राजधानी समेत पूरे सूबे में पिछले दस–बारह दिनों से जारी भीषण ठंड़ शनिवार को भी बरकरार रही। बर्फीली हवा के चलते पारा और गिर गया। इस बीच‚ मौसम विभाग ने कोल्ड़ डे़ घोषित करते हुए अलर्ट जारी किया है। हालांकि आज दोपहर में कुछ देर के लिए हल्की धूप निकली‚ बावजूद शीतलहर से राहत नहीं मिली। ठंड़ी हवा चलने से यहां का तापमान सामान्य से भी सात डि़ग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि अगले एक सप्ताह तक ठंड़ से राहत की कोई उम्मीद नहीं है। यहां उत्तरी–पूर्वी तथा उत्तरी–पश्चिमी ठंड़ी हवाओं का चलना जारी रहेगा‚ जिससे लोगों को कुहासे के साथ ही भीषण ठंड़ का सामना करना पडेगा।
राजधानी समेत पूरा सूबा इन दिनों भारी शीतलहर की चपेट में है। शनिवार को ठंड़ ने पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड़ तोड़़ दिया तथा न्यूनतम तापमान ८ डि़ग्री सेल्सियस से भी नीचे दर्ज किया गया। शनिवार को भी यहां का न्यूनतम तथा अधिकतम तापमान सामान्य से काफी नीचे बना रहा। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार‚ राजधानी का अधिकतम तापमान १४.४ डि़ग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान ७.२ डि़ग्री सेल्सियस रहा। इसी तरह‚ भागलपुर का अधिकतम तापमान १६.० डि़ग्री तथा न्यूनतम तापमान ७.५ डि़ग्री सेल्सियस जबकि गया का अधिकतम तापमान १८.८ तथा न्यूनतम तापमान ४.६ डि़ग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
बिहार में सर्दी का सितम पिछले 8 दिनों से जारी है। ठंड और प्रचंड हो गई है। पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर सहित 10 जिलों में दिन का तापमान दिल्ली, चंबा, मनाली, शिमला, कुल्लू, भोपाल, रायपुर, रांची, कोलकाता सहित अन्य जिलों की अपेक्षा कम है। पहाड़ों पर 20 दिनों से बर्फबारी हो रही है। ऐसे में वहां का तापमान सामान्य के बराबर है।
जबकि बिहार में मौसम शुष्क होने की वजह से कई जिलों में पारा सामान्य से नीचे दर्ज किया गया है। मौसम विभाग के मुताबिक बिहार में अररिया, नालंदा, नवादा, कटिहार, बांका, सहित 23 जिलों में कोल्ड डे की स्थिति रही है। इस दौरान दिन का तापमान 15 डिग्री के आसपास है। जबकि रात का तापमान 10 डिग्री से कम रिकार्ड किया गया है।
ठंड के चलते पटना समेत कई जिलों के स्कूलों को 14 जनवरी तक बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं।
इसके साथ ही पटना, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामढ़ी, समस्तीपुर सहित 9 जिलों में गंभीर ठंड की स्थिति है। इस दौरान अधिकतम तापमान 14 डिग्री और न्यूनतम तापमान सात डिग्री के आसपास रिकार्ड किया गया है। 8 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार बर्फीली ठंड हवाएं चल रही थी। इससे गलन की स्थिति थी।
शनिवार को सूबे का सबसे ठंडा शहर गया रहा। यहां न्यूनतम पारा 4.6 डिग्री तक पहुंच गया है। पारा गिरने से रात में सर्दी काफी बढ़ गई है, हालांकि दोपहर में धूप निकली, पर सर्द हवा से धूप में भी ठंडक का अहसास रहा। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो गया में उत्तरी-पश्चिमी बर्फीली हवा चल रही है। यह हवा राजस्थान और जम्मू-कश्मीर से आ रही है। न्यूनतम पारा गिरने का खास कारण भी यह हवा ही है। इन बर्फीली हवाओं से कनकनी भी बढ़ी है। नमी सुबह में 97 तो शाम में 59 फीसदी दर्ज की गई है।
सबसे ठंडा रहा ‘गया’, न्यूनतम पारा 4.6 डिग्री सेल्सियस पहुंचा
तीन दिनों बाद बढ़ेगा तापमान
मौसम विभाग के मुताबिक ठंड का प्रभाव अभी दो दिनों तक रहने की संभावना है। इस दौरान दिन के साथ ही रात के तापमान में भी गिरावट होगी। इससे गलन युक्त सर्दी का एहसास होगा। तीन दिनों के बाद आसमान साफ हो जाएगा और हल्की धूप निकलेगी। इससे रात के तापमान में दो से पांच डिग्री की बढ़ोतरी होगी।
ठंड के चलते स्कूल 14 जनवरी तक बंद
बिहार में कड़ाके की ठंड के बीच पटना, बेतिया, सुपौल, नालंदा, गया, मोतिहारी में प्राइवेट और सरकारी दोनों स्कूलों को 14 जनवरी तक बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं। पहले ये आदेश 2 जनवरी तक था। फिर से बढ़ाकर 7 जनवरी किया गया, लेकिन अब खराब मौसम के चलते इसे 14 जनवरी कर दिया गया है।
कटिहार में 8 डिग्री तक न्यूनतम तापमान
