प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पांच देशों के दौरे के तीसरे चरण के लिए शनिवार को अर्जेंटीना पहुंचे. 4-5 जुलाई को ब्यूनस आयर्स की यात्रा भारत और अर्जेंटीना के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जुड़ाव का प्रतीक है. 1968 में इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद से यह दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा है. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिजों, रक्षा और व्यापार में सहयोग को गहरा करने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही आतंकवाद के खिलाफ साझा रुख की पुष्टि भी कर रहे हैं. यह ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हो रही है.
वहीं दूसरी ओर भारत और अर्जेंटीना का बाइलेटरल ट्रेड भी कम नहीं है. अर्जेंटीना भारत के लिए बड़े एडिबल ऑयल सप्लायर्स में से एक रहा है. साल 2022 में दोनों देशों का बाइलेटरल ट्रेड 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा के साथ पीक पर पहुंच गया था. खास बात तो ये है कि साल 2025 में भी शुरुआती महीनों में दोनों देशों का ट्रेड 2 बिलियन डॉलर से ऊपर चला गया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर अर्जेंटीना की पीएम मोदी की यात्रा क्यों अहम मानी जा रही है?
रणनीतिक खनिज, ऊर्जा और संतुलित व्यापार समीकरण
अर्जेंटीना के लिथियम, कॉपर और शेल गैस के विशाल भंडार भारत के लिए रुचि के प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरे हैं. लिथियम, विशेष रूप से, भारत की क्लीन एनर्जी महत्वाकांक्षाओं के लिए आवश्यक है जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रिड स्टोरेज के लिए बैटरी में किया जाता है और अर्जेंटीना बोलीविया और चिली के साथ लिथियम त्रिभुज का हिस्सा है. भारतीय राज्य समर्थित फर्म KABIL (खानिज बिदेश इंडिया लिमिटेड) ने पहले ही अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में लिथियम एक्सप्लोरेशन के अधिकार हासिल कर लिए हैं और यात्रा के दौरान आगे की घोषणाएं होने की उम्मीद है.
खनिजों से परे, एलएनजी में अर्जेंटीना की बढ़ती क्षमता और इसके अप्रयुक्त शेल ऊर्जा संसाधन, दुनिया में दूसरे सबसे बड़े शेल गैस भंडार, अब नई दिल्ली का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. खाड़ी में पारंपरिक सप्लायर्स के अस्थिरता का सामना करने के साथ, मोदी सरकार अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की सोच रही है और अर्जेंटीना एलएनजी उस समीकरण का हिस्सा है. ब्यूनस आयर्स ने एलएनजी निर्यात का विस्तार करने और अपस्ट्रीम क्षेत्रों में भारतीय निवेश को आकर्षित करने में रुचि दिखाई है.
खाद्य तेलों से आगे बढ़कर व्यापार संबंध बढ़े
भारत और अर्जेंटीना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2024 में 5.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जिसके साथ भारत अब अर्जेंटीना के टॉप 6 व्यापारिक साझेदारों में शामिल हो गया है. जबकि ट्रेड बास्केट ऐतिहासिक रूप से खाद्य तेलों, विशेष रूप से सोयाबीन तेल के इर्द-गिर्द केंद्रित रही है. अब कृषि-वस्तुओं से आगे बढ़ने में रुचि बढ़ रही है. अर्जेंटीना भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और आईटी सेवाओं का आयात करना चाहता है, जबकि नई दिल्ली फलों, सब्जियों, डेयरी और अनाज के लिए अर्जेंटीना के कृषि बाजारों तक पहुंच बनाने पर जोर दे रही है. दोनों पक्षों से व्यापार असंतुलन की समीक्षा करने और दो-तरफ़ा बाजार पहुंच में सुधार के उपायों पर विचार करने की उम्मीद है. दिसंबर 2023 में पदभार संभालने वाले अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली ने पश्चिम से परे आर्थिक साझेदारी के लिए खुलेपन का संकेत दिया है. भारत द्वारा मर्कोसुर के साथ व्यापार वार्ता को पुनर्जीवित करने के लिए दबाव डालने के साथ, अर्जेंटीना की भूमिका महत्वपूर्ण है.
रक्षा, अंतरिक्ष और तकनीकी सहयोग
इस यात्रा से रक्षा सहयोग पर चर्चाओं के विस्तार की भी उम्मीद है. अभी भी शुरुआती चरण में, अर्जेंटीना ने भारत द्वारा निर्मित रक्षा प्रणालियों में रुचि दिखाई है, जिसमें तेजस हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं. वार्ता में संयुक्त प्रशिक्षण, को-प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रा और टेलीमेडिसिन भी ऐसे क्षेत्र हैं जहां सहयोग बढ़ाया जा सकता है. कहा जाता है कि अर्जेंटीना बड़े पैमाने पर डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म और किफायती स्वास्थ्य सेवा वितरण मॉडल को शुरू करने में भारत के अनुभव से सीखने के लिए उत्सुक है. स्पेस और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी पर भी चर्चा हो रही है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अर्जेंटीना की CONAE अंतरिक्ष एजेंसी पहले भी एक साथ काम कर चुकी हैं, और दोनों पक्ष इस यात्रा को भविष्य के सहयोग को औपचारिक रूप देने के अवसर के रूप में देखते हैं.
