राजनेताओं, पत्रकारों व अन्य लोगों की फोन टैपिंग और जासूसी के मामले पर संसद में हंगामा जारी है. कांग्रेस ने इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति से जांच करवाने और गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है. फोन जासूसी कांड को लेकर अब संसदीय स्थायी समिति में गर्मागर्म बहस होने की संभावना है.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की 28 जुलाई को बैठक बुलाई गई है. बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी, गृह और संचार मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया गया है. बैठक का एजेंडा ‘नागरिकों की डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी’ रखा गया है. समिति से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बैठक में इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके किए गए फोन जासूसी कांड के बारे में सवाल जवाब किए जाएंगे.
इस समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दो दिनों पहले ही अपने अलग-अलग बयानों और ट्वीट के जरिए इस जासूसी कांड को लेकर सरकार से कई सवाल पूछे हैं. थरूर ने कहा कि सरकार अगर ये कहती है कि उसने जासूसी नहीं की तब तो एक स्वतंत्र जांच ये जानने के लिए बेहद जरूरी है कि आखिर किसने ये जासूसी की है. थरूर ने कहा कि पेगासस बनाने वाली कंपनी कहती है कि वो अपना सॉफ्टवेयर केवल सरकारों को भी बेचती है.
इसके पहले भी इसी संसदीय समिति ने इजरायली सॉफ्टवेयर के बारे में सरकार से सवाल पूछे थे. साल 2019 में व्हाट्सअप डेटा के लीक होने का खुलासा हुआ था और उस वक्त भी समिति ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों को सवाल जवाब के लिए बुलाया था.
कांग्रेस ने चुनी हुई सरकारों को गिराने का आरोप लगाया
इसके साथ ही कांग्रेस ने सरकार पर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके देश में चुनी हुई सरकारों को गिराने का आरोप लगाया और पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि बीजेपी और मोदी सरकार ने कर्नाटक में कांग्रेस गठबंधन सरकार को गिराने के लिए स्पाइवेयर का दुरुपयोग करके लोकतंत्र की हत्या की है.
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पेगासस जासूसी मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराए जाने और सरकार से श्वेत पत्र लाने की मांग की है, जिसमें इस बात का स्पष्ट जिक्र हो कि उसने इजराइली जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है अथवा नहीं. विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार पर हमला तेज कर दिया है,वहीं केन्द्र ने जासूसी के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा कि भारतीय लोकतंत्र को ‘नुकसान’ पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं.