जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता लालदुहोमा (Mizoram New CM Lalduhoma Swearing Ceremony) आज यानी कि शुक्रवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.आइजोल में राजभवन परिसर में हुए समारोह के दौरान लालदुहोमा ने सीएम पद की शपथ ली. इसके साथ ही ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता वनलालहलाना,सी. लालसाविवुंगा ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली.
मिजोरम में 5 साल पहले एक संगठन बना- जोरम पीपुल्स मूवमेंट यानी ZPM। इसमें 6 क्षेत्रीय पार्टियां शामिल थीं। 2018 के विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को 40 में से सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली।
धीरे-धीरे इसके मेंबर्स बाहर होने लगे और आखिर में बचे लालदुहोमा। 2019 में लालदुहोमा ने ZPM नाम से ही एक नई पार्टी बना ली। यहीं से किस्मत ने करवट ली।
किसान परिवार में जन्म, पढ़ाई के साथ सीएम के असिस्टेंट बने
लालदुहोमा का जन्म 22 फरवरी 1949 को म्यांमार की सीमा से लगे गांव तुआलपुई में हुआ था। किसान माता-पिता के बेटे लालदुहोमा बचपन से ही ब्राइट स्टूडेंट थे। उन्होंने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के इवनिंग कॉलेज में एडमिशन लिया था।
इस दौरान लालदुहोमा पर मिजोरम के तत्कालीन सीएम सी. चुंगा की नजर पड़ी तो उन्होंने अपने ऑफिस में उन्हें असिस्टेंट की नौकरी दे दी। वे 1972 से 1977 तक सीएम ऑफिस में प्रिंसिपल असिस्टेंट थे। इस दौरान उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। वे आईपीएस बने। उन्हें गोवा कैडर मिला था।
हिप्पी बनकर ड्रग्स माफिया के इलाकों में घुस जाते थे
मिजोरम में ज्यादातर नाम के बीच में आपको ‘लाल’ मिल जाएगा। यह वहां एक सामान्य उपनाम है। लालदुहोमा 1977 बैच के आईपीएस अफसर रहे हैं। यूपीएससी क्रैक करने के बाद मिजोरम बेस के आईपीएस अफसर लालदुहोमा को गोवा कैडर दिया गया।
गोवा पहुंचने के बाद उन्होंने ड्रग्स माफिया के खिलाफ जोरदार कार्रवाई की। उनकी पहली पोस्टिंग पणजी के एक एसडीपीओ (एएसपी) के रूप में हुई थी, बाद में उन्हें नॉर्थ गोवा के एसपी के रूप में प्रमोट किया गया। ये वो समय था जब पणजी को ड्रग माफिया की राजधानी कहा जाता था। दुनियाभर से हिप्पी वहां ड्रग्सवाली पार्टियां करने आते थे।
आइजोल के न्यूजपेपर न्यूजलिंक के पत्रकार जोडिसांगा बताते हैं कि जब लालदुहोमा पणजी में पोस्टेड थे, वे वेश बदलकर ड्रग्स माफियाओं के इलाकों में जाते थे। एक बार उनसे एक लड़के की मां ने शिकायत की थी कि ड्रग्स के ओवरडोज के कारण उनका इकलौता बेटा मर गया। उस महिला के आंसुओं ने लालदुहोमा पर गहरा असर किया और उन्होंने ड्रग माफिया पर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी।
पणजी के एक इलाके में ड्रग माफियाओं के डर से पुलिसवाले जाने से डरते थे। एक बार लालदुहोमा हिप्पी का वेश बनाकर अकेले उस एरिया में ड्रग्स खरीदने के बहाने घुस गए। पूरे इलाके की टोह ली और अगले दिन पूरी फोर्स के साथ पहुंचकर कार्रवाई की। बताया जाता है कि 1977 और 1982 के बीच गोवा के ड्रग्स माफियाओं में लालदुहोमा का खौफ था।
इंदिरा गांधी के कहने पर मिजोरम के विद्रोही नेता से बात की
लालदुहोमा की तारीफ इंदिरा गांधी तक पहुंच चुकी थी। उन्होंने 1982 में उन्हें दिल्ली बुलाया और अपनी सिक्योरिटी में जोड़ लिया।
मिजोरम पोस्ट के पत्रकार एम. डे बताते हैं कि ये वो दौर था जब मिजोरम को यूनियन टेरिटरी से राज्य बनाने को लेकर मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेतृत्व में जबरदस्त आंदोलन चल रहा था। चारों ओर हिंसा फैली हुई थी। राज्य में हालात बेकाबू थे।