दोनों देशों का बाइलेटरल ट्रेड
मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटरनल अफेयर के आंकड़ों के अनुसार दोनों देशों का बाइलेटरल ट्रेड 2019 से 2022 तक तीन वर्षों में दोगुना से अधिक हो गया, जो 2022 में 6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के साथ पीक पर था. 2021 और 2022 दोनों में, भारत अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था. अर्जेंटीना भारत को खाद्य तेलों, विशेष रूप से सोयाबीन तेल के प्राइमरी सप्लायर में से एक है. हालांकि, अर्जेंटीना में भयंकर सूखे के कारण भारत-अर्जेंटीना बााइलेटरल ट्रेड को 2023 में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा और यह 39 फीसदी की गिरावट के साथ 3.9 बिलियन अमरीकी डॉलर पर आ गया.
2024 में, नई सरकार के तहत बेहतर मौसम की स्थिति और अधिक स्थिर इकोनॉमी के साथ, व्यापार ने अपनी गति फिर से हासिल कर ली, जो 33 फीसदी बढ़कर 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया. भारत-अर्जेंटीना व्यापार में 2025 के शुरुआती महीनों में दोनों देशों के बाइलेटरल ट्रेड में 53.9 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. खास बात तो ये है कि इस दौरान दोनों देशों के बीच ट्रेड 2,055.14 मिलियन अमरीकी डॉलर रहा. भारत को अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर और एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन माना जाता है.
अर्जेंटीना के साथ एक्सपोर्ट और इंपोर्ट
अर्जेंटीना को भारत के निर्यात की प्रमुख वस्तुओं में पेट्रोलियम तेल, कृषि रसायन, यार्न-फैब्रिक-मेडअप, कार्बनिक रसायन, थोक दवाएं और दोपहिया वाहन शामिल हैं. अर्जेंटीना से भारत के आयात की प्रमुख वस्तुओं में वनस्पति तेल (सोयाबीन और सूरजमुखी), तैयार चमड़ा, अनाज, अवशिष्ट रसायन और संबद्ध उत्पाद और दालें शामिल हैं. कई भारतीय कंपनियों ने 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के कुल निवेश इनमें एमफैसिस (सबसे हालिया), टीसीएस, कॉमविवा, इंफोसिस, एईजीआईएस-एस्सार, क्रिसिल, यूपीएल, एडवांटा सीड्स, बजाज मोटरसाइकिल, टीवीएस, रॉयल एनफील्ड, हीरो मोटर्स, ग्लेनमार्क, गोदरेज और श्री श्री तत्व शामिल हैं. भारत में अर्जेंटीना का निवेश लगभग 120 मिलियन अमरीकी डॉलर है, जिसमें आईटी सेवाओं में ग्लोबेंट और ओएलएक्स और इंजीनियरिंग क्षेत्र में टेकइंट की उपस्थिति है.
अर्जेंटीना दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक
अर्जेंटीना में पाए जाने वाले खजाने का नाम है लिथियम. इसका अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है. वास्तव में यह देश लिथियम ट्रायएंगल का हिस्सा है. इस ट्रायएंगल में दो और देश बोलीविया और चिली शामिल हैं. ये तीनों देश मिलकर दुनिया के करीब 80 फीसदी लिथियम का उत्पादन करते हैं. अर्जेंटीना दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक है और यहां दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार पाया जाता है.

अर्जेंटीना में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है. फोटो: Pixabay
साल 2025 में 75 फीसदी लिथियम उत्पादन का लक्ष्य
साल 2025 के लिए अर्जेंटीना ने 130800 टन लिथियम के उत्पाद का लक्ष्य तय किया है जो पिछले साल (2025) के मुकाबले 75 फीसदी ज्यादा है. अर्जेंटीना चैंबर ऑफ माइनिंग कंपनीज के अनुसार इस साल अर्जेंटीना में लिथियम उत्पादन का ज्यादातर हिस्सा साल्टा में नए ऑपरेशंस और अन्य ऑपरेशंस के विस्तार के जरिए मिलने की उम्मीद है. फिलहाल अर्जेंटीना में 6 एक्टिव लिथियम ऑपरेशंस हैं, जिनके जरिए साल 2024 में 74600 टन लिथियम का उत्पादन हुआ था. यह साल 2023 में हुए कुल उत्पादन के मुकाबले 62 फीसदी ज्यादा था.
