फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पेरिस में हुई बैठक में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रखने का फैसला किया गया है। FATF की बैठक में पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों पर जून 2021 तक कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतों का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए आने वाले वक्त में भी राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। बता दें कि पहले ही संभावना जताई जा रही थी कि पाकिस्तान FATF की ‘ग्रे’ लिस्ट से पाकिस्तान के जून तक बाहर निकलना मुश्किल है। पाकिस्तान संगठन की पूर्ण बैठक से पहले सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के प्रयासों में जुटा हुआ था, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।
पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गई थी। ग्रे सूची में शामिल देश वे होते हैं जहां आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज़्यादा होता है, लेकिन ये देश FATF के साथ मिलकर इसे रोकने को लेकर काम करने के लिए तैयार होते हैं। FATF ने पिछले साल अक्टूबर में अपनी बैठक में निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक इस सूची में बना रहेगा क्योंकि वह 6 प्रमुख दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा है। इनमें भारत के दो सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों, मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर
बता दें कि इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी बुरी स्थिति में है। यहां तक कि उसे कर्ज चुकाने के लिए और कर्ज लेना पड़ रहा है। ऐसे में FATF की ग्रे लिस्ट में बने रहने से कुछ खास सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है, बल्कि इसमें गिरावट ही आने की संभावना है। पाकिस्तान की अधिकांश मदद चीन या फिर आईएमएफ जैसे संस्थानों से कर्ज के जरिए मिल रही है। वहीं, अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट हो जाता है तो उसे वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, एडीबी और यूरोपियन यूनियन से आगे कर्ज नहीं मिल सकता। ऐसे में पाकिस्तान के दिवालिया होने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।
एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने पिछले साल पाकिस्तान को आगाह किया था कि उसे इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए जिंदगीभर का मौका नहीं दिया जाएगा और एक्शन प्लान देने में बार-बार असफल होने पर उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था और इस्लामाबाद को 2019 के अंत तक आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में कोविड-19 महामारी के कारण यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी। अक्टूबर 2020 में आयोजित अंतिम पूर्ण सत्र में, एफएटीएफ ने निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक अपनी ग्रे लिस्ट में जारी रहेगा क्योंकि यह वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी के 27 में से छह दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है।
हाल ही में पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ ने बताया था कि कुछ यूरोपीय देशों, विशेष रूप से मेजबान फ्रांस ने, एफएटीएफ को पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाये रखने की सिफारिश की है और यह रुख अपनाया है कि इस्लामाबाद द्वारा सभी बिंदु पूरी तरह से लागू नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अन्य यूरोपीय देश भी फ्रांस का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कार्टून मुद्दे पर इस्लामाबाद की हालिया प्रतिक्रिया से फ्रांस खुश नहीं है। पाकिस्तान ने पेरिस में एक नियमित राजदूत भी तैनात नहीं किया है।