लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच अध्यक्षता की दावेदारी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकता है. इस बात की घोषणा स्वयं चिराग पासवान ने ही की है. उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के पार्टी अध्यक्ष के चुनाव को खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है और कहा है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा किया जाता है जिसमें लगभग 75 सदस्य होते हैं. जबकि गुरुवार को पटना में हुई लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में केवल 9 सदस्य उपस्थित थे. निलंबित सदस्यों ने मेरे चाचा को अध्यक्ष चुना है, जो अवैध है.
चिराग ने यह भी कहा कि मेरे पास पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों के शपथ पत्र हैं, जिन्होंने मेरे नेतृत्व पर भरोसा जताया है. मैंने चुनाव आयोग को सूचित किया है कि ये 5 सांसद अब लोजपा के नहीं, बल्कि निर्दलीय सांसद हैं. मुझे विश्वास है कि लोजपा संविधान के मद्देनजर चुनाव आयोग और लोकसभा अध्यक्ष उचित निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी मेरे पिता द्वारा बनाई गई थी और मैं इसे इस तरह टूटते नहीं देख सकता. एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार हूं और जरूरत पड़ी तो मैं सुप्रीम कोर्ट का रुख करूंगा.
इस बीच मीडिया में यह खबर आ रही है कि लोक जनशक्ति पार्टी में राजनीतिक विवाद को लेकर पूर्व सांसद अरुण कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. अरुण कुमार ने पीएम मोदी से चिराग पासवान की राजनीतिक हत्या रोकने की गुहार लगाते हुए अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वह व्यवहार दिलाने की कोशिश की है जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की उपस्थिति के कारण भाजपा नेताओं के लिए आोयजित भोज रद्द कर दिया था.
अरुण कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि नीतीश कुमार ने उन्हें राजनीतिक अछूत बनाते हुए उनके सामने से ही थाली खींची थी. अरुण कुमार ने पत्र में यह भी कहा है कि चिराग पासवान ने बतौर पीएम उम्मीदवार उनका समर्थन किया था, इसलिए उनकी राजनीतिक हत्या को पीएम मूकदर्शक बनकर नहीं देखें. मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे मुद्दे पर पूर्व सांसद अरुण कुमार शुक्रवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं.
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