इजरायल-ईरान तनाव का सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ता हुआ दिख रहा है. कारोबारी हफ्ते के दूसरे दिन मंगलवार 17 जून 2025 को बीएसई पर 30 अंकों वाले सेंसेक्स की फ्लैट चाल रही. सेंसेक्स 120.50 प्वाइंट यानी 0.15 फीसदी बढ़त के साथ 81,659.87 के लेवल पर कारोबार कर रहा है. जबकि, एनआसई का निफ्टी 50 भी 50.45 प्वाइंट यानी 0.16 प्रतिशत के इजाफे के साथ 24950 के आसपास कारोबार कर रहा है. इधर, विशाल मेगा के शेयर सात प्रतिशत लुढ़क गये. हालांकि, Axiscades के शेयरों में पांच प्रतिशत की तेजी देखी जा रही है.
किन शेयरों में उतार-चढ़ाव
एशियाई बाजार में मंगलवार को बढ़त का रुख रहा. जापान का निक्केई 0.68 उछला तो वहीं कोस्पी 1.40 प्रतिशत के साथ ऊपर गया. एएसएक्स 200 में किसी तरह का बदलाव नहीं दिखा जबकि डॉउ जोन्स 0.75 प्रतिशत, एसएंडपी 500 भी 0.94 प्रतिशत चढ़ा. नैस्डैक कंपोजिट में 1.52 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. क्रूड ऑयल के दाम में तेजी देखी जा रही है. 70 डॉलर प्रति बैरल पर पिछड़ने के बाद एक बार फिर से यह 74 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है.
एक दिन पहले बाजार गुलजार
मजबूत वैश्विक संकेतों के बीच आईटी और पेट्रोलियम शेयरों में खरीदारी और क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी की वजह से सोमवार को स्थानीय शेयर बाजारों में तेजी लौटी. सेंसेक्स 677.55 प्वाइंट यानी 0.84 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 81,796.15 के स्तर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान एक समय यह 747.22 प्वाइंट उछलकर 81,865.82 के स्तर पर पहुंच गया था. एनएसई का 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी 227.90 प्वाइंट यानी 0.92 प्रतिशत उछलकर 24,946.50 के स्तर पर बंद हुआ.
ईरान-इजराइल में जारी भारी तनाव की वजह से पिछले दो सत्रों में सेंसेक्स 1,396.54 प्वाइंट और निफ्टी 422.8 प्वाइंट फिसल गया था. सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से अल्ट्राटेक सीमेंट, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), एशियन पेंट्स, टाटा स्टील और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए. दूसरी तरफ, टाटा मोटर्स, अदाणी पोर्ट्स और सन फार्मा के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई.
रुपया दो दुश्मनों से एक साथ लड़ रहा है जंग………..
जहां एक ओर ईरान और इजराइल के बीच भीषण जंग चल रही है. वहीं दूसरी ओर रुपया भी अपने दो दुश्मनों के साथ एक साथ लड़ाई लड़ रहा है. जिसमें उसे जीत भी हासिल हो रही है. सोमवार को भी रुपया अपने दुश्मनों के मुकाबले में मजबूती के साथ खड़ा हुआ दिखाई दिया था. मंगलवार को बाजार खुलने के बाद भी और मजबूती के साथ खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है.यही वजह है कि रुपया एक बार फिर से 86 के लेवल के ऊपर उठते हुए 85 के लेवल पर आ गया है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में रुपए में और भी मजबूती देखने को मिल सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रुपया आखिर अपने किन दो दुश्मनों से एक साथ जंग लड़ रहा है, जिसमें उसकी जीत भी होती हुई दिखाई दे रही है.
रुपए की जंग किसी और से नहीं बल्कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर से हो रही है. बीते कुछ समय से दोनों में इजाफा देखने को मिल रहा है. जिसका असर रुपए पर देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को दोनों में उछाल की वजह से रुपए को 57 पैसे का नुकसान उठाना पड़ा था. जहां कच्चे तेल की कीमतों में 7 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी और डॉलर इंडेक्स में भी उछाल आया था. आंकड़ों की बात करें तो ईरान और इजराइल वॉर की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में करीब 11 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. वहीं दूसरी ओर बीते 5 कारोबारी दिनों में भले ही डॉलर इंडेक्स में करीब 1 फीसदी की गिरावट देखी गई हो, लेकिन हाल में इसमें इजाफा भी देखने को मिला है. वैसे रुपए को सबसे ज्यादा नुकसान कच्चे तेल की कीमतों ने पहुंचाने का काम किया है.
वहीं दूसरी ओर मंगलवार को कच्चे तेल की कीमत में तेजी और डॉलर इंडेक्स में उछाल को दरकिनार करते हुए रुपए ने अच्छी छलांग लगाई है. ये छलांग शुरुआती दौर में 11 पैसे की देखने को मिल रही है. जिसके बाद डॉलर के मुकाबले में रुपया 85.93 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया डॉलर के मुकाबले 85.96 पर खुला. फिर 85.93 प्रति डॉलर पर पहुंच गया जो पिछले बंद भाव से 11 पैसे की बढ़त दर्शाता है. रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.04 पर बंद हुआ था. इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.16 पर रहा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि यदि रुपया आज (मंगलवार) या किसी भी दिन 86.20 से ऊपर बंद होता है, तो इंपोटर्स को स्टॉप लॉस का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि डॉलर का लाभ 86.70 तक जा सकता है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक के 86.20 पर मौजूद होने से संतुष्ट हुआ जा सकता है, जहां वह रुपए को स्थिर रखने के लिए डॉलर बेच रहा है. तेल की कीमतें रुपए के लिए प्रमुख फैक्टर हैं, क्योंकि एफपीआई और तेल कंपनियां अपने-अपने निकासी के लिए डॉलर खरीदती हैं.
उन्होंने कहा कि आज की दी गई सीमा 85.75 से 86.30 है और यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि युद्ध कैसे आगे बढ़ता है और आरबीआई बाजार में क्या करता है. भंसाली ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इजरायल-ईरान संघर्ष को लेकर तेहरान के खिलाफ चेतावनी जारी करने के बाद ब्रेंट ऑयल की कीमतें बढ़कर 74.04 डॉलर प्रति बैरल हो गईं, जिससे आपूर्ति बाधित होने की चिंता बनी हुई है.