शुभाशीष झा उर्फ ‘जीजाजी छत पर कोई है’ के जीजाजी :
‘’मेरी माँ एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली महिला हैं। आत्मविश्वास और अनुशासन मैंने माँ से सीखा है। आमतौर पर हर साल ‘मदर्स डे’ पर मैं फूल और केक भेजा करता हूँ। या फिर कोई ऐसा गिफ्ट भेजता हूँ, जिससे मुझे लगता है उन्हें ख़ुशी होगी और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाएगी।
माँ ने हमेशा यही सिखाया की ज़िंदगी में आने वाले उतार-चढ़ाव के बावजूद मानसिक रूप से सहज और स्थिर बने रहना चाहिए। यह सीख हमेशा मेरे बहुत काम आयी।
माँ के साथ कई प्यारी यादें जुड़ी हैं। बचपन में हर रविवार की सुबह मैं उनके साथ एक स्टेशनरी की दुकान पर जाया करता था। वहाँ वे मुझे मेरी पसंदीदा चीज़ें और खिलौने ख़रीद देती थीं। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता था।
वह कभी भी अपने लिये कुछ नहीं मांगतीं, इसलिये अक्सर बातचीत के दौरान, अगर वो ऐसी किसी चीज़ का ज़िक्र करती हैं जो मुझे लगता है कि उनके लिए उपयोगी होगी, तो मैं उसे अपने फ़ोन में नोट कर लेता हूँ।
जब कभी, उपहार में मैं उन्हें कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट देता हूँ, मैं इस बात का ध्यान रखता हूँ कि सारी चीजें व्यवस्थित कर दूँ। उस गैजेट का उपयोग कैसे किया जाए यह समझने में उनकी मदद करता हूँ। बहुत टेक-सैवी ना होने की वजह से वे अक्सर उसे सीखने को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखातीं और मुझे उनकी यह बात बहुत प्यारी लगती है। इस साल, इन परिस्थितियों की सीमाओं में हमें ‘मदर्स डे’ को नए अनोखे तरीकों से मनाने की जरूरत है। इस साल माँ के लिए मैं एक ख़ास मोंटाज वीडियो बना रहा हूँ।‘’
सायंतनी घोष उर्फ ‘तेरा यार हूं मैं’ की दलजीत बग्गाे :
‘’बचपन से ही मेरी मां ने मुझे आत्मकनिर्भर होने की सीख दी है, जिसकी वजह से आज मैं बेहद आत्म्निर्भर और मजबूत महिला बन पायी हूं। बर्थडे को छोड़कर मैं किसी भी दिन को सिर्फ एक दिन मनाने पर भरोसा नहीं करती। मुझे ऐसा लगता है कि लोगों को पूरे साल छोटी-छोटी चीजों से खास महसूस कराने की कोशिश करते रहना चाहिये और एक-दूसरे से जुड़े रहना चाहिये। जब मैं बड़ी हो रही थी मेरी मां हमेशा ही मेरी सबसे अच्छीक दोस्ते रही हैं और आज भी वह मेरी लूडो पार्टनर हैं। वह हमेशा ही माफ कर देने वाले लोगों में से हैं और वह चीजों के अच्छे़ पहलू को देखने पर विश्वाहस करती हैं। इसकी वजह उनका धैर्यशील स्वरभाव है। मैं आमतौर पर उनके लिये बुके भेजती हूं या फिर उन्हेंं स्पेाशल महसूस कराने के लिये कुकिंग में भी थोड़ा हाथ आजमा लेती हूं। इस साल चूंकि हम नहीं मिल पायेंगे, मैंने सोचा है कि उनके लिये केक और फूल भेजूंगी। साथ ही उन्हेंा ढेर सारा प्यानर और अच्छीे सेहत के लिये शुभकामनाएं दूंगी।‘’
युक्ति कपूर उर्फ ‘मैडम सर’ करिश्माव सिंह :
‘’मेरा मानना है कि हर बच्चार अपनी मां के करीब होता है, खासकर लड़कियां। मेरी मां पेशे से ब्यूतटिशियन हैं और मैंने उनसे काफी कुछ सीखा है। उनकी तरफ से मुझे सबसे अच्छीी सीख मिली है कि हम इस दुनिया में काफी कम समय के लिये आये हैं और हमें यह फैसला करना है कि इसे हंसकर बिताना या दुखी होकर। वह सबको बड़ी आसानी से माफ कर देती हैं और मैंने उनसे ही यह गुण सीखा है। मैंने बचपन से ही उन्हेंक चेहरे पर मुस्कुफराहट लिये काम और परिवार को एक साथ संभालते हुए देखा है। इसलिये, मैंने सीखा है कि हमें जिंदगी का सामना डटकर और साहस के साथ करना चाहिये। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो चेहरे पर मुस्कुयराहट लिये उसका सामना करो। वह मेरी सबसे अच्छीे दोस्ते हैं और उन्होंसने हमेशा मुझे इस पल में जीना और जिस चीज को करने में खुशी मिलती है उसे करना सिखाया है। बचपन की मेरी सबसे अच्छीे यादों में से एक है, जब वह मुझे लड़कों जैसे कपड़े पहनाती थीं और मेरे बाल छोटे-छोटे रखती थीं, जबकि मैं लड़कियों की तरह कपड़े पहनना चाहती थी। आमतौर पर, मैं उनके लिये अच्छाे खाना बनाती हूं और उन्हेंो गोल्डर ज्वै लरी बहुत पसंद आती है, इसलिये मैं उन्हेंह केक और फूलों के साथ इसे दिया करती हूं। उन्हेंं घर को सजाना भी अच्छान लगता है, इसलिये इंटीरियर के लिये मैंने उन्हेंय ड्रीम कैचर देने का सोचा है।‘’
मेघा चक्रवर्ती उर्फ ‘काटेलाल एंड सन्सख’ की गरिमा
‘’परिवार का मूल्यं और उसका महत्वे समझाने से लेकर इस व्य़वस्था् पर भरोसा करने में मदद करने से लेकर मेरी मां ने मुझे सबकुछ सिखाया है। मुझे ऐसा लगता है कि हमें हर दिन ही ‘मदर्स डे’ मनाना चाहिये और उन्हेंल हर दिन ही स्पे शल महसूस कराना चाहिये। मेरी मां ने मुझे हमेशा ही बड़ों का सम्मािन करना सिखाया और काम के प्रति ईमानदार रहना सिखाया है। उन्होंंने मुझमें यह विचार डाले हैं कि अपने आस-पास किसी भी तरह के अत्याैचार के खिलाफ आवाज उठाओ, खासकर जानवरों पर हो रहे अत्यााचारों के खिलाफ। उन्होंहने अनगिनत त्यारग किये हैं और इसके लिये उनका जितना शुक्रिया अदा करूं कम है। मेरी सबसे अच्छी् यादों में सर्दियों के समय से जुड़ी हुई हैं जब वहय मुझे सुबह उठाती थीं तो अपने गर्म स्लिल्पार्स मुझे पहना देती थीं ताकि मैं ठंडे फर्श पर पैर ना रखूं। हाल ही में मैंने उनके लिये किचन बनवाया और घर को रेनोवेट कराया है और वह काफी खुश थीं। मेरी मां कोलकाता में एक छोटा-सा एनजीओ चलाती हैं। वह लावारिसों का काफी अच्छीह तरह से ध्या न रखती हैं।‘’