ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया विरोध स्वरूप अपना पद्म पुरस्कार ‘वापस’ करने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों में उन सभी लोगों की तरह, जिन्होंने अपना पद्म सम्मान ‘लौटा’ दिया है उनकी तरह वह भी पुरस्कार विजेताओं की सूची में बने रहेंगे. क्योंकि सम्मानित पुरस्कार को लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है.
TOI की रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने बताया ‘पुरस्कार विजेता किसी भी कारण से पुरस्कार वापस करने के अपने फैसले की घोषणा कर सकता है, लेकिन पद्म पुरस्कार में ऐसा नियम नहीं है. बिना कारण बताए केवल राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कारों को रद्द करने की अनुमति मिल सकती है. पुरस्कार विजेता का नाम राष्ट्रपति के निर्देशों के तहत बनाए गए पद्म प्राप्तकर्ताओं के रजिस्टर में तब तक बना रहता है, जब तक उसका पुरस्कार रद्द नहीं हो जाता.’
क्या है नियम
गौरतलब है कि सामान्य प्रथा के अनुसार, पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किए जाने के लिए प्रस्तावित व्यक्ति की इच्छा, पुरस्कारों की घोषणा से पहले, यथासंभव अनौपचारिक रूप से सुनिश्चित की जाती है. इस बिंदु पर कई लोगों ने पुरस्कार अस्वीकार कर दिया है. किसी व्यक्ति को पद्म विभूषण, पद्म भूषण या पद्म श्री से अलंकृत किए जाने के बाद, उसका नाम भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है और ऐसे प्राप्तकर्ताओं का एक रजिस्टर रखा जाता है.