देश की राजनीती में विपक्ष दो कदम आगे बढती है तो एक कदम पीछे छुट जाता है . ऐसा ही कुछ हाल हुआ जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कॉल करके नीतीश कुमार ममता बनर्जी से बात की और मोदी सरकार के साथ लड़ाई में एकजुट होने का आह्वाहन किया . इसी दरम्यान बिपक्ष के अहम् मराठा नेता
शरद पवार ने व्यान देकर विपक्षी एकता की हवा निकाल दी जो सबसे अधिक प्रभावित नितीश कुमार को कर दिया ….
लम्बी इन्तजार के बाद आखिरकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस का कॉल आ ही गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने फोन पर बात की। विपक्षी एकता के लिए नीतीश कुमार से संपर्क करने के बाद जदयू का बयान भी आया। पार्टी की ओर से कहा गया कि कि ये जनता की राय है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के नेताओं को भाजपा के खिलाफ एकजुट होने के लिए जरूरी है।
नीतीश कुमार से मल्लिकार्जुन खरगे की बातचीत पर जेडीयू ने कहा कि जिस तरह से केंद्र की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, इस देश के लोगों ने भाजपा के खिलाफ मन बना लिया है। वे चाहते हैं कि सभी विपक्षी दलों के नेता अगले आम चुनाव में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए एक छतरी के नीचे आएं।
खरगे की नीतीश और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ फोन पर हुई बातचीत की सराहना जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अब विपक्षी दलों के बीच एकता की शुरुआत की है। इसका असर अगले दो महीनों में दिखाई देगा। उनके मुताबिक देश भर में लगभग सभी गैर-बीजेपी विपक्षी दल एकता चाहते हैं और वे अब राष्ट्रीय स्तर पर एकता की ओर बढ़ रहे हैं। उधर जद (यू) प्रवक्ता ने ये भी बताया कि नीतीश ने बार-बार कहा था कि वो विपक्षी एकता के मुद्दे पर कांग्रेस नेतृत्व की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और हम कांग्रेस के कदम का स्वागत करते हैं।
इसी बिच एक टीवी न्यूज चैनल से बात करते हुए शरद पवार अडाणी समूह के समर्थन में सामने आए। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद शुरू हुई बयानबाजी की आलोचना की। शरद पवार ने कहा कि उन्होंने अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की एक समिति का समर्थन किया, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के पास संसद में संख्या बल के आधार पर जेपीसी में बहुमत होगा और इससे इस तरह की जांच पर संदेह पैदा होगा। अडाणी समूह ने अपनी कंपनियों के खिलाफ ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा शेयरों में हेरफेर के आरोपों से इनकार किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के बयान का समर्थन करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की विपक्षी दलों की मांग पर विरोधाभासी रुख अपनाया था। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) संसद में जेपीसी की जांच की मांग का समर्थन करती रही है। हालांकि नीतीश कुमार ‘उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति’ से जांच कराने के पवार के विचार से सहमत नहीं दिखे। हालांकि नीतीश कुमार शरद पवार को लेकर बहुत कुछ कहा तो नहीं। लेकिन माना जा रहा है कि नीतीश कुमार शरद पवार की सियासी ‘गुगली’ में फंस गए हैं। यही कारण है कि बिहार सीएम बच-बचकर बयान देकर निकल गए।
शरद पवार के रुख के बारे में पूछे जाने पर बिहार सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मुझे मीडिया से इस बारे में पता चला है। नीतीश कुमार पिछले साल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विरोध में पार्टियों को एकजुट करने के प्रयासों के तहत पवार से मिले थे। नीतीश कुमार ने कहा कि इस बारे में उन्हें (पवार) विस्तार से बताना चाहिए कि वह क्या कह रहे हैं। अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय होती है। नीतीश कुमार के साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन भी थे, जो हाल में संपन्न संसद सत्र के दौरान अडाणी मुद्दे पर काफी मुखर थे।