पिछले कुछ दिनों से बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का हर कदम राजनीतिक सस्पेंस खड़ा कर रहा है। कभी उनकी चुप्पी से सस्पेंस पैदा होता है, तो कभी उनके बयान से। राहुल गांधी को बतौर सांसद अयोग्य घोषित करने के बाद लगभग सभी विपक्षी नेताओं ने बयान दिया, लेकिन नीतीश ने इस मसले पर चुप्पी बरती। हालांकि उनके करीबी लोगों का मानना है कि नीतीश बस कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं।
स्टालिन के सम्मेलन से खुद को किया अलग
दरअसल, नीतीश कुमार इस बात से नाराज हैं कि उनकी ओर से बार-बार कहे जाने के बावजूद विपक्षी एकता की दिशा में कांग्रेस की ओर से कोई गंभीर पहल नहीं की गई। लेकिन यह तर्क भी तब गले नहीं उतरा, जब नीतीश कुमार तमिलनाडु के सीएम स्टालिन की पहल पर सामाजिक न्याय के नाम पर बुलाए गए सम्मेलन से खुद को अलग कर लिया। इसके पीछे वजह प्रशासनिक मजबूरी बताई गई।
बीजेपी नेता घर गए तो बढ़ा सस्पेंस
बात इतनी भर नहीं है। पिछले दिनों नीतीश कुमार बिहार बीजेपी के एक पार्षद के घर भी गए। वह पार्षद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के बहुत करीबी माने जाते हैं। इन तमाम घटनाक्रमों से भी सस्पेंस बढ़ा।
नीतीश के हालिया कदम के पीछे मंशा क्या है?
हालांकि बीजेपी की ओर से अमित शाह और जेडीयू दोनों ने भविष्य में फिर से किसी तरह के गठबंधन की संभावना से इनकार किया है। साथ ही, नीतीश कुमार भी इसके पक्ष में नहीं हैं। लेकिन उनके हालिया कदम के पीछे क्या मंशा है, यह किसी को समझ नहीं आ रही है।