शीतकालीन सत्र के पहले दिन कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक २०२१ पेश किया। फिर बिना चर्चा कराए पहले लोकसभा से फिर राज्यसभा से पारित करा दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बार–बार कहते रहे कि सदन के बीचों–बीच आए सदस्य वापस अपने आसन पर चले जाएं तो वह चर्चा शुरू कर देंगे। लेकिन विपक्षी सदस्य हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी और शोर–शराबा करते रहे। बिरला ने कहा‚ सदस्यों को बोलने का पूरा अवसर दिया गया है लेकिन आसन के सामने हंगामा करने से बहस नहीं कराई जा सकती। अध्यक्ष ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित किए जाने की घोषणा की। राज्यसभा में भी यह विधेयक तोमर ने पेश किया जिसे बाद में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस दौरान हालांकि कुछ सदस्यों ने अपनी बात रखनी चाही लेकिन शोरशराबे के कारण वे ऐसा नहीं कर सके। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा‚ आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़़ाई जा रही हैं। इस विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिए रखे जाने की बात कही गई लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है।
इस विधेयक में तीन खंड़ हैं जिसमें से प्रथम खंड़ में अधिनियम का संक्षिप्त नाम है। इसके दूसरे खंड़ में कहा गया है कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम २०२०‚ कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम २०२० और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून २०२० का निरसन किया जाता है। विधेयक के तीसरे खंड़ में कहा गया है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ की धारा ३ की उपधारा (१क) का लोप किया जाता है।
संसद में तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को प्रदर्शनकारियों की जीत करार देते हुए पंजाब के किसान नेताओं ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग की। उन्होंने कहा कि एक दिसम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की आपात बैठक में भविष्य की रणनीति के बारे में फैसला किया जाएगा। पंजाब के ३२ किसान यूनियन के नेताओं ने सिंघु बार्ड़र पर सोमवार को प्रेस वार्ता के दौरान एमएसपी को कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने तथा आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के परिजन को मुआजवा देने सहित अपनी छह मांगों का जिक्र किया। साथ ही‚ कहा कि जवाब देने के लिए केंद्र के पास मंगलवार तक का समय है। तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को संसद द्वारा निरस्त किये जाने पर एक किसान नेता ने कहा‚ यह हमारी जीत है। हम किसानों के खिलाफ मामले वापस चाहते हैं और फसलों के एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित की जाए।
संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामे के बीच विवादास्पद तीनों कृषि कानून वापस लेने वाले ‘कृषि कानून निरसन विधेयक २०२१’ पारित हो गया। तीनों बिलों को रिपील करने के अलावा सोमवार को दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़़ी।