अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग मामले पर फैसला आने के बाद दिल्ली सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट के सामने सर्विसेज विभाग के सचिव के ट्रांसफर का मुद्दा उठाया गया है. दिल्ली सरकार ने CJI के समक्ष कहा कि केंद्र दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के सचिव का ट्रांसफर नहीं कर रहा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. सीजेआई ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वो अगले हफ्ते बेंच का गठन करेंगे.
क्या था सुप्रीम कोर्ट का निर्णय?
दरअसल, पांच जजों की संविधान पीठ ने एकमत से यह माना कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ही अधिकारियों पर नियंत्रण मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की स्थिति दूसरे केंद्र शासित क्षेत्रों से अलग है. संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत यहां एक विधानसभा है, जिसे अधिकतर मसलों पर कानून बनाने का अधिकार दिया गया है.
दिल्ली की विधानसभा सिर्फ पुलिस, कानून व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय पर कानून नहीं बना सकती. उसी तरह दिल्ली सरकार को भी इन तीन विषयों को छोड़ कर बाकी मामलों में कार्यकारी शक्ति हासिल है. सर्विसेज का मामला भी दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.
वहीं, इससे पहले 2019 में सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की बेंच ने मामले पर बंटा हुआ फैसला दिया था. एक जज जस्टिस ए के सीकरी ने यह कहा था कि ज्वाइंट सेक्रेट्री और उससे ऊपर रैंक के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण होना चाहिए. जबकि दूसरे जज जस्टिस अशोक भूषण ने कहा था कि दिल्ली के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का ही पूरा नियंत्रण होना चाहिए. अब 5 जजों की बेंच ने दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत सभी अधिकार दे दिए हैं.