बसवराज बोम्मई ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। बसवराज बोम्मई ने आज अकेले ही शपथ ली है, सूत्रों ने बताया कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। आपको बता दें कि बसवराज बोम्मई ने लिंगायत समुदाय से आते हैं, उन्हें बीएस येदियुरप्पा द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पद के लिए चुना। भाजपा कर्नाटक के विधायकों ने कल उन्हें अपना नेता चुना।
कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की पत्नी चेनम्मा बसवराज ने कहा कि उनके कठिन परिश्रम का यह परिणाम है और वह उनसे सबके फायदे के लिए काम करने को कहेंगी। बोम्मई को मंगलवार को बीएस येदियुरप्पा की जगह भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। उन्होंने आज सीएम पद की शपथ ली।
चेनम्मा ने पत्रकारों से कहा, “एक मुख्यमंत्री की पत्नी होने के नाते मैं उनसे वह काम करने को कहूंगी जिससे सबको फायदा हो।”
बोम्मई के मुख्यमंत्री बनने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह भगवान के आशीर्वाद से हुआ है। उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि बसवराज की मेहनत रंग लाई है। हमें लगता है कि वह अच्छा काम करेंगे जैसा उन्होंने कोविड महामारी के दौरान किया।”
चेनम्मा ने येदियुरप्पा सरकार में मंत्री के रूप में बोम्मई के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि उनके पति एक सफल मुख्यमंत्री होंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बोम्मई ने अपने पिता को एक मुख्यमंत्री के रूप में देखा है जो उन्हें अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। बसवराज बोम्मई के पिता एस आर बोम्मई 1988-1989 के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे।
आखिरकार येदियुरप्पा को क्यों करना पड़ा इस्तीफे का ऐलान
कर्नाटक की सियासत में सोमवार को एक बड़ा बदलाव हुआ। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए पिछले कुछ हफ्तों से अपनी सरकार को लेकर चल रही अटकलों को विराम दे दिया। सोमवार सुबह तक येदियुरप्पा सार्वजनिक तौर पर यही कह रहे थे उन्हें पद छोड़ने के लिए पार्टी हाईकमान की ओर से किसी तरह का कोई निर्देश नहीं मिला है। अगर पार्टी हाईकमान से आदेश मिलेगा तो वे पद छोड़ने में एक मिनट की भी देरी नहीं करेंगे। लेकिन ये सब महज कहने की बात थी। सबकुछ पहले से तय था।
येदियुरप्पा ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर्नाटक विधानसभा परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में किया। सोमवार को ही उनकी सरकार के दो साल पूरे हुए। इस मौके पर येदियुरप्पा ने विधानसभा में बड़ा कार्यक्रम रखा था। इसी कार्यक्रम में 78 साल के येदियुरप्पा ने भावुक भाषण दिया। अपने भाषण के दौरान येदियुरप्पा कई बार रो पड़े। इसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि वो लंच के बाद अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। इसके बाद येदियुरप्पा राजभवन गए जहां उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
येदियुरप्पा ने कहा, ‘मैं दुखी होकर नहीं, बल्कि खुशी से इस्तीफा दे रहा हूं..प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया। मैं पार्टी में अकेला व्यक्ति था जो 75 साल से ज्यादा उम्र होने के बावजूद पद पर बना हुआ था। इस नियम का मैं अपवाद था। क्योंकि पार्टी में यह नियम है कि 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कोई पद नहीं दिया जाता।’
उन्होंने ये भी कहा, मुझे (इस सरकार के) पहले दिन से हर कदम पर अग्निपरीक्षा का सामना करना पड़ा। हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने मुझे दो महीने के लिए अपने कैबिनेट का विस्तार करने की अनुमति नहीं दी।.. न तो मैं राज्यपाल के पद के लिए इच्छुक हूं और न ही इस तरह की किसी पेशकश को स्वीकार करूंगा। मैं सक्रिय राजनीति से भी संन्यास नहीं ले रहा हूं।’
येदियुरप्पा को इस्तीफा देना है ये तो दो हफ्ते पहले ही तय हो गया था। सोमवार को तो सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई। 10 जुलाई को येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बताया था कि अब उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती। उन्होंने लिखा था कि बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण वो अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ न्याय नहीं कर पा रहे। उन्होंने कहा था कि वो मुख्यमंत्री पद से मुक्त होना चाहते हैं।
असल में येदियुरप्पा मधुमेह (Highly Diabetic) से ग्रसित हैं जिसकी वजह से कई और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। वे 78 साल के हो चुके हैं इसलिए उम्र का तकाजा भी है। उनकी याद्दाश्त कमजोर पड़ने लगी है और वो कई बार चीजें भूल जाते हैं। उन्हें जल्दी थकान हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें सम्मानजनक तरीके से विदाई देना चाहते थे। इसलिए जब येदियुरप्पा ने जब कहा कि 26 जुलाई को उनके 2 साल पूरे हो जाएंगे तो उन्हें इस्तीफे का ऐलान करने दिया जाए। पीएम मोदी ने उनकी बात मान ली। येदियुरप्पा ने कर्नाटक में बीजेपी को खड़ा करने में बड़ी भूमिका अदा की है। आज भी उनकी जबरद्स्त फॉलोइंग है और वे कर्नाटक के प्रभावशाली लिंगायत समाज के बड़े नेता हैं। अब बीजेपी येदियुरप्पा के अनुभवों का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर करेगी।