इंदिरा गांधी लालदुहोमा के काम को देख चुकी थीं। वे जानती थीं कि एमएनएफ से बात किए बिना ये हिंसा खत्म नहीं होगी। इससे पहले वे कई बार प्रयास कर चुकी थीं, लेकिन वे बात करने को तैयार ही नहीं थे।
इंदिरा गांधी ने लालदुहोमा को बुलाया और कहा कि आप मिजो नेशनल फ्रंट के प्रमुख और विद्रोही नेता लालडेंगा से बात करो। कई महीनों की बातचीत के बाद सरकार और लालडेंगा बातचीत की टेबल पर पहुंचे। इसके बाद काफी हद तक हिंसा रुक गई थी।
विधानसभा में हारे और लोकसभा में निर्विरोध सांसद बने
लालदुहोमा ने इंदिरा गांधी से प्रभावित होकर आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। पहली बार उन्होंने 1984 में कांग्रेस के टिकट पर मिजोरम विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के लालमिंगथंगा से 846 वोटों से हार गए थे।
इसके बाद इसी साल लालदुहोमा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव में उतरे। उनके खिलाफ किसी ने पर्चा ही नहीं भरा और वे निर्विरोध सांसद बने। फिर मिजोरम के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी बने।
नए नेता को आगे बढ़ता देख लालदुहोमा के खिलाफ भी साजिश शुरू हुई। इसके बाद उन पर तत्कालीन सीएम ललथनहवला और कुछ कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा। इससे हताश होकर लालदुहोमा ने 1986 में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
1988 में कांग्रेस छोड़ने के बाद लालदुहोमा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने थे।
बागवानी के शौकीन, न जानने वाले उन्हें माली समझ लेते हैं
लालदुहोमा को बागवानी का जबरदस्त शौक है। ZPM के जनरल सेक्रेटरी एड्डी जोसांगलियाना बताते हैं- एक बार मैं उनके बंगले पर गया था। मैंने गार्ड से पूछा तो उसने बताया कि साहब अंदर ही हैं, आप गार्डन में इंतजार कीजिए।
एड्डी बताते हैं कि मैं गार्डन पर लगी कुर्सी पर बैठकर इंतजार कर रहा था। देखा कि भरी धूप में एक माली वहां पर हैट लगाए गुलाब के पौधों की कटिंग कर रहा है। मैंने सोचा कि इस व्यक्ति की मेहनत के कारण साहब के बंगले पर जबरदस्त गुलाब आते हैं। मैं टहलते हुए क्यारियों की तरफ गया और मैंने कहा गार्डनर तुम्हारे कारण ही इस बंगले में गुलाब की इतनी खुशबू आती है।
यस सर…बोलते हुए वो माली पलटा और उसने अपने सिर से हैट हटाया तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। वो लालदुहोमा थे और मुस्कुरा रहे थे। मैंने उनसे कहा कि सर मुझे माफ कीजिएगा मैं आपको पहचान नहीं पाया।
समय के पाबंद, उद्घाटन से 15 मिनट पहले पहुंचे तो देखा वहां कोई नहीं था
आइजोल पोस्ट के झोमविगमाविया बताते हैं कि लालदुहोमा ने भले ही आईपीएस की नौकरी छोड़ दी हो, लेकिन अनुशासन और समय की पाबंदी आज भी उनकी आदत में है। वे रात को सोने से पहले अगले दिन के काम की लिस्ट बनाते हैं।
एक बार उन्हें बताया गया कि अगले दिन उन्हें एक जगह पार्टी ऑफिस का उद्घाटन सुबह दस बजे करना है। ये वो समय था जब लालदुहोमा की राजनीतिक जमीन में सूखा पड़ा हुआ था। लालदुहोमा पौने दस बजे नए पार्टी ऑफिस पर जाकर खड़े हो गए, जिनका उन्हें उद्घाटन करना था।
वहां जाकर वे चौंक गए कि 15 मिनट बाद इस ऑफिस का उद्घाटन होना है, लेकिन यहां कोई पहुंचा ही नहीं है। जब उन्होंने ऑफिस इंचार्ज को बुलवाया तो पता चला कि यहां हर पाॅलिटिकल प्रोग्राम एक-दो घंटे देरी से शुरू होता है, इस कारण से कोई नहीं आया। थोड़ी देर बाद जब बाकी लोग पहुंचे तो उद्घाटन हो पाया।