विगत तीन–चार दिन से कई हिंदी चैनल एक नये बाबा को और उनसे जुडे विवाद को लाइव कवर कर रहे हैं! छब्बीस वर्षीय धीरेन्द्र शास्त्री को ‘बागेश्वर सरकार’ को नाम से भी जाना जाता है। उनका आश्रम मध्य प्रदेश के छतरपुर में है। एक तर्कवादी का आरोप रहा कि ये बाबा अंध्विश्वास फैलाते हैं‚ लेकिन बाबा के पक्षधर मानते रहे कि उनके आलोचक ‘सनातन विरोधी’ हैं।
बाबा का शो भी कमाल का है। इन दिनों वे सबसे अधिक हिट बाबा हैं। वे सुंदर हैं। २६ वर्ष के हैं। वे अपने आसन पर बैठकर‚ आए भक्तों में से किसी का नाम पुकारते हैं कि उनकी अरजी स्वीकार कर ली गई है। वह व्यक्ति बाबा के सामने आकर हाथ जोडकर बैठ जाता है। बाबा पूछते हैं कि आपने किसी को अपना नाम तो नहीं बतायाॽ किसी को अपना कागज तो नहीं दिखायाॽ वो कहता है कि नहीं फिर बाबा एक कागज पढने लगते हैं कि तुम्हारे पिता‚ पुत्रा‚ पति या पत्नी को ये परेशानी थी ये रोग था। सुनकर भक्त भाव विह्वल होकर रोने लगता है कि हां–हां ये हुआ था। इसी तरह कभी किसी स्त्री का नाम पुकारते हैं कि वो वहां बैठी है उसकी अरजी कबूल कर ली गई है। वो आती है। बाबा परचे को पढ उसके प्रियजन की परेशानी बताते हैं। वह विह्वल होकर हाथ जोडने लगती है। बाबा कहते हैं कि इलाज करते रहें। हनुमान जी ठीक करेंगे!
बाबा के इष्ट हनुमान जी (बाला जी) हैं। एक चैनल पर वे कहते हैं कि वे ‘बाबा’ नहीं हैं। साधारण इंसान हैं। अपने इष्टदेव हनुमान जी के सेवक हैं। वे कुछ नहीं करते; जो करते हैं‚ उनके इष्टदेव करते हैं। वे कोई फीस नहीं लेते। वे रामकथा वाचक हैं! सनातन के रक्षक हैं। पिछले तीन–चार दिन से कई हिंदी चैनल बाबा को लाइव कवर कर रहे हैं मानो यही सबसे बडी कहानी हो और बाबा भी मीडिया को कवर करने दे रहे हैं। कई सीन में पीडित लोग धरती पर लोटते–पीटते हैं। उनकी पीडा को दूर करने के लिए बाबा आदेश देते हैं और वे पीडा मुक्त दिखने लगते हैं। यह बाबा की अपनी ‘थिरेपी’ है। आलोचक इस पर शंका करते हैं।
बाबा के इस तरह के चमत्कारों पर विवाद खडा हो गया है। चैनल ‘विश्वास बरक्स अंधविश्वास’ पर बहस करा रहे हैं। बाबा कहते हैं हम भी अंधविश्वास के खिलाफ हैं। बाबा के पक्षधर कई स्वामी उन पर लगने वाले आरोपों का खंडन करते हैं। एक स्वामी ने एक चैनल की बहस में समझाया कि जिस तरह आज के ‘हैकर’ दिल्ली का डाटा ‘हैक’ कर लेते हैं उसी तरह दिव्यदृष्टि वाले लोग दूसरे के दिमाग को ‘हैक’ कर पढ लेते हैं। आशय यह कि इसी तरह बाबा भी दूसरे के मन की समस्याओं को पढ लेते हैं फिर अपने इष्टदेव हनुमान जी से प्रार्थना करते हैं कि जिनको तकलीफ है उनकी तकलीफ दूर करें.इसमें क्या गलत हैॽ अगर वे दूसरों के मन की बात जान लेते हैं तो लगता है कि उनके पास भी कोई ‘सिद्धि’ है।
एक चैनल पर एक ‘मेंटलिस्ट’ (माइंड रीडर) और एक जादूगर बताते दिखे कि दूसरों के मन को पढना संभव है। एक ने बताया कि यह तो टेलीपैथी की तरह है। मनोविज्ञान की तरह है और जरा से अभ्यास से कोई भी कर सकता है। इस पर एक समर्थक ने कहा कि बाबा भी ऐसा करते हैं तो इसमें धोखा कहांॽ एक चैनल पर ये बाबा कहते हैं कि जितने सवाल हमसे पूछे हैं क्या ईसाइयों से पूछे हैं जो चंगाई सभाएं करते रहते हैं। वे चैनल दर चैनल सवालों के जबाव देते दिखते हैं कि हम कहां डरेॽ बहुत से चैनल आए। उन्होंने सब दिखाया क्या हमने कुछ छिपायाॽ
एक एंकर ने बाबा से पूछा कि आपके पास क्या कोई विज्ञान है कि मन की जान लेते हैंॽ बाबा बोले कि ये पराविज्ञान है। इसे इस तरह से समझाया नहीं जा सकता। वे अपने दरबार में आए भक्तों से हनुमान चालीसा का पाठ कराते है कि ‘भूत पिशाच निकट नहिं आवै! महावीर जब नाम सुनावै.’ लोग पाठ करने लगते हैं। तीसेक बरस पहले जब एक मंदिर में गणेश जी की मूर्ति के दूध पीने की घटना की खबर आई थी तो टीवी चैनलों ने उसे काफी आलोचनात्मक नजर से देखा–दिखाया था‚ लेकिन आज ऐसा नहीं दिखता। चर्चित बाबा के तीन–चार दिन के लाइव कवरेज ने एक युवा बाबा को बाबाओं का बाबा बना दिया है। एकाध चैनल ने क्रिटीकल होने की कोशिश की है‚ लेकिन वैसी क्रिटीकलिटी नहीं दिखी जैसी कि किसी जमाने में दिखा करती थी! वक्त बदला है तो मीडिया भी बदला है। बढती धर्मिकता के समकालीन दौर में धर्म के प्रति मीडिया उतना आलोचनात्मक नजर नहीं आता जितना कि किसी वक्त में वह हुआ करता था।
चर्चित बाबा के तीन–चार दिन के लाइव कवरेज ने एक युवा बाबा को बाबाओं का बाबा बना दिया है। एकाध चैनल ने क्रिटीकल होने की कोशिश की है‚ लेकिन वैसी क्रिटीकलिटी नहीं दिखी जैसी कि किसी जमाने में दिखा करती थी! वक्त बदला है तो मीडिया भी बदला है———