भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भटाचार्य ने केंद्र सरकार से आरक्षण को तर्कसम्मत बनाने के लिए जाति जनगणना की मांग की है। बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जरूरी मुद्े को भटकाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात कर रही है‚ लेकिन अभी विगत तीन दशकों में जनसंख्या वृद्धि की दर घटी है और फिलहाल जनसंख्या कोई मुद्ा नहीं है। संसद में सत्ता व विपक्ष की सहमति से ओबीसी आरक्षण पर बिल पारित हुआ है। इसकी जरूरत थी। लेकिन यह अपने आप में पर्याप्त नहीं है। आरक्षण को सुचारू व तर्कसम्मत तरीके से लागू करने के लिए जाति जनगणना जरूरी है। १९३१ के बाद जाति जनगणना हुई ही नहीं है। मंडल कमीशन की सिफारिश भी उसी आधार पर हुई। २०११ के आंकडे अभी तक सामने नहीं आये। यदि आरक्षण को अपडेट करना है तो जातिगत जनगणना होनी ही चाहिए। श्री भट्टाचार्य ने कहा कि आज सरकारी नौकरियां घट रही हैं और बेरोजगारी फैल रही है। इसलिए प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू होना चाहिए। तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन इस बार संसद के करीब पहुंच गया। संसद के समानान्तर किसानों की संसद आयोजित हुई। महिलाओं ने भी संंसद चलायी। जिस वक्त किसान संसद चल रहा था‚ ठीक उसी समय पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने के बगल में खुलेआम जेनोसाइड का कॉल दिया जाता है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सबकुछ यूपी चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने व किसानों की एकता तोडने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार कोविड के मौत के आंकडों को लेकर खेल खेल रही है। सरकार के आंकडे व वास्तविकता में जमीन–आसमान का अंतर है। संवाददाता सम्मेलन में राज्य सचिव कुणाल के साथ माले नेता राजाराम सिंह व केडी यादव भी शामिल थे।