दुनिया भर के लिए जरूरी है अर्जेंटीना का यह खजाना
अर्जेंटीना में पाया जाने वाला लिथियम आज दुनिया भर की जरूरत बन चुका है. दरअसल, इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिकल व्हीकल, बैटरी और एनर्जी सेक्टर में भारी मात्रा में किया जाता है. हाल के वर्षों में दुनिया भर में इलेक्ट्रिकल व्हीकल का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और भारत समेत दुनिया भर के देश इसको बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं. स्वच्छ ऊर्जा की रणनीति को बढ़ावा देने में लिथियम की अहम भूमिका है.
इसके अलावा पेट्रोल, डीजल और सीएनजी वाहनों में लगने वाली बैटरियों में भी लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए भी है दुनिया भर के देशों की जरूरत है. वर्तमान में चीन दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम का उपभोक्ता है, क्योंकि वहां सबसे अधिक कारों का उत्पादन होता है और वही कारों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है. भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ ऊर्जा के लिए लिथियम बेहद जरूरी है.

साल 2024 में भारत-अर्जेंटीना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5.2 अरब अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच था.
भारत हासिल कर चुका लिथियम खनन का अधिकार
भारत अपने यहां ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों पर काम कर रहा है. खासकर खाड़ी देशों में उठा-पटक के चलते ऊर्जा की जरूरतें पूरी करने में अर्जेंटीना की प्रमुख भूमिका हो सकती है. इसलिए अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में लिथियम की खुदाई का अधिकार भारत की खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड पहले ही हासिल कर चुकी है. इसके लिए 15 जनवरी 2024 को भारत और अर्जेंटीना के बीच लिथियम की खुदाई पर एक समझौता हुआ था. इस समझौते की लागत 200 करोड़ रुपये थे. इसी के तहत भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड को अर्जेंटीना में खनन का अधिकार मिला है और उसे पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉक आवंटित किए जाने हैं.
भारत से अर्जेंटीना क्या-क्या खरीदता और बेचता है?
आज की तारीख में भारत अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है. साल 2019 से 2022 के बीच इन दोनों देशों में हुआ द्विपक्षीय व्यापार दोगुना से भी ज्यादा बढ़ गया था और यह 6.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 53 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है. वहीं, साल 2024 में भारत-अर्जेंटीना के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5.2 अरब अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच चुका था. भारत से अर्जेंटीना को पेट्रोलियम ऑयल, एग्रीकल्चरल केमिकल और दोपहिया वाहन आदि का निर्यात किया जाता है. वहीं, अर्जेंटीना से भारत वनस्पति तेल जैसे कि सोयाबीन का तेल और सूरजमुखी का तेल, चमड़े और अनाज का आयात करता है. इनके अलावा खाड़ी देशों पर निर्भरता घटाने के लिए भारत की दिलचस्पी अर्जेंटीना के शेल गैस और एलएनजी भंडार पर भी है.

अर्जेंटीना में फार्मा, हेल्थटेक और आईटी सेक्टर में भारत अपना विस्तार करना चाहता है. फोटो: Pixabay
इन क्षेत्रों में भी साझेदारी बढ़ाने की तैयारी
भारत अब अर्जेंटीना को फार्मा, हेल्थटेक और आईटी जैसे क्षेत्र में अपना निर्यात बढ़ाना चाहता है. वहीं, अर्जेंटीना की भारतीय लड़ाकू विमान तेजस जैसे कई रक्षा उत्पादों में रुचि है. प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान इन उत्पादों के संयुक्त रूप से प्रशिक्षण, संयुक्त उत्पादन और तकनीक हस्तांतरण पर चर्चा की भी संभावना जताई जा रही है. टेलीमेडिसिन, डिजिटल गवर्नेंस और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी ये दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अर्जेंटीना की अंतरिक्ष एजेंसी के बीच पहले भी सहयोग रहा है.
पहलगाम हमले के वक्त दिया भारत का साथ
भारत और अर्जेंटीना के बीच रणनीतिक साझेदारी बेहतर है. पहलगाम आतंकवादी हमले के समय अर्जेंटीना ने भारत का साथ दिया था और इस हमले की निंदा की थी. इसके साथ ही ये दोनों देश शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम और ऊर्जा में सहयोग पर जोर देते हैं. यही नहीं, न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के दावे का अर्जेंटीना समर्थन करता रहा है. भारत साल 2016 में इसकी सदस्यता के लिए आवेदन कर चुका है.
दुनिया को ये सारी चीजें देता है अर्जेंटीना
अर्जेंटीना में दुनिया का दूसरे सबसे बड़े शेल गैस भंडार, जो वह कई देशों को मुहैया कराता है. इसके अलावा वहां दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अपरंपरागत तेल संसाधन है. शेल गैस भंडार मुख्य रूप से अर्जेंटीना के वाका मुएर्ता क्षेत्र में है. इसके अलावा अर्जेंटीना में कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ जैसे तांबा, चांदी और सोना भी पाए जाते हैं. यही वजह है कि अर्जेंटीना का भी महत्व कम नहीं है.