जब दिल्ली की शराब नीति के मामले में पहले मनीष सिसोदिया और बाद में संजय सिंह गिरफ्तार हुए और गिरफ़्तारी को महीनों बीत गए, तो सब ने यही सोचा कि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल असल में भारतीय जनता पार्टी की बी पार्टी हैं और वे दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने की होड़ में लगे अपने ही साथियों को धीरे- धीरे जेल में डलवाते जा रहे हैं।
केंद्र सरकार उनकी यानी केजरीवाल की महत्वाकांक्षा के इस पुण्य कर्म में उनका लगातार सहयोग करती जा रही है। लेकिन गुरुवार को केजरीवाल की गिरफ़्तारी के साथ ही ये तमाम आशंकाएँ धूमिल हो गईं। हो सकता है पहले कभी ऐसा रहा हो, क्योंकि भाजपा बहुत पहले से, ख़ासकर चुनावों के दौरान कांग्रेस से ज़्यादा महत्व आप पार्टी को देती रही है।
दरअसल, भाजपा जब आप पार्टी को ज़्यादा महत्व देती है तो कांग्रेस नेपथ्य में चली जाती है। जहां तक आप पार्टी का सवाल है, वो वोट तो हर प्रदेश में कांग्रेस के ही काटती है, इसलिए आप पार्टी को जितना ज़्यादा महत्व दिया जाता है, भाजपा की झोली वोटों से उतनी ही ज़्यादा भरती जाती है। यही वजह है कि जब दिल्ली के शक्तिशाली मंत्री मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हुए, तो लोगों ने समझा कि कुर्सी पर बने रहने के लिए इस तरह का कमाल सिर्फ केजरीवाल ही कर सकते हैं।
मनीष सिसोदिया के बाद सबसे शक्तिशाली समझे जाने वाले संजय सिंह भी जब जेल में डाल दिए गए तो केजरीवाल की केंद्र सरकार से मिलीभगत की आशंकाएँ और भी बलवती हो गईं। लेकिन गुरुवार को केजरीवाल की गिरफ़्तारी के बाद केंद्र से मिलीभगत की ये तमाम अफ़वाहें निराधार साबित हो गईं।
शराब नीति में गड़बड़ियों का मामला इतना बड़ा बन जाएगा, यह पहले किसी ने सोचा नहीं होगा। कम से कम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने तो कभी नहीं सोचा होगा।
इससे पहले झारखण्ड की झामुमो सरकार भी इसी तरह के संकट से जूझी थी। उसके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया था और ईडी की गिरफ़्त में रहते हुए हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को इस्तीफ़ा दे दिया था। हालाँकि, केजरीवाल मंत्रिमंडल के कई साथी कह रहे हैं कि केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहेंगे और वे जेल के भीतर से भी दिल्ली की सरकार चलाने में सक्षम हैं।
ये बात और है कि इस तरह के बयान देने वाले तमाम आप नेताओं के मन में भी खुद ही मुख्यमंत्री बनने के लड्डू फूट रहे हैं। अब देखना यह है कि केजरीवाल जेल में रहते हुए दिल्ली की सरकार चलाते हैं या आप पार्टी में कोई नया नेतृत्व उभरता है।
आबकारी घोटाले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत से केजरीवाल का क्या है कनेक्शन?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार की देर रात प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम ने उनके घर जाकर गिरफ्तार कर लिया है। केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस बीच इस मामले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत की बात भी बार-बार सामने आ रही है। तो आखिर आबकारी घोटाले में साउथ लॉबी से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत का क्या है केजरीवाल कनेक्शन? आइए जानते हैं इस बड़े सवाल का जवाब हमारी इस खबर में।
ED की चार्जशीट के अनुसार, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मगुंटा श्रीनिवासुलू के बयानों से आबकारी घोटाले में घिर गए थे। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, मगुंटा श्रीनिवासुलू ने 14 जुलाई 2023 को दिए अपने बयान में जांच एजेंसी को बताया कि मार्च 2021 में दिल्ली में शराब कारोबार के निजीकरण करने के ऐड को देखकर मैं अरविंद केजरीवाल से मिला था। मुझे उनके ऑफिस ने मार्च, 2021 में पार्लियामेंट सेशन के दौरान 16 मार्च शाम साढ़े 4 बजे का समय दिया था।
100 करोड़ रुपये का ऑफर
मगुंटा श्रीनिवासुलू ने ईडी को बताया है कि अरविंद केजरीवाल ने उस वक़्त मगुंटा को बताया कि तेलंगाना के चीफ मिनिस्टर चंद्र शेखर राव की बेटी के कविता ने भी दिल्ली में शराब कारोबार करने के लिए मुझे एप्रोच कर चुकी हैं। उन्होंने 100 करोड़ रुपये आम आदमी पार्टी में देने का ऑफर किया है। वो आपको इस शराब के बिजनेस के लिए कॉल करेंगी या आप उन्हें कॉल कर सकते है क्योंकि उनकी टीम पहले से ही इस पर काम कर रही है।
केजरीवाल और के कविता में मिलीभगत का आरोप
ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, मगुंटा श्रीनिवासुलू के बेटे राघव मगुंटा ने अपने बयान में बताया कि उसने के कविता और अपने पिता के बीच एग्रीमेंट होने के बाद 25 करोड़ रुपये साउथ लॉबी के अभिषेक बोइनपिल्लै और बुची बाबू को कैश में दे दिए। यही वजह है कि ईडी ने ये दावा किया है कि के कविता ने अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर पूरी साजिश रची। इसलिए अब अरविंद केजरीवाल की रिमांड मिलने के बाद ईडी के कविता और केजरीवाल को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करेगी।