अमेरिका से डिपोर्ट किए अवैध प्रवासी भारतीय को हथकड़ी और बेड़ियों में भेजने पर सवाल उठ रहे हैं. मानवता की दुहाई देकर लोग डोनाल्ड ट्रंप सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और केंद्र सरकार पर भी निशाना साध रहे हैं. हरियाणा के 33 युवाओं को भी इस बार डिपोर्ट किया गया है और हथकड़ी और बेड़ियां लगाने पर लोग गुस्सा हैं. उधर, साल 2020 में अमेरिका से डिपोर्ट हुए लोगो ने बताया कि उस दौरान भी उन्हें हथकड़ियां और बेड़ियां लगाकर ही भारत भेजा गया था.
104 भारतीयों के डिपोर्ट कर भारत भेजे जाने का मामला तूल पकड़ चुका है। इस मुद्दे को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है, वहीं विपक्षी दलों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। अमेरिकी बॉर्डर पैट्रोल (यूएसबीपी) ने इस डिपोर्टेशन का एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें दिखाया गया है कि भारतीयों को अमेरिकी मिलिट्री प्लेन से भारत भेजा गया। इस बीच, भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं।
‘अवैध रूप से घुसोगे, तो अंजाम भुगतना होगा’
अमेरिकी बॉर्डर पैट्रोल (यूएसबीपी) के अध्यक्ष माइकल डब्ल्यू बैंक्स ने सोशल मीडिया पर इस डिपोर्टेशन का वीडियो पोस्ट किया और लिखा, “यूएसबीपी और हमारे सहयोगियों ने अवैध प्रवासियों को सफलतापूर्वक भारत भेज दिया है। यह अमेरिका से अब तक की सबसे लंबी डिपोर्टेशन फ्लाइट थी। अगर आप अवैध रूप से हमारी सीमा पार करेंगे, तो आपको इसका अंजाम भुगतना होगा।”
बैंक्स के इस बयान के बाद मामला और गरमा गया है। विपक्षी दलों ने इसे भारतीय नागरिकों के प्रति अमानवीय व्यवहार करार दिया है और सरकार से अमेरिका के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की मांग की है।
104 भारतीयों को अमेरिका से निकाला गया
डिपोर्ट किए गए भारतीयों की संख्या 104 बताई जा रही है। इनमें सबसे अधिक संख्या पंजाब और हरियाणा के प्रवासियों की है। इसमें पंजाब के 31, हरियाणा के 30, गुजरात के 27, उत्तर प्रदेश के 3, महाराष्ट्र के 4, चंडीगढ़ के 2 लोग शामिल हैं।
कहा जा रहा है कि इन लोगों ने अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश किया था, जिसके कारण उन्हें डिपोर्ट किया गया। अमेरिकी सरकार ने इनके डिपोर्टेशन का पूरा खर्च खुद उठाया है।
अमेरिकी दूतावास ने भी दी चेतावनी
अमेरिकी दूतावास ने भी इस मामले पर आधिकारिक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया, “अगर आप गैरकानूनी रूप से अमेरिका की सीमा पार करेंगे, तो आपको वापस भेजा जाएगा। इमिग्रेशन कानूनों को सख्त करना अमेरिका की सुरक्षा और हमारे नागरिकों के हित में जरूरी है। हमारी नीति स्पष्ट है – हम हरसंभव तरीके से इमिग्रेशन कानूनों को लागू करेंगे।”
भारतीयों को हथकड़ी में डिपोर्ट कर अमेरिका ने तोड़ा नियम?
अमेरिका में कथित रूप से अवैध रूप से रह रहे भारतीयों के डिपोर्टेशन से देश में बड़ा विवाद पैदा हो गया है. भारतीय नागरिकों ने दावा किया है कि उनके हाथ-पैरों में बेड़ियां बांधकर उन्हें सैन्य विमान से वापस भेजा गया. बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप की अवैध अप्रवासियों पर कार्रवाई के तहत 104 भारतीय नागरिकों को लेकर अमेरिकी वायुसेना का एक विमान अमृतसर में उतरा. डिपोर्ट किए गए लोगों में से अधिकांश पंजाब, हरियाणा और गुजरात से थे. विपक्ष ने संसद में यह मुद्दा उठाते हुए मांग की है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को अमेरिका के साथ सुलझाए. इससे चलते विदेश मंत्री एस जयशंकर को सरकार की ओर मोर्चा संभालना पड़ा. वह राज्यसभा में आए और उन्होंने सभी सवालों का जवाब दिया.
जयशंकर ने कहा, “अमेरिका द्वारा निर्वासन का आयोजन और क्रियान्वयन इमीग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट (आईसीई) अथॉरिटी द्वारा किया जाता है. आईसीई विमान द्वारा डिपोर्टेशन के लिए जिस एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का इस्तेमाल करता है वो 2012 से प्रभावी है. इसके तहत संयम बरतने का प्रावधान है. हमें आईसीई द्वारा सूचित किया गया है कि महिलाओं और बच्चों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है.” जयशंकर ने कहा कि केंद्र सरकार डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से बात कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीयों के साथ गलत व्यवहार न हो. उन्होंने कहा कि यदि कोई देश अपने नागरिकों को अवैध रूप से विदेश में रहते हुए पाता है तो उसे उन्हें वापस लेना होगा. जयशंकर ने कहा, “मैं दोहराता हूं कि पांच फरवरी को अमेरिका द्वारा भेजी गई उड़ान के लिए पिछली एसओपी में कोई बदलाव नहीं हुआ है.”
