मोदी जी के घर तो देर तक नहीं है‚फिर अंधेर का तो सवाल ही कहां उठता है। तब रसोई गैस के दाम का विकास कैसे रुक सकता था! फिर भी‚ जून के महीने में रसोई गैस के दाम का विकास जरा सा रुका क्या रह गया‚ विरोधियों ने रसोई गैस के विकास की उपेक्षा‚ रसोई के साथ भेदभाव‚ वगैरह का शोर मचा दिया। खैर! मोदी जी ने भी अब आगे–पीछे की सारी शिकायतें दूर कर दी हैं। साल का उत्तरार्द्ध लगते ही‚ सिलेंडर के दाम को साढ़े पच्चीस रुपये की तरक्की दिला दी है। छह महीने में कुल 140 रुपये की या करीब 20 फीसद की तरक्की! अडानी–अंबानी और पेट्रोल–डीजल से लेकर खाने–पकाने तक के तेलों को छोड़कर और किसी पर मोदी जी इतने मेहरबान नहीं हुए। कम से कम शुक्रिया तो बनता है। फिर भी लोग हैं कि कभी इधन के तेल के दाम‚ तो कभी खाने–पकाने के तेल के दाम‚ कभी रसोई गैस के दाम तो कभी दूध के दाम‚ कभी सब्जी के दाम तो कभी दाल के दाम के बढ़ने के खिलाफ‚ आये दिन तख्तियां लेकर खड़े हो जाते हैं और रसोई के बजट के बिगड़ने का रोना रोने लगते हैं। असल में ये खांटी एंटीनेशनल हैं; पाकिस्तान के बाद‚ अब अफगानिस्तान में भी भेजे जाने के लायक। ये मोदी जी का नया इंडिया बनाने ही नहीं देना चाहते हैं। मोदी जी कुछ भी बनाएं‚ इन्हें तो विरोध करना है। वहीं मंदिर बनाएं तब भी और वहीं अपना नया सेंट्रल विस्टा बनाएं तब भी। और हर चीज के दाम को ताबड़तोड़ तरक्की देकर‚ नये इंडिया के बाजारों में योरप–अमरीका वाली फीलिंग लाएं तब भी। आजादी के सत्तर साल में इन्हें मुफ्तखोरी की लत जो लग गई है। इन्हें नया इंडिया भी पूरी तरह से मुफ्त नहीं तब भी कम से कम तगड़ी सब्सिडी वाला तो जरूर ही चाहिए। तेल सस्ता‚ रसोई गैस सस्ती‚ अनाज सस्ता‚ चीनी सस्ती‚ खाद–बीज‚ स्कूल–अस्पताल‚ बिजली‚ पानी सब सस्ता। पर जब पब्लिक को सब सस्ता ही मिलेगा‚ तो अडानी–अंबानी के एशिया में नंबर वन–टू वाला‚ नया इंडिया कैसे बनेगाॽ खैर! विरोधी करते रहें कांय–कांय‚ मोदी जी ने रसोई गैस की‚ पेट्रोल–डीजल से पीछे छूटने की शिकायत दूर कर दी है।