मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि राज्य में जातीय जनगणना कराने के मुद्े पर उपचुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक होगी और उसमें नियम और कानून को ध्यान में रख कर सर्वसम्मत निर्णय लिया जाएगा। नीतीश ने आज कहा कि इस संबंध में मैंने पहले भी कई बार अपनी राय रखी है। हमलोगों की राय है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए। इस पर केंद्र सरकार विचार कर निर्णय ले। १० पार्टियों के शिष्टमंडल ने इस संबंध में प्रधानमंत्री से मुलाकात कर अपनी बातें रखी थीं। उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों के साथ बैठक करके इस संबंध में आगे का निर्णय लिया जाएगा। ॥ मुख्यमंत्री ने कहा कि उपचुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक होगी और उसमें आपस में बैठकर चर्चा की जाएगी और सर्वसम्मति से कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नियम और कानून पर गौर करते हुए‚ कैसे बेहतर ढंग से इसको किया जा सकता है‚ इसको लेकर सबसे परामर्श करके ही निर्णय लिया जाएगा। नीतीश ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि जातीय जनगणना के मुद्े पर राज्य के सभी दलों के बीच सर्वसम्मति जरूर बनेगी। इसपर पूरे राज्य में एक राय है। लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक झडÃप में किसानों की मौत के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस घटना की जानकारी मुझे मिली है। ॥ ॥ वहां जो भी घटना हुई है उस पर उत्तर प्रदेश प्रशासन को उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को नीति आयोग के कार्य करने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा कि देश के सभी राज्यों को मापने का एक आधार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि नीति आयोग सारे देश को अगर एक ही प्रकार का मान कर चल रहा है तो यह विचित्र बात है। आज के दिन महाराष्ट्र से बिहार की तुलना नहीं की जा सकती है। सबसे धनी राज्य की तुलना सबसे गरीब राज्य से नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि देश के पिछड़े और विकसित राज्यों को एक श्रेणी में रखकर आंकलन होगा तो पिछड़े राज्यों को आगे बढने का मौका नहीं मिल पाएगा।
नीतीश ने आज ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि इस रिपोर्ट पर राज्य सरकार अपना जवाब भेजेगी कि यह उपयुक्त नहीं है। बिहार में हुए कार्यों पर गौर किये बिना रिपोर्ट जारी कर देना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा‚ मुझे पता नहीं है कि नीति आयोग किस प्रकार और किसके माध्यम से अपना काम कराती है। नीति आयोग की अगली बैठक में अगर हमें जाने का मौका मिला तो एक–एक बात हम फिर से उनके सामने रखेंगे। एसेसमेंट करने से पहले बुनियादी चीजों की जानकारी होनी चाहिए। सभी राज्य को एक समान बता देना ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के सभी राज्यों को मापने का एक आधार नहीं होना चाहिए। जो विकसित राज्य हैं और जो पिछड़े हैं‚ इन्हें अलग–अलग करके देखा जाना चाहिए। इससे पिछड़े राज्यों को आगे लाने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि बिहार आबादी के हिसाब से देश में तीसरे नंबर पर है‚ उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद बिहार है‚ लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से १२ वें स्थान पर है। बिहार में प्रति वर्ग किलोमीटर आबादी देश में सबसे ज्यादा है‚ बिहार की इन परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा। नीतीश ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार में जो भी काम हो रहा है उसकी रिपोर्ट नीति आयोग को हमेशा भेजी जाती रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहले बिहार की क्या स्थिति थी‚ ये सभी को पता है। सरकारी अस्पतालों में काफी कम लोग इलाज कराने जाते थे। उस समय अस्पतालों में बेड पर मरीज की जगह कुत्ते बैठे रहते थे। पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक महीने में औसतन ३९ लोगों का इलाज होता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उन्हें काम करने का मौका मिला तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से काम शुरू किया गया। इसके कारण अब पीएचसी में एक महीने में औसतन १० हजार मरीजों का इलाज होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कई मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों की स्थापना की गई है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान काफी बेहतर ढंग से काम कर रहा है। पटना में पटना में एम्स भी ठीक ढंग से चल रहा है। अस्पतालों में बेडों की संख्या भी काफी बढाई गयी है। उन्होंने कहा कि क्या यह नीति आयोग को पता नहीं है कि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) को ५‚४०० बेड का अस्पताल बना रहे हैं और काम शुरू कर दिया गया है। नीतीश ने कहा कि यह देश का सबसे बड़ा अस्पताल बनेगा। यह तय कर दिया गया है कि चार साल के अंदर ये काम पूरा हो जायेगा। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि और कम समय में यह पूरा हो और उसके लिये प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि १७ सितम्बर को प्रधानमंत्री का जन्मदिन था‚ उस दिन बिहार ने ३३ लाख टीकाकरण का लक्ष्य पूरा किया। बापू के जन्मदिन पर भी ३५ लाख से ऊपर टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया था‚ लेकिन २ अक्टूबर को पूरे राज्य में भारी बारिश के बावजूद ३० लाख से ज्यादा टीकाकरण हुआ।
उन्होंने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य विभाग काफी मेहनत कर रहा है। राज्य में विकास के कार्य भी काफी हुए हैं‚ जिसके कारण लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। नीतीश ने कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा मिलने में परेशानी होने के सवाल पर कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिये। अगर किसी को इस संबंध में जानकारी मिलती है तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचना दें। इसपर पूरे तौर पर हमलोगों की नजर है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण यदि किसी की मृत्यु हुई है तो चार लाख रुपये बिहार सरकार शुरू से दे रही है। अब केन्द्र सरकार भी ५० हजार रुपये दे रही है। कोई भी इससे वंचित नहीं रहे इसके लिये उनकी सरकार शुरू से प्रयासरत है। एक भी आदमी छूटना नहीं चाहिये।