राजद विधायक तेजप्रताप यादव के मामले में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने बुधवार को हाजीपुर में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि तेजप्रताप राजद से बाहर हो चुके हैं। उन्होंने छात्र जनशक्ति परिषद नाम का अपना अलग संगठन खड़ा कर लिया है। उसके लिए लालटेन सिंबल का इस्तेमाल करने पर राजद ने ऐतराज जताया तो उन्हें पीछे हटना पड़ा। हाजीपुर के फन प्वाइंट सभागार में मीडिया से बात करते हुए शिवानंद ने कहा कि यह राजद का स्टैंड है। परिवार में विवाद की बात करनी हो तो लालू प्रसाद से जाकर कीजिए। उन्होंने कहा कि तेजप्रताप के राजद में होने या निष्कासन करने की जरूरत ही कहां है। वे तो स्वत: ही निष्कासित हो चुके हैं। उन्होंने नया संगठन बनाकर पार्टी के सिंबल का इस्तेमाल किया था तो पार्टी ने उन्हें रोक दिया था।
ज प्रताप ने छोड़ा ‘लालटेन’ और ‘RJD’ का नाम
लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने नया संगठन छात्र जनशक्ति परिषद बनाया है। छात्र राजद की कमान हाथ से छीने जाने के बाद तेजप्रताप यादव ने परिषद का गठन किया था। इसका चिह्न भी पैड पर जारी कर दिया था। बताया गया कि ‘हाथ में लालटेन’ चिह्न है। पैड पर RJD भी लिखा गया था। इस खबर को सबसे पहले भास्कर सामने लाया। इसके बाद तेज प्रताप यादव ने निर्देश दिया कि राजद शब्द और लालटेन चिह्न का इस्तेमाल नहीं करना है। इसका साफ मतलब निकाला गया कि तेज प्रताप की राह अलग होने जा रही है।
उन्होंने अपना जो नया संगठन बनाया, उसमें तो लालटेन को चिह्न बनाया था, पर उन्होंने खुद कबूल किया कि उन्हें लालटेन चिह्न का इस्तेमाल करने से मना कर दिया गया। अब तेज प्रताप यादव पार्टी में कहां हैं?’ तिवारी के इस बयान के बाद बिहार में चर्चा गरम हो गई कि क्या वाकई में लालू के बड़े लाल RJD में हैं भी या नहीं?
दोनों सीटों पर होगा फ्रेंडली फाइट
उन्होंने उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार देने के सवाल पर कहा कि राजद की स्थिति काफी अच्छी है। दोनों ही सीटों पर हम जीतेंगे। कांग्रेस से फ्रेंडली फाइट है। इससे महागठबंधन की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटों दी गईं थी, इसमें से 25-30 सीटों पर उनका छोटा-मोटा नेता भी प्रचार करने नहीं गया। बिहार की क्या कहें, यूपी में अखिलेश यादव के साथ उनका रिश्ता टूट गया। कांग्रेस बड़ी पार्टी है। हम चाहते हैं कि दो सौ सीटों पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हो।
रामविलास पासवान हमारे उस जमाने के मित्र थे, जब वे विधायक भी नहीं थे। पशुपति पारस को गलतफहमी है कि रामविलास के लोग उनके साथ हैैं। वारिस तो चिराग ही है। जैसे बच्चे को हाथ पकड़कर बताया जाता है वैसे ही उन्होंने चिराग को आगे बढ़ाया था।
कांग्रेस बिहार में भी ड्राइविंग सीट पर रहेगी, तो हम लोग कहां जाएंगे
दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव और महागठबंधन में दरार पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि महागठबंधन टूटा नहीं है, बल्कि कायम है। दो सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो रही है। इसका मतलब यह नहीं कि इसके आगे के चुनाव में हम साथ चुनाव नहीं लडे़ंगे। कांग्रेस की नाराजगी की क्या बात है। हमने तो पहले ही कह दिया था कि दोनों सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में 70 सीट लेकर कांग्रेस चुनाव लड़ी, लेकिन कांग्रेस की 25-30 सीट पर भी उनका छोटा नेता भी भाषण देने नहीं गया। इससे तो नुकसान हुआ। अखिलेश यादव के साथ भी कांग्रेस का रिश्ता UP में टूट गया। जहां क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं वहां कमान हमारे हाथ में होनी चाहिए। कांग्रेस चाहेगी कि वह ड्राइविंग सीट पर रहे तो फिर हम लोग कहां जाएंगे?