले को यूं ही ठंड़े बस्ते में ड़ाल दिया गया था। ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर को हटाने के लिए संबंधित एजेंसी को पत्र भेज दिया गया। इसके अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाई प्रोफाइल फर्जीवाड़े का मामला जब आम आवाम में आया तो स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों की फजीहत होने लगी ४० दिन बाद ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ आनन–फानन में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई। यह कोई नया मामला नहीं है जिसे दबाकर रफा–दफा करने की कोशिश की जा रही थी। बल्कि दर्जनों मामले हैं जिस पर वरीय पदाधिकारियों द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मामलों को दबा कर ठंड़े बस्ते में ड़ालकर छोड़ दिया गया है। वहीं दूसरी ओर उक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा एक अन्य मामले में किंजर थाना में दूसरे ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है। ड़ाटा ऑपरेटर प्रवीण कुमार पर यह आरोप लगाया गया है कि २२.०९.२१ को संस्थान के आईड़ी से अपना फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाया है। फर्जी तरीके से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के हस्ताक्षर को स्कैन करके जन्म प्रमाण पत्र बनाया गया है। दोनों ही मामले अपने आप में बेहद ही गंभीर हैं। एजेंसी को दोनों ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर की सेवा वापस कर दी गई है। उसके बावजूद २६ नवंबर को उर्मिला इंटरनेशनल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड़ द्वारा सिविल सर्जन को ड़ाटा एंट्री ऑपरेटर से कार्य करवाने के लिए पत्र लिखा जाता है।
एजेंसी द्वारा प्रेषित पत्र में लिखा गया है कि दोनों ड़ाटा ऑपरेटर को चेतावनी पत्र दिया गया था। जिसके आलोक में दोनों आपरेटरों द्वारा स्पष्टीकरण का जवाब दिया गया है। जिसमें यह आ वस्त किया गया है कि भविष्य में किसी प्रकार की गलती की पुनरावृति नहीं की जाएगी। अपने .त्य पर शर्मिंदा एवं क्षमा प्रार्थी हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतने बड़े फर्जीवाड़े का आरोप लगे और फिर से कार्य लेने के लिए एजेंसी पत्र लिखें कई सवालों को खड़ा करता है। आखिर जो भी हो मामला बेहद गंभीर है। इससे स्वास्थ्य महकमे की फजीहत तो हुई ही है वरीय पदाधिकारियों के मौन पर भी सवाल खड़ा हुआ है।