बिहार विधानसभा ने अपने इतिहास में मर्यादाओं की ऐसी सीमा रेखा पार होते कभी नहीं देखी होगी। नए पुलिस बिल पर सदन से लेकर सड़क तक दंगल के बाद अब जंग सोशल मीडिया पर छिड़ गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चरित्र पर ही सवाल उठा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है-‘ नीतीश कुमार को इंद्रीय रस प्राप्त हो रहा होगा, जब सदन में उनके गुंडे महिला विधायकों की साड़ी उतार उनके ब्लाउज में हाथ डाल रहे थे। मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां देकर बाल पकड़ कर घसीटा जा रहा था। इस शर्मनाक घटना के बाद रात्रि में “निर्लज्ज कुमार” नृत्य-संगीत का आनंद उठा रहे थे।’
इस पोस्ट पर नीतीश कुमार की तरफ से नए साथी उपेंद्र कुशवाहा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा-‘ सुन लो तेजस्वी हमने लगभग आजीवन लालू जी के विरोध में राजनीति की है। लेकिन, हमेशा ही उनको ललुआ कहने वाले को मुंहतोड़ जवाब दिया है। तुमको भी मेरी सलाह है अपनी कब्र मत खोदो, जबान पर लगाम रखो वरना 9वीं फेल कहने वालों को और मौका ही देते जाओगे।’
जदयू के नीरज कुमार तो तेजस्वी से भी आगे निकले
जनता के चुने गए माननीयों से जिस मर्यादित भाषा की अपेक्षा की जाती है, उस पर तेजस्वी तो खरा नहीं ही उतरे, प्रतिक्रया में जदयू के नीरज कुमार दो कदम और आगे बढ़ गए। उन्होंने तेजस्वी के पोस्ट पर प्रतिक्रया में कहा कि ‘ ये नेतागिरी नहीं नंगापन है। लगता है कि सम्मानित महिला विधायकों के बारे में ऐसा लिखते वक्त इस अपरिपक्व युवक ने सोमरस का सेवन कर रखा था।’
तेजस्वी यादव राजनीति में लम्पटों को ला रहे : संजय सिंह
जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने प्रतिक्रया में कहा- ‘ तेजस्वी यादव राजनीति में लम्पटों को ला रहे हैं, जो सदन में आकर अनाप-शनाप बोलते हैं। तेजस्वी यादव का यदि यही रवैया रहा तो उनके राजनीतिक जीवन का ‘ द एन्ड’ निश्चित है। वो और उनके लोगों ने चाल-चलन-चरित्र दिखा दिया है।
सोशल एक्टिविस्ट क्या सोचते हैं, यह भी देखें
महिलाओं के साथ विधानसभा में जो हुआ, वह काला दिन : कंचन बाला
- सोशल एक्टिविस्ट कंचन बाला ने भास्कर से कहा कि जो कुछ बिहार विधानसभा में हुआ, वह बता रहा है कि आने वाले समय में बिहार का शासन कैसा होगा। सदन में कई बार विरोध हुआ है, लेकिन जो इस बार सदन में हुआ और पुलिस को बुलाया गया, वह नए पुलिस कानून की झांकी है। महिलाओं की सड़ियां खोल दी जाएंगी, सरेआम नंगा कर दिया जााएगा? आखिर नीतीश कुमार को हो क्या गया है? वे अपनी कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसके बाद नीतीश का भाषण और भी शर्मनाक रहा। पुलिस विधायकों को उठाकर फेंक रही थी। अपनी कुर्सी पर बने रहने के लिए कुछ भी कर देंगे। मार्शल से लोगों को निकलवाते। जूता से पिटवाया माननीय को। इससे नीचे और राजनीति क्या गिरेगी। सारी हदें पार हो गईं। महिलाओं के साथ विधानसभा में जो हुआ, वह काला दिन है। ऐसा कभी हम सोच भी नहीं सकते थे। हम सभी शर्मसार हो गए। औरत प्रतिनिधि के साथ जब ऐसा हो सकता है तो गरीब महिलाओं, रेप की शिकार महिलाओं के साथ कैसा सलूक होगा, यह सोचना डराता है।
राजनीति में, समाज में विरोध की जगह घटती जा रही : पद्मश्री सुधा वर्गीज
- सोशल एक्टिविस्ट पद्मश्री सुधा वर्गीज ने भास्कर से कहा है कि महिला विधायकों के साथ बिहार विधानसभा में जो कुछ भी हुआ, वह बहुत ही शर्मनाक है। विरोध करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। कुछ लोग सड़क पर विरोध करते हैं, कुछ सदन में विरोध करते हैं। महिलओं की इज्जत -आबरू है। उसे हमें किसी भी हालत में अपमानित नहीं करना है। हमें महिलाओं का आदर उस समय भी करना है, जब हम उनके खिलाफ कमद उठा रहे होते हैं। इसलिए बिहार में जो हुआ मैं फिर से कहती हूं शर्मनाक है। राजनीति में, समाज में विरोध की जगह घटती जा रही है। सिर्फ रूलिंग पार्टी रहेगी तो कैसे चलेगा ? लोकतांत्रिक समाज और राजनीति बिना विपक्ष के नहीं चल सकता। लोकतंत्र में विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। विरोध करने वालों पर लाठी चले या कुछ और हो, पर महिलाओं के साथ सीमा में रहकर एक्शन लेना चाहिए था।