अफगानिस्तान मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अहम बैठक की. इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल मौजूद थे. पीएम के लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर यह मुलाकात हुई.ताजा घटनाक्राम के तहत पंजशीर घाटी पर पूरी तरह से नियंत्रण के तालिबान के दावे के बाद यह बैठक हो रही है. हालांकि विद्रोही गुट नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने कहा कि पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ लड़ाई “जारी रहेगी.” पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और अफगान गौरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे, अहमद मसूद की अगुवाई में यहां अफगान नेशनल रेसिस्टेंट फ्रंट के लड़ाके, तालिबान का मुकाबला कर रहे थे.
अफगानिस्तान में जारी घटनाक्रम और तालिबान की ओर से कश्मीर पर दिए गए बयान के बाद भारत सतर्क हो गया है। वहां की नई सरकार का कश्मीर पर असर पड़ने के मद्देनजर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। गृह मंत्री शाह इसी हफ्ते अलग से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेंगे।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने कश्मीर मामले में दखल देने की सार्वजनिक घोषणा की है। आतंकी संगठन अलकायदा, हिजबुल मुजाहिदीन ने भी कश्मीर को लेकर बयान दिए हैं। अफगानिस्तान में जिस प्रकार पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ा है, उससे भारत चिंतित है। भारत को लगता है कि पाकिस्तान निकट भविष्य में इन आतंकी संगठनों का उपयोग कश्मीर में कर सकता है। निकट भविष्य में कश्मीर में बड़ी संख्या में घुसपैठ की कोशिश हो सकती है।
तालिबान के बदले रवैये और कश्मीर पर अलकायदा और हिजबुल मुजाहिदीन के बयान के बाद बीते हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। करीब तीन घंटे चली इस बैठक में गृह मंत्री शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजित डोभाल उपस्थित थे। इस बैठक में अफगानिस्तान की ताजा स्थिति के साथ-साथ कश्मीर को लेकर चर्चा हुई थी। इसके बाद पीएम ने सोमवार को एक बार फिर से खासतौर पर जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था और अफगानिस्तान की स्थिति पर उच्च स्तरीय बैठक की।
इसी हफ्ते शाह करेंगे समीक्षा
इस क्रम में शाह इसी हफ्ते जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेंगे। इसमें राज्य के उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक शामिल होंगे। इस दौरान सुरक्षा के संदर्भ में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक होगी। बैठक में राज्य की सुरक्षा की ताजा स्थिति के मद्देनजर एक प्रजेंटेशन भी दिया जाएगा। इस बैठक में एनएसए डोभाल भी उपस्थिति रह सकते हैं। बैठक में घुसपैठ रोकने की ठोस रणनीति तैयार की जाएगी। गौरतलब है कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद कश्मीर में घुसपैठ में उल्लेखनीय कमी आई है।
हक्कानी नेटवर्क में है अलकायदा और हिजबुल का प्रभाव
अफगानिस्तान की नई सरकार में पाकिस्तान समर्थक हक्कानी नेटवर्क का दबदबा रहने की आशंका है। तालिबान के इस अहम गुट में अलकायदा और हिजबुल मुजाहिदीन का व्यापक प्रभाव है। पाकिस्तान पोषित ये दोनों संगठन पहले से कश्मीर में सक्रिय हैं। पाकिस्तान अब तालिबान के हक्कानी नेटवर्क गुट का भी कश्मीर में इस्तेमाल करना चाहता है। यही कारण है कि पाकिस्तान की पहली कोशिश नई सरकार में बरादर गुट की भूमिका को बेहद सीमित रखने की है।
तालिबान में सरकार गठन की तैयारी तेज
उधर, तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी सरकार के गठन की तैयारी तेज कर दी है। पाकिस्तान व चीन समेत छह देशों को शपथ कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता भेजा गया है। इन छह देशों में भारत का नाम नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार की भी वहां तेजी से बदल रहे घटनाक्रम पर सतत नजर बनी हुई है। बता दें, तालिबान ने सोमवार अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत पर भी कब्जे का दावा किया है। हालांकि प्रतिरोधी बल के प्रमुख अहमद मसूद ने कहा है कि उनके लड़ाके अभी भी पंजशीर में तालिबानी सेना से मुकाबला कर रहे हैं।
तालिबान से चर्चा के लिए यूएन ने भेजा दूत
उधर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने विश्व संस्था के मानवीय मामलों के अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफिथ्स को तालिबान नेतृत्व के साथ बातचीत के लिए काबुल भेजा है। शिन्हुआ ने गुतेरस के प्रवक्ता स्टेफन दुजारिक के हवाले से कहा कि ग्रिफिथ्स इस समय काबुल में हैं। रविवार को उन्होंने काबुल में मानवीय मुद्दों पर तालिबानी अधिकारियों के साथ बातचीत की। काबुल में मुल्ला बरादर और तालिबान के नेतृत्व से मुलाकात की।
अफगानिस्तान में करीब दो करोड़ लोगों को चाहिए सहायता
वर्तमान में अफगानिस्तान में 1.80 करोड़ लोगों को जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता की आवश्यकता है। एक तिहाई को नहीं पता कि उनका अगला भोजन कहां से आएगा। पांच वर्ष से कम आयु के आधे से अधिक बच्चों को तीव्र कुपोषण का खतरा है। चार साल में दूसरा भयंकर सूखा आने वाले महीनों में भूख को और बढ़ा देगा।