प्रिय बहन उषा‚
संध्या के ७ बज रहे हैं। तुम्हारा जीवन साथी द्वार पर आ चुका होगा। शहनाई बज रही होगी। सारे लोग बारात की आव–भगत में व्यस्त होंगे। सारा घर परिवार के सदस्यों–मित्र परिजनों से भरा होगा। कल तुम अपने नये घर में चली जाओगी। नवीन जीवन प्रारम्भ करोगी। ऐसी मंगल बेला में तुम्हारा एक भाई इस कार्य में सहयोगी नहीं हो सका। तुम लोगों को भी मेरा अभाव खटक रहा होगा। बार–बार आज का दिन भुलाना चाह रहा था‚ ताकि मानसिक कष्ट न हो। किन्तु रह–रह कर तुम्हारी याद आ जाती थी। फलतः यह पत्र लिखने बैठ गया। उषा चिन्ता मत करो‚ शीघ्र मैं बाहर आकर अपने अभाव को दूर कर दूंगा। मैं भले ही तेरी शादी में शरीक नहीं हो सका‚ परन्तु तेरे अनेक भाई तो वहां होंगे ही। उषा जब देश पर इस प्रकार संकट के बादल घिरे हों‚ हजारों नौजवान‚ स्त्री‚ पुरुष जेल में बन्द हों तो केवल एक तेरा भाई क्या महत्व रखता है ॽ कितने लेागों के घरों में मत्यु हो गयी किन्तु वे अपने घर वालों का दर्शन भी कर नहीं सकेॽ फिर शादी कौन सी बड़ी चीज है ॽ उषा तुम लोगों को लगता होगा कि मैं घर को कोई सहयोग नहीं करता और शायद कर भी न पाउं ॽ परन्तु यदि मेरे जैसे हजारों नौजवान अपनी जवानी खपा कर देश के लाखों परिवारों को खुशहाल कर सकें‚ तो समझना हमारा जीवन सार्थक हो गया। तुम्हारी शादी के बाद शायद मेरा ही नम्बर है। किन्तु अनावश्यक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। मैंने कोई प्रतिज्ञा तो नहीं किन्तु निश्चय किया है कि आगामी पांच वर्ष अभी इस संबंध में कोई विचार नहीं करूंगा। अब बचपना छोड़कर नये घर को सुख‚ शान्ति‚ समृद्धि प्रदान करो। तुम्हारा एक फालतु भाई इससे अधिक इस चाहरदिवारी से तुझे और क्या आशीर्वचन दे सकता है। ईश्वर से यही इच्छा है तेरा भावी जीवन सुखमय हो। फिर मिलेंगेॽ
तुम्हारा भाई‚
सुशील कुमार मोदी
बिहार में पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स आयोजित, 4 मई को मोदी करेंगे उद्धाटन
खेल के रंग, बिहार के संग, इसी थीम लाइन के साथ बिहार में पहली बार खेलों का महाकुंभ आयोजित हो...