कटिहार में सुबह हल्की हल्का कोहरा देखने को मिला। हिमालय क्षेत्र की ओर से बह रही सर्द हवाओं के कारण कपकपी बढ़ गई है। इक्के-दुक्के लोग सड़कों पर नजर आ रहे हैं। हल्की धुंध के कारण लोग दिन में भी लाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार कटिहार में आज रविवार सुबह का तापमान न्यूनतम 8 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 20 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है।
अरवल में बूंदाबांदी से बढ़ी ठंड
अरवल में 2 दिनों से हल्का-हल्का सूरज दिखाई दे रहा था, शनिवार रात मौसम ने अचानक से करवट ली। जिले के कई इलाकों में रात हल्की बूंदाबांदी ने फिर से मौसम में ठंडक छोल दी है। सड़क पर कोहरा छाया हुआ है। अगले 2 दिनों तक यहां लोगों को राहत मिलने की कम ही संभावना है।
तेजस राजधानी, संपूर्ण क्रांति समेत एक दर्जन ट्रेनें लेट
कोहरे की वजह से ट्रेनों की रफ्तार कम हो गई है। शनिवार को नई दिल्ली-राजेंद्रनगर तेजस राजधानी एक्सप्रेस और संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस समेत एक दर्जन ट्रेनें लेट रहीं। जबकि तीन ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं। सबसे अधिक 22406 आनंद विहार-भागलपुर एक्सप्रेस 3.40 घंटे लेट रही।
12310 नई दिल्ली-राजेंद्रनगर तेजस राजधानी 1.35 घंटे, 12394 नई दिल्ली-राजेंद्रनगर संपूर्ण क्रांति 2.50 घंटे, 12392 नई दिल्ली-राजगीर श्रमजीवी एक्सप्रेस 45 मिनट, 12318 अमृतसर-कोलकाता एक्सप्रेस 4.05 घंटे, 22406 आनंद विहार-भागलपुर एक्सप्रेस 3.40 घंटे, 12332 जम्मू-हावड़ा एक्सप्रेस 8.35 घंटे, 12306 नई दिल्ली-हावड़ा एक्सप्रेस 8.25 घंटे, 20802 नई दिल्ली-इस्लामपुर मगध एक्सप्रेस 8.15 घंटे, 15658 कामाख्या- दिल्ली एक्सप्रेस 2.45 घंटे लेट रही।
22843 विलासपुर-पटना एक्सप्रेस 2.15 घंटे, 15657 दिल्ली-कामाख्या एक्सप्रेस 5.50 घंटे और 82356 छत्रपति शिवाजी जी टर्मिनल-पटना एक्सप्रेस 2.50 घंटे लेट रही। साथ ही 12370 देहरादून-हावड़ा एक्सप्रेस, 14003 मालदा टाउन-नई दिल्ली एक्सप्रेस और 12369 हावड़ा-देहरादून एक्सप्रेस रद्द रही।
जानें कोल्ड और सीवियर कोल्ड डे क्या है…
जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम और अधिकतम तापमान सामान्य के मुकाबले 4.5 डिग्री कम होता है तो इसे कोल्ड-डे कहते हैं। वहीं, जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम, लेकिन अधिकतम तापमान सामान्य के मुकाबले 6.4 डिग्री से कम होता है तो इसे सीवियर कोल्ड डे कहते हैं।
कोहरा के कारण यह खतरा
- ड्राइविंग मुश्किल हो जाता है। दुर्घटना की आशंका रहती है।
- न्यूनतम दृश्यता होने के कारण हवाई यात्रा प्रभावित हो गई है।
- घने कोहरे में मौजूद कण, पदार्थ और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के संपर्क में आने पर फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे खांसी और सांस की तकलीफ बढ़ जाती है।
- आंखों में जलन, लाली या सूजन हो सकती है। रायसेन में शनिवार को सड़कों पर घना कोहरा रहा।
कोल्ड-डे और कोल्ड-वेव से यह खतरा
- लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने पर फ्रॉस्टबाइट और विभिन्न बीमारियों की आशंका रहती है। इससे फ्लू, बहती नाक और नकसीर की समस्या बढ़ जाती है।
- कंपकंपी, शरीर की गर्मी जाने का पहला संकेत।
- बाहरी शरीर के अंग जैसे उंगलियां, नाक की स्किन पीली, सख्त और सुन्न पड़ सकती है।
- कुछ जगह कृषि (गेहूं, आलू, सरसों और अन्य रबी फसलें) जलापूर्ति, परिवहन और बिजली क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। सरसों के फूल समय से 15 दिन पहले आ गए हैं।
शीतलहर और पाले से फसलों को कैसे होता है नुकसान
शीतलहर व पाले से फसलों व फलदार पेड़ों की उत्पादकता पर विपरीत असर पड़ता है। फसलों में फूल और बालियां/फलियां आने या उनके विकसित होते समय पाला पड़ने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां और फूल सिकुड़ने लगते हैं। कुछ फसलें बहुत ज्यादा तापमान या पाला झेल नहीं पातीं, जिससे उनके खराब होने का खतरा रहता है।
पाला पड़ने के दौरान अगर फसल की देखभाल नहीं की जाए, तो उस पर आने वाले फल या फूल झड़ सकते हैं। जिससे पत्तियों का रंग मिट्टी जैसा दिखता है। अगर शीतलहर हवा के रूप में चलती रहे, तो उससे नुकसान नहीं होता, लेकिन हवा रुक जाए तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है। पाले की वजह से अधिकतर पौधों के फूलों के गिरने से पैदावार में कमी हो जाती है।