पाकिस्तान के पंजाब सूबे में पिछले दो दिन से ईसाइयों पर लगातार हमले हो रहे हैं। फ़ैसलाबाद में कट्टरपंथी मुसलमानों की भीड़ ने ईसाइयों की बस्ती पर हमला बोला। चर्चों और घरों में तोड़-फोड़ की और आग लगा दी। ये घटना फ़ैसलाबाद के जड़ांवाला क़स्बे में हुई। कट्टरपंथियों ने पांच गिर्जाघरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया। ईसा मसीह की मूर्तियां खंडित कर दीं, सलीबों को तोड़ डाला। इसके बाद दंगाइयों ने चर्चों में रखी बाइबिल को जला दिया और इसके बाद चर्चों को आग लगा दी। हमलावरों ने जड़ांवाला में भी 21 चर्चों पर भी हमला बोला, तोड़-फोड़ की, इसके बाद भीड़ ने ईसाई बस्तियों का रुख़ किया। ईसाइयों के घर में घुसकर लूट-पाट की, उनके घरों को भी आग लगा दी। हालात ये हो गए कि कट्टरपंथियों की भीड़ ने ईसाइयों के क़ब्रिस्तान को भी नहीं छोड़ा। ईसाइयों पर ये जुल्म ईशनिंदा का इल्जाम लगाकर किया गया। पहले ये अफवाह फैलाई गई कि जड़ांवाला के रहने वाले ईसाइयों ने इस्लाम और कुरान की बेअदबी की है। इसके बाद मस्जिदों से एलान किया गया कि इस्लाम की बेअदबी करने वाले ईसाइयों को सबक सिखाया जाए। मस्जिदों से एलान हुआ तो हज़ारों की भीड़ इकट्ठा हो गई। इन लोगों को पंजाब सूबे के कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक के मुल्लाओं ने भड़काया। कट्टरपंथियों का गिरोह सर तन से जुदा के नारे लगाते हुए ईसाइयों के मुहल्ले की तरफ़ बढ़ने लगा। पाकिस्तान में चर्चों पर हुए इस हमले एक सोची-समझी साज़िश है। कुछ लोकल मौलवियों ने जान-बूझकर क़ुरान की बेअदबी की अफ़वाह फैलाई, जिससे ईसाइयों को इलाके से भगाया जा सके। और फिर उनकी ज़मीनों और मकानों पर क़ब्ज़ा किया जा सके। पाकिस्तान में अक्सर ईशनिंदा क़ानून का बहाना लेकर अल्पसंख्यकों पर हमले होते रहे हैं। इसका मक़सद कभी तो निजी दुश्मनी का बदला लेना और कभी किसी की संपत्ति पर क़ब्ज़ा करना होता है। इसमें दो कट्टरपंथी संगठनों तहरीक ए लब्बैक और अहले सुन्नत का सबसे बड़ा रोल है। ये दोनों ही संगठन पाकिस्तानी फौज के क़रीबी कहे जाते हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्य़कों पर इस तरह के हमले कोई पहली बार नहीं हुए हैं। हिन्दुओं, सिखों, ईसाइयों पर अक्सर इस तरह जुल्म होते हैं और अक्सर इस्लाम की तौहीन को बहाना बनाया जाता है। हिंसा का मकसद होता है अल्पसंख्यकों को डराना, दबाना और उनकी जायदाद पर कब्जा करना। कुछ दिन पहले इसी तरह का आरोप लगाकर सिंध में प्राचीन हिन्दू मंदिर पर हमला किया गया था। बाद में पता चला कि हमले का मकसद मंदिर को तोड़कर वहां मॉल बनाना था।। उससे पहले इसी तरह एक पुराने गुरूद्वारे की जमीन पर कब्जे के लिए हमला किया गया था। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर इस तरह के जुल्म आम बात हैं। कभी कभी जब हिंसा के वीडियो दुनिया के सामने आ जाते हैं तो पाकिस्तान सरकार दिखावे के लिए थोड़ा बहुत एक्शन लेती है। लेकिन अपराधियों को सजा कभी नहीं मिलती और न अल्पसंख्यकों को उनकी जायदाद वापस मिलती है।। इसलिए अब दुनिया के तमाम देशों को एक मिलकर पाकिस्तान की सरकार पर दबाव बनाना चाहिए, वहां रहने वाले हिन्दू, सिख और ईसाइयों की सुरक्षा की गारंटी की मांग करनी चाहिए।
बाइडन के भारत को ‘जेनोफोबिक’ कहने पर जयशंकर की दो टूक…….
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में भारत को जेनोफोबिक (विदेशियों के प्रति अत्यधिक नापसंदगी या डर रखने...