बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया। वर्षों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक इस बार सत्र को तय समय से दो सप्ताह पहले आहूत किया गया है। अभी तक विधानसभा का शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे या चौथे सप्ताह में होता था। ऐसे में सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज है कि आखिर क्यों नीतीश कुमार सरकार को इस बार अपने तय समय से पहले शीतकालीन सत्र बुलाना पड़ा है।
बिहार में छठ को महापर्व के रूप में मनाया जाता है। अधिमास होने के कारण इस बार छठ नवंबर में पहली सप्ताह की जगह तीसरे सप्ताह में मनाया जाएगा। वहीं दीपावली नवंबर के दूसरे सप्ताह में है। ऐसे में सत्ता पक्ष के नेता ऑफ द रिकॉर्ड बताते हैं कि छठ- दीपावली को देखते हुए सत्र को समय से पहले आहूत किया गया है, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो।
नीतीश कुमार को आशंका समय से पहले हो सकता है लोकसभा का चुनाव, इसलिए सत्र पहले
नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि उनके हर काम के पीछे कुछ बड़ी प्लानिंग होती है। ऐसे में परंपरा को बदलने के पीछे भी बड़ा सियासी मायने निकाला जा रहा है। सियासी जानकार बताते हैं कि सीएम नीतीश कुमार को इस बात की आशंका है कि केंद्र सरकार समय से पहले लोकसभा का चुनाव करवा सकती है।
इस स्थिति में वे इस सत्र में अपने एजेंडे को लागू करा कर अपने आप को मजबूत करना चाहते हैं। नीतीश कुमार पहले भी कई बार सार्वजनिक मंच से समय से पहले चुनाव कराने और अधिकारियों को तैयार रहने की बात कर चुके हैं।
पार्टी में टूट का खतरा, इसलिए अपना एजेंडा जल्दी पास कराने की कोशिश
पॉलिटिकल जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार को जेडीयू में टूट की आशंका है। बीजेपी के साथ-साथ आरजेडी की भी नजर जेडीयू के विधायकों पर है। रह-रह कर इसकी चर्चा भी होने लगती है। हालांकि, जेडीयू के बड़े नेता हमेशा अपनी पार्टी को अटूट होने का दावा करते रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार खुद सार्वजनिक रूप से बीजेपी को चुनौती दे चुके हैं कि अगर भाजपा में हिम्मत है तो जेडीयू को तोड़कर दिखाएं।
अब जानिए शीतकालीन सत्र में किन एजेंडो को लागू कर सकते हैं सीएम
जातीय गणना रिपोर्ट पर सदन में बहस करा सकती है सरकार
22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समय निर्धारित किया गया है। बिहार में सत्ताधारी दलों को इस बात की आशंका है कि इसके बाद ही लोकसभा चुनाव की तारीख घोषणा हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने आनन-फानन में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की। अब इसे विधान मंडल के दोनों सत्रों में पेश करने की तैयारी कर रही है। इसके आधार पर सरकार कुछ बड़ी घोषणा भी कर सकती है।
अतिपिछड़ों-दलितों के लिए खोल सकती है पिटारा
इसकी पूरी संभावना है कि शीतकालीन सत्र में सरकार अतिपिछड़ों और दलितों के लिए पिटारा खोल सकती है। जातीय गणना की रिपोर्ट के आधार पर सरकार अतिपिछड़ों और दलितों के लिए लाभकारी और कल्याणकारी योजना ला सकती है।