क्या है आईसीई की भूमिका
सबसे पहले, इमीग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट (आईसीई) अथॉरिटी पर एक नजर डालते हैं. सीएनएन के अनुसार, आईसीई होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) की दो प्रमुख एजेंसियों में से एक है. अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा (सीबीपी) डीएचएस की दूसरी प्रमुख एजेंसी है, जो अवैध रूप से सीमा पार करने की कोशिश करने वालों को गिरफ्तार करती है. डीएचएस अमेरिका में इमीग्रेशन को लागू करने के लिए जिम्मेदार है. सीबीपी जहां सीमा पर ध्यान केंद्रित करती है, वहीं आईसीई उन लोगों को हटाने का काम करती है जो अवैध रूप से देश में हैं.
कब किया गया था गठन
डीएचएस की तरह, आईसीई का गठन भी 9/11 के हमलों के बाद किया गया था. इसका भी संचालन 2003 में शुरू हुआ. आज, आईसीई के अमेरिका और विश्व भर में फैले उसके 400 कार्यालयों में 20,000 से अधिक लोग काम करते हैं. इसका वार्षिक बजट लगभग 9 अरब डॉलर है. यह हर साल औसतन 146,000 लोगों को डिपोर्ट करता है. वर्तमान में आईसीई का नेतृत्व कैलेब विटेलो कर रहे हैं – जो आईसीई के फायरआमर्स एंड टैक्टिकल प्रोग्राम ऑफिस के पूर्व सहायक निदेशक हैं. विटेलो सीधे तौर पर होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम को रिपोर्ट करते हैं. ट्रंप प्रशासन के तहत, आईसीई उन सभी आप्रवासियों को लक्ष्य बना रहा है, जिनके पास पूर्ण दस्तावेज नहीं हैं.
कैसे काम करती है डिपोर्टेशन प्रक्रिया
यह प्रक्रिया अवैध इमीग्रेंट की गिरफ्तारी से शुरू होती है. इसके बाद इमीग्रेंट्स को निकटतम आईसीई हिरासत केंद्र में ले जाया जाता है. जो लोग दो साल से कम समय से अमेरिका में हैं, उन्हें शीघ्र निष्कासन का सामना करना पड़ता है. इसके लिए किसी इमीग्रेशन जज को उनके डिपोर्टेशन का आदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है. डिपोर्टेशन की प्रक्रिया कुछ सप्ताह में पूरी हो सकती है. जो लोग दो साल से अधिक समय से अमेरिका में हैं, उन्हें डिपोर्ट होने में कई साल लग सकते हैं. MigrationPolicy.org के अनुसार , अक्टूबर 2024 तक इमीग्रेशन कोर्ट में 3.6 मिलियन मामले लंबित थे.
सबको नहीं लगतीं बेड़ियां- हथकड़ियां
डिपोर्टेशन तब होता है जब कोई इमीग्रेशन जज निष्कासन का अंतिम आदेश सुनाता है. इसके बाद अवैध आप्रवासी को वाणिज्यिक विमान या आईसीई उड़ान के माध्यम से मेक्सिको के साथ दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर स्थित किसी एक स्थान पर ले जाया जाता है. इसके बाद अवैध आप्रवासियों को कुछ दिनों तक यहां रखा जाता है. जिसके बाद उन्हें हवाई अड्डे पर भेज दिया जाता है. जहां उन्हें आईसीई चार्टर्ड विमान में लाद दिया जाता है और उनके गृह देश भेज दिया जाता है. हालांकि उन्हें ज्यादा सामान ले जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन 18 किलो वजन का एक बैग ले जाने की अनुमति है. कई यात्रियों को हथकड़ी, पैर में बेड़ियां और जंजीर लगा दी जाती हैं. हालांकि, बच्चों और उनके साथ आने वाले लोगों पर कोई रोक नहीं है. विमान में लगभग 15 से 20 गार्ड के साथ-साथ मेडिकल स्टाफ भी मौजूद होता है. एनबीसी के अनुसार, आप्रवासियों को घर वापसी की उड़ान में भोजन भी दिया जाता है.
अमानवीय व्यवहार का आरोप
बुधवार को, अमेरिका के सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा प्रमुख माइकल डब्ल्यू. बैंक्स ने 104 भारतीयों के निर्वासन का एक वीडियो साझा किया. पंजाब के गुरदासपुर के 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने बताया कि यात्रियों को पूरी यात्रा के दौरान बेड़ियों में जकड़ा गया. जसपाल सिंह ने कहा कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था. जसपाल सिंह ने बताया, “हमें लगा कि हमें दूसरे कैंप में ले जाया जा रहा है. फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि हमें भारत ले जाया जा रहा है. हमें हथकड़ी लगाई गई थी और हमारे पैरों में जंजीरें बंधी हुई थीं. अमृतसर एयरपोर्ट पर इन्हें खोला गया.”
हथकड़ी लगाना स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल
जसपाल सिंह ने कहा कि उन्हें घर भेजे जाने से पहले 11 दिनों तक अमेरिका में हिरासत में रखा गया था. लेकिन एक अधिकारी ने न्यूज 18 को बताया कि उड़ान के दौरान प्रवासियों को हथकड़ी लगाना स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है. उन्होंने कहा कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि विमान में सभी लोग सुरक्षित रहें. ताकि अमेरिकी अधिकारियों और निर्वासित किए जा लोगों के बीच किसी घटना से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि इस प्रोटोकॉल का हमेशा पालन किया गया.