हरियाणा और पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन की वजह से देशभर के तमाम शहरों की ओर संचालित होने वाली करीब 150 ट्रेनें प्रभावित हैं. रेलवे ने यात्रियों की सुविधा को देखते हुए पूर्व में सूचना दे दी है, जिससे शेड्यूल देखकर ही यात्रा प्लान करें.
किसान आंदोलन के चलते रोजाना ट्रेनें प्रभावित हो रही हैं. इस वजह से यात्रियों को परशानी हो रही है. उत्तर और उत्तर रेलवे पश्चिमी रेलवे प्रभावित देनों की सूची जा रही कर दी है. इनमें ज्यादातर ट्रेनें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की आने-जाने ओर आने वाली ट्रेनें हैं.
ट्रेनों में सज-धज कर चलती थी, भरोसा जीतते ही दिखा देती थी अपना असली रंग… हुआ राजफाश
उत्तर रेलवे की करीब 139 ट्रेनें हैं शामिल.
उत्तर पश्चिमी रेलवे के कुछेक ट्रेनें प्रभावित.
किसान आंदोलन के चलते रोजाना ट्रेनें हो रही हैं प्रभावित.
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार उपरोक्त आंदोलन के कारण प्रारंभिक स्टेशन से ट्रेन रद्द रहेंगी. ट्रेन नंबर 04745, चूरू-लुधियाना रेलसेवा और ट्रेन नंबर 04744, लुधियाना-चूरू रेलसेवा 22 अप्रैल और ट्रेन नंबर 04745, चूरू-लुधियाना रेलसेवा 23 अप्रैल को रद्द रहेगी.
रेलवे अधिकारी के अनुसार कुल 500 ट्रेनें इस आंदोलन से प्रभावित हुई है। प्रभावित हो रही ट्रेनों कि संख्या लगातार बढ़ रही है। इस समय यूपी-बिहार और अन्य राज्यों से पंजाब जाने वाले मजदूर कटाई खत्म करके अपने घर वापस लौटते हैं, लेकिन रेल ट्रैक जाम होने के कारण ये लोग वापस नहीं आ पा रहे हैं। कई मजदूर रेलवे स्टेशन में ही कैद होकर रह गए हैं।
आम लोगों को हो रही परेशानी
ट्रेनों के रद्द होने से आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। बड़ी संख्या में लोगों को प्लेटफॉर्म पर ही सोते हुए देखा जा सकता है। कई लोग घंटो से रेल का इंतजार कर रहे हैं। अंबाला रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ लग गई है, ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह से सफर कर रहे कई यात्रियों की ट्रेन बीच रास्ते में रद्द कर दी गई। आलम ये है की स्टेशन पर लोगों को बैठने की जगह नहीं मिल रही है।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों की खरीद से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए कृषि बिल पेश किया था। इस बिल के जरिए हो रहे बदलावों से किसान खुश नहीं थे। इस वजह से आंदोलन की शुरुआत हुई। पहले सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसान सड़क पर थे, लेकिन बाद में अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हुए और सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा। इसके बाद किसानों का आंदोलन रुका, लेकिन कुछ समय बाद फिर किसान सड़कों पर आ गए। किसानों की मांग उन किसानों को जेल से छोड़ने की है, जिन्हें आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाए जाएं। किसानों का कर्ज माफ किया जाए और आंदोलन में जिन किसानों की जान गई है। उनके परिवार को मुआवजा देने के साथ किसी एक सदस्य को नौकरी भी दी जाए।