भारत और चीन के बीच 12 वे दौर की कॉप्स कमांडर लेवल बातचीत आज हो रही है. 10 बजकर 30 मिनट पर मोल्डो में शुरू हुई इस बातचीत में डीसेंगजमेंट की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तनाव को कम करने पर चर्चा होगी. यह इस लेवल की 12वें दौर की मीटिंग है. मीटिंग चीन की तरफ मॉल्डो में होगी. सुबह 10.30 बजे मीटिंग शुरू होने का वक्त रखा गया है. भारतीय सेना को उम्मीद है कि इस बार बातचीत में हॉट स्प्रिंग और गोगरा में डिसइंगेजमेंट पर बातचीत कुछ आगे बढ़ सकती है. हालांकि, अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल होने की उम्मीद फिलहाल नहीं है.
गोग्रा और हॉटस्प्रिंग चर्चा के केंद्र में
चीन की तरफ मोल्डो गैरिसन में आयोजित हो रही इस बैठक का महत्व इसलिये ज्यादा है क्योंकि इसके ठीक पहले दोसाम्बे में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक हो चुकी है जिसमे तनाव को कम करने और सीमा पर यथास्थिति को बहाल करने पर सहमति बनी थी. 12 वें दौर के इस बातचीत में विशेष रूप से चर्चा गोग्रा और हॉट स्प्रिंग से दोनो देशों की सेनाओं को पीछे हटाने पर बातचीत हो रही है.
डिसइंगेजमेंट को लेकर पहला समझौता
इससे पहले जनवरी के महीने में दोनो देशो के बीच डीसेंगजमेंट को लेकर पहला करार हुआ था, परिणाम स्वरूप पंगोंत्से लेक के उत्तर इलाके यानी फिंगर एरिया और दक्षिण इलाके यानी कैलाश रेंज से चीन और भारत की सेना पीछे हटी थी. इन इलाकों में सर्वाधिक तनाव था क्योंकि हथियारबंद सेनाये बिल्कुल आमने सामने खड़ी थी. फिंगर एरिया में चीन ने स्टैट्स को यानी पूर्ववर्ती स्थिति को बदलने की कोशिस की थी जिसके बाद भारतीय सेनाये भी कैलाश रेंज पर कब्जा कर चीन पर बढ़त बना चुकी थी.
देपसांग विवाद
हालांकि विवाद का एक और प्रमुख केंद्र देपसांग का इलाका है जो सामरिक रूप से भारत के लिये बेहद महत्वपूर्ण है जिसके पास दौलत बेग ओल्डी एयर स्ट्रिप है. यहां से काराकोरम पास भी महज 30 किमी दूर है. देपसांग का रास्ता डीबीओ और काराकोरम पास को जाता है. डीबीओ में भारत का एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भी है. चीन को भारत से सर्वाधिक खतरा इसी इलाके में है जहाँ से भारतीय सैनिक जब चाहे अक्साई चीन की तरफ कूच कर सकते है. लेकिन आज की बैठक में देपसांग विवाद पर कोई बड़ी चर्चा नहीं होने वाली है.