आपने अक्सर अखबारों और किसी राजनीतिक बहस में ‘बीमारू राज्य’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल होते हुए देखा होगा. क्या आप जानते हैं कि आखिर बीमारू राज्य होते क्या हैं, इन्हें क्यों यह नाम दिया गया है. दरअसल, बीमारू राज्य का पूरा कॉन्सेप्ट किसी भी प्रदेश के आर्थिक और सामाजिक हालात से संबंधित होता है. जो राज्य इन तय मुद्दों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है उसे बीमारू राज्य कहा जाने लगता है. बीमारू राज्य का यह कॉन्सेप्ट 1980 के दशक के मध्य में इस्तेमाल किया जाने लगा. इस दौरान आशीष बोस नामक के जनसांख्यिकी विशेषज्ञ ने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत खराब आर्थिक, सामाजिक और जनसांख्यिकीय विकास वाले राज्यों को लेकर ‘बीमारू राज्य’ जैसी शब्दावली गढ़ी. आइये आपको बताते हैं किन आर्थिक और सामाजिक पैमानों पर खरा नहीं उतरने पर किसी स्टेट को बीमारू राज्य कहा जाता है.
क्या होते हैं बीमारू राज्य
किसी राज्य को बीमारू राज्य कहने से पहले उसकी आर्थिक व सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया जाता है. इनमें उच्च जनसंख्या वृद्धि दर, कम साक्षरता दर, उच्च शिशु और मातृ मृत्यु दर, कम प्रति व्यक्ति आय, उच्च गरीबी स्तर और अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अहम मुद्दे शामिल होते हैं. इसके अलावा, वे राज्य जहां भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता और राजनीतिक अस्थिरता जैसी चुनौतियों भी होती हैं, उन्हें आर्थिक व सामाजिक आधार पर बीमार राज्य का टैग दिया जाता है.
1980 के दशक में आशीष बोस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एक रिपोर्ट सौंपी थीं. इसमें उन्होंने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को ‘बीमारू’ राज्य कहा था. क्योंकि, ये प्रदेश आर्थिक विकास, हेल्थकेयर सुविधाओं, शिक्षा और अन्य मामलों में पिछड़े हुए थे. हालांकि, धीरे-धीरे इन राज्यों की तस्वीर बदली है और इनके ऊपर लगा बीमारू राज्य का टैग हटा है.
बदल रही है बीमारू राज्यों की तस्वीर
साल 2012 में तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, “वे राज्य जहां विकास की गति धीमी रही, अब उन्होंने बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है. यह पहली बार है जब 5 सबसे गरीब राज्यों की औसत विकास दर किसी भी योजना अवधि में राष्ट्रीय औसत विकास दर से ज्यादा हो गई.
कहां कितना सुधार हुआ
हाल के वर्षों में आर्थिक और सामाजिक आधार पर इन राज्यों में सुधार के संकेत मिले हैं, जिसके बाद से इन प्रदेशों के ऊपर से बीमारू राज्य का तमगा हटने लगा है.
– उदाहरण के लिए, बिहार ने 2019-20 में कई अन्य राज्यों को पीछे छोड़ते हुए 11.3% की उच्च विकास दर दर्ज की है.
-राजस्थान और मध्य प्रदेश ने कृषि, पर्यटन और रिन्यूबल एनर्जी जैसे सेक्टर्स में अच्छी तरक्की की है.
-उत्तर प्रदेश ने औद्योगिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और सोशल वेलफेयर को बढ़ावा देने के लिए कई पहल शुरू की